अब राज्यीय स्तर पर भी दिखाई दे रहे हैं भारत के आर्थिक वृद्धि के संकेत

इस दशक में दहाई के आंकड़े के पार रहेगी GDP ग्रोथ रेट!

जीडीपी ग्रोथ रेट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास विपक्ष द्वारा उठाए गए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर है! विपक्ष ने सवाल उठाए थे कि क्या अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के प्रभाव से निकल पाएगी, इसका उत्तर यह है कि अप्रैल और जून के तिमाही में अर्थव्यवस्था में 20.1% की जीडीपी ग्रोथ रेट देखने को मिल रही है। इसके पूर्व विपक्ष ने सवाल उठाए थे कि वैक्सीन की उपलब्धता कैसे सुनिश्चित की जाएगी, इसका उत्तर यह है कि इस समय भारत में लगभग 98 करोड़ लोगों को वैक्सीन की एक डोज और 28 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन की दो डोज लग चुकी है। इसी प्रकार वर्तमान में राज्य स्तर पर रेवेन्यू पैदा करने को लेकर जो शंकाएं व्यक्त की गई, उस पर भी अब सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

महामारी की शुरुआत में आर्थिक गतिविधियों में आई कमी के कारण राज्यों की आय घटने को लेकर संभावनाएं व्यक्त की जा रही थी लेकिन हालिया आंकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था के ठीक होने का असर राज्यों के बढ़ते रेवेन्यू पर भी स्पष्ट दिख रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में अपने सुनहरे दौर से गुजर रही है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जीडीपी ग्रोथ रेट इस पूरे दशक में दहाई के आंकड़े के पार रहेगी। उन्होंने कहा “मुझे उम्मीद है कि यह (जीडीपी ग्रोथ रेट) अगले दशक तक कायम रहेगी, क्योंकि जिस दर से मुख्य उद्योगों में विस्तार हो रहा है, जिस दर से सर्विस सेक्टर बढ़ रहा है, मुझे भारत (के विकास) को कम करके आंकने के लिए कोई कारण नहीं दिखता।”

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20 राज्यों में 1.21 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकारों ने चालू वित्तीय वर्ष के पहले 5 महीनों में पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। राज्य सरकारों द्वारा पूंजीगत व्यय में विस्तार उन सभी शंकाओं का खंडन करता है जिनमें ये कहा गया था कि कोरोना के बाद राज्य सरकारें अपना आर्थिक बोझ उठाने में सक्षम नहीं होंगीं।

दरअसल, फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने 20 राज्यों से डेटा एकत्र किया। इन राज्यों में अप्रैल से अगस्त महीने तक 1.21 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त पूंजीगत व्यय हुआ है। पिछले वर्ष इसी अवधि में पूंजीगत व्यय में 35% की गिरावट देखी गई थी, जबकि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 70% की वृद्धि हुई है। पूंजीगत व्यय ने कोरोना पूर्व के स्तर को पार कर लिया है, क्योंकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसी अवधि के दौरान जो पूंजीगत व्यय इन 20 राज्यों द्वारा हुआ था वो इस वर्ष किए गए व्यय से 10% कम था। इन 20 राज्यों में टैक्स में भी 34% की उछाल देखने को मिली है। कई राज्यों ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया है और बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश उनमें एक है।

CPSEs के माध्यम से राज्यों की मदद कर रही केंद्र सरकार

उत्तर प्रदेश के पूंजीगत व्यय में 1,344% की उछाल देखने को मिली है और पूंजीगत व्यय 1,303 करोड़ के आधार स्तर से बढ़कर 18,809 करोड़ हो गया है। वहीं, कर्नाटक में 31%, गुजरात में 57% और मध्यप्रदेश में 88% की उछाल देखने को मिली है। ये सभी राज्य पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के लिए विदेशी निवेश पर निर्भर हैं। साथ ही केंद्र सरकार भी Central Public Sector Enterprises (CPSEs) के माध्यम से राज्यों की मदद कर रही है। बड़े CPSE निकायों ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के अपने लक्ष्य का 30% हासिल कर लिया है। वहीं, बड़े केंद्रीय पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइसेस ने पांच महीनों में 1.77 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

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पिछले 7 वर्षों में मोदी सरकार ने वित्तीय सुधार के लिए जो कदम उठाए हैं उनके परिणाम अब परिलक्षित होने लगे हैं। आर्थिक सुधारों के कारण अगले दस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बेहतर साबित होंगे। आत्मनिर्भर भारत और PLI योजनाओं के बल पर सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक सप्लाई चेन के केंद्र में लाना चाहती है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वरूप को ऐसा रखना चाहती है कि वो बाहरी कारकों से अप्रभावी रहे।

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