कश्मीर में UAE का इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज़ोर देना पाकिस्तान के नापाक इरादों के लिए एक जबरदस्त झटका होगा

दुबई कश्मीर में निवेश

पाकिस्तान ने प्रत्येक मंच से कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के प्रयास किए हैं। इसके विपरीत पाकिस्तान को हर बार मुंह की ही खानी पड़ी है। ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (OIC) तक पाकिस्तान को अब ज्यादा अहमियत नहीं देता है। ऐसे में पाकिस्तान के हाथों से कश्मीर का मुद्दा रेत की तरह फिसल रहा है। अब पाकिस्तान को बड़ा झटका संयुक्त अरब अमीरात से लगा है। दुबई पाक को झटका देते हुए कश्मीर में निवेश करने का ऐलान कर चुका है, जो कश्मीर में पहला अंतरराष्ट्रीय निवेश होगा। वहीं, इस्लामिक देश से कश्मीर में आने वाला निवेश पाकिस्तान को काफी बड़ा झटका दे सकता है।

पीयूष गोयल ने किया ऐलान

हाल ही में केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दुबई का दौरा किया था, जिसमें दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण करार हुए थे। ऐसे में मोदी सरकार ने स्वयं अब जानकारी दी है कि दुबई की सरकार ने कश्मीर में प्राथमिक सुविधाओं को विस्तार देने के लिए निवेश करने का अनुबंध किया है।  इस मामले में केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “दुबई सरकार के साथ यह समझौता ज्ञापन एक मील का पत्थर है जिसके बाद पूरे विश्व से निवेश आएगा और यह विकास के लिए प्रेरित करेगा। दुबई के विभिन्न संस्थानों ने कश्मीर में निवेश में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। सभी मोर्चों पर विकास की आकांक्षा होनी चाहिए और हम उसी रास्‍ते पर चल रहे हैं।”

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दुबई के साथ हुआ है करार

ऐसा वक्त जब कश्मीर में अराजकता और हिंसा का तांडव करने के प्रयास आतंकियों द्वारा पुनः शुरु किए जा चुके हैं, तो दूसरी ओर मोदी सरकार ने राज्य की स्थिति को सुरक्षित रखने के लिए प्रयासों को धार देने की तैयारी कर ली है। इतना ही नहीं मोदी सरकार राज्य के मूलभूत ढांचे को भी विस्तार देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर रही है। इसको लेकर मोदी सरकार की तरफ से कहा गया, “दुबई के साथ एक मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिग पर दस्तखत हुए हैं जिसके तहत जम्मू कश्मीर में निवेश पर सहमति बनी है।” खबरों के मुताबिक दुबई की सरकार के निवेश के दम पर कश्मीर में इंडस्ट्रियल पार्क, इमारतें, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल आदि बनाए जाएंगे।

पहला अंतर्राष्ट्रीय निवेश

भारत सरकार से लेकर दुबई तक दोनों ने ही अभी निवेश की राशि को लेकर कोई विशेष घोषणा नहीं की है, किन्तु ये माना जा रहा है कि अनुच्छेद-370 के खात्मे के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला अंतरराष्ट्रीय निवेश दुबई से ही आने वाला है, जो कि भारत सरकार के लिए एक उपलब्धि का प्रतीक बन सकता है, क्योंकि वो इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी है। वहीं, ये सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान के लिए होगा, जो कि आए दिन  कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने के लिए छाती पीटता रहता है।

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पाकिस्तान ने हमेशा ही संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक मंच से लेकर इस्लामिक देशों के वैश्विक संगठन ओआईसी में कश्मीर का मुद्दा उठाकर अपना पक्ष मजबूत करने के प्रयास किए हैं। इसके विपरीत सभी वैश्विक संगठनों ने पाकिस्तान की इस मांग को हमेशा की तरह नजरंदाज किया है, और भारत के प्रति अपना स्पष्ट पक्ष रखा है।

कुछ इसी तरह अब दुबई सरकार द्वारा कश्मीर में आधारभूत ढांचे के विस्तार के लिए होने वाला निवेश  कश्मीर के लिए सकारात्मक होगा। वहीं, ये मुद्दा पाकिस्तान के  लिए किसी बुरे सपने का संकेत है, जो कि उसके कश्मीर पर दावा करने वाले बरसों पुराने सपने को एक झटके में ही तोड़ने वाला है।

 

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