अफगानिस्तान में अमेरिका अपने पीछे तालिबान के रूप में सिर्फ एक कट्टरपंथी संगठन को छोड़कर नहीं गया, असल में वो कई आतंकी संगठनों के लिए मजबूत नींव तैयार करके गया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान में अमेरिकी सरकार द्वारा जो हथियार छोड़ा गया, अब वह कौड़ियों के दाम में खुलेआम बिक रहा है। इसको खरीदने वाले कट्टरपंथी देश या संगठन इसका इस्तेमाल कहीं भी लूट-पाट या आतंक मचाने के लिए कर सकते हैं।
दरअसल, 80 के दशक से ही अमेरिका, अफगानिस्तान में स्थित अफगान मुजाहिदीन को भारी मात्रा में हथियारों की आपूर्ति कर रहा था। पिछले 20 सालों में अमेरिकी सेना के समर्थन से अफगानिस्तान में सरकार चल रही थी। अब अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से बड़ी संख्या में अमेरिका निर्मित हथियार और अन्य अति-आधुनिक सामान अब पाकिस्तान के कराची, लाहौर, पेशावर, गुजरांवाला और खैबर पख्तूनख्वा के बाजारों में पहुंच गए हैं। पाकिस्तान में दुकानदारों ने अपनी दुकानों के बाहर “अमरीकी फौज का माल-ए-गनीमत” (अमेरिकी सेना से लूटा हुआ) लिखा हुआ बोर्ड लगा दिया है।
FATA में आने वाला दर्रा आदम, जिज़ खैबर दर्रा के नाम से भी जाना जाता है, यहां कौड़ियों के भाव में अमेरिकी हथियार और सैन्य उपकरण मिल रहे हैं। यह खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अंतर्गत आता है। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा के बाद अब पाकिस्तान के शहरों में हथियारों के बाजार संपन्न हो गए हैं। कई जगहों पर तो पाकिस्तानी दुकानदारों ने कैमरे पर स्वीकार किया कि उनके द्वारा बेचा जा रहा माल (हथियार) “लूट का माल” है जिसे तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया था। उनका मानना है कि तालिबानी उनके भाई हैं, इसलिए हर पाकिस्तानी इन सामानों को खरीदने पर गर्व महसूस करता है।
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सब्जियों की तरह लग रही बंदूक की दुकानें
दर्रा आदम में आज भी M16 स्वचालित राइफल को एक खरीदार मात्र 180,000 से 230,000 पाकिस्तान रुपये की कीमत में खरीद सकता है। डॉलर में यह रकम $1,800 से $2,300 होगी। ग्लॉक (ऑस्ट्रियाई पिस्टल बंदूक) की कीमत 30,000 से 35,000 रुपये है, यानी इसको भी $ 350 से कम में खरीदा जा सकता है। पाकिस्तान के इन दुकानों में M16 US राइफल और M4 कार्बाइन के अलावा बुलेटप्रूफ जैकेट, नाइट विजन गॉगल्स, स्पाईकैम, नॉर्मल टेजर गन, टेजर स्टिक और असॉल्ट हथियारों के सामान खुलेआम बेचे जा रहे हैं।
कम से कम चार यूएस सुपर टूकानो जेट फाइटर्स, जिनमें से प्रत्येक की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2000 करोड़ रुपये है, उसको भी अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान में पीछे छोड़ दिया है। काबुल में 73 अमेरिकी विमान हैं और उनमें से अधिकांश का अब उपयोग नहीं किया जा सकता है। टाइम्स के अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में 200 से ज्यादा अमेरिकी विमान और हेलिकॉप्टर पीछे छूट गए हैं।
भगोड़ों की शरणस्थली है दर्रा आदम बाजार
यह बाजार पूरी दुनिया में सबसे सस्ते हथियार के लिए प्रसिद्ध है। यह कस्बा उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों को पार करते हुए दो लेन के राजमार्ग पर नो मेन्स लैंड में स्थित है जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में FATA कहा जाता है। यहां देश के कानून सामान्य रूप से लागू नहीं होते हैं। यह 150 साल पुराने हथियारों का बाजार है जो बंदूक प्रेमियों के लिए किसी डिज्नीलैंड से कम नहीं है। यह कस्बा अफगान सीमा से दूर नहीं है और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद को प्रांतीय राजधानी पेशावर से जोड़ने वाले राजमार्ग से महज 20 मिनट की दूरी पर है।
आम दिनों में दर्रा आदम आवारा लोगों, ड्रग डीलरों और भगोड़ों की शरणस्थली रहता है, सारे बड़े अपराधी भागकर यहां आते हैं। इस क्षेत्र में नियम के अनुसार पुलिस भी काम नहीं कर सकती है। इसके ठीक बगल में पश्तून लड़ाकों की पहाड़ियां हैं जो जनजातीय क्षेत्रों का प्रतीक है और वहां आज भी कट्टरपंथी कबीले जातिय पश्तूनों के परिक्षेत्रों के बीच रहते हैं।
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इस्लाम में माल-ए-गनीमत को हराम माना जाता है लेकिन इस समय चरमपंथियों को किसी भी चीज से फर्क नहीं पड़ता। यह आवश्यक है कि भारत के नीति निर्माताओं में यह चर्चा का विषय बने। ऐसा होने से भारत में आतंकी गतिविधियां बढ़ने की आशंका है। ऐसे में भारत सरकार को सजगता से इस विषय को संज्ञान में लेकर काम करना चाहिए और समय से पहले ही इस आने वाले मुसीबत को टाल देना चाहिए।