विराट एंड कंपनी ने भारतीय क्रिकेट को कैश से चलने वाला ड्रामा शो बना दिया है

भारत क्रिकेट

भारत में क्रिकेट एक खेल नहीं जुनून है। भारतीय टीम की जीत हो या हार आम जनमानस की मनोस्थिति पर भी प्रभाव डालती। जब एक खिलाड़ी को ही भगवान का दर्जा दिया जा सकता है तो आप समझ सकते हैं कि इस देश में क्रिकेट का क्या महत्व है। आज भारत क्रिकेट का वैश्विक ताकत है, चाहे वो खेलने के मामले में हो या आर्थिक बल हो। यह विरासत आज कल की नहीं, बल्कि जब से भारत का क्रिकेट  में उदय हुआ है तब से अब तक की है।

कर्नल सी.के. नायडू भी, वीनू मांकड़, विजय हजारे, लाला अमरनाथ, अजीत वाडेकर, सुनील गावस्कर, कपिल देव, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले और एमएस धोनी जैसे कई पूर्व कप्तान भारत की लोकप्रिय संस्कृति के प्रतीक बने। समग्र रूप से देखा जाए भारत की क्रिकेट संस्कृति गौरवशाली रही है, लेकिन इस समृद्ध विरासत को अब एक दयनीय, ​रुपए से चलने वाले नाटक शो में तब्दील कर दिया गया है।

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 पाकिस्तान के खिलाफ विराट एंड कंपनी की शर्मनाक हार

मौजूदा वर्ल्ड टी20 के अपने उद्घाटन मैच में टीम इंडिया का सामना पाकिस्तान से हुआ। विश्व कप मैचों में अब तक भारत का चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ कभी न हारने का रिकॉर्ड रहा है। भारत आज तक आईसीसी विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ एक भी मैच नहीं हारा था। चाहे वो 1992 का यादगार मैच हो या उसके बाद 1996, 1999, 2003, 2007, 2011, 2012, 2014, 2015, 2016, या फिर 2019 का मुकाबला ही क्यों न हो। अब तक सभी भारतीय कप्तानों ने भारत को पाकिस्तान के खिलाफ जीत दिलाई थी। कल उसी विरासत का अंत हो गया जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ टी 20 मैच दस विकेट से हार गया। प्रशंसकों को पता है कि क्रिकेट का मैदान सैन्य युद्ध का मैदान नहीं है और हम हर क्रिकेट मैच जीते ये आवश्यक नहीं है । परंतु यहां सवाल यह उठता है कि टीम ने पाकिस्तान के सामने मुकाबला क्यों नहीं किया और पहले ही हथियार क्यों डाल दिया। 151 रन बनाने के बाद भी किसी टी 20 मैच में दस विकेट से हार जाना वह भी 2.1 ओवर शेष रहते हुए कोई मामूली बात नहीं हैं।

टीम इंडिया के साथ बड़ी समस्या

पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम की हार कोई अचानक पैदा होने वाली समस्या नहीं है, बल्कि इसके लक्षण तो कई दिनों पहले से ही दिखाई देने लगे थे जब टीम चयन से लेकर गुटबाजी के आरोप लगे थे। इतिहास देखा जाए तो पहले खिलाड़ी भारत के लिए मैच खेलते थे अब Influencer मैच खेलते हैं जिनका काम सिर्फ अपना सोशल मीडिया एंगेजमेंट बढ़ाना है। इसी का नमूना हमें कल मैच में भी देखने को मिला जब दुबई में अपने T20WC मैच की शुरुआत से पहले ब्लैक लाइव्स मैटर (BLM) आंदोलन के समर्थन में घुटने टेकने की नौटंकी की। इन्हें अमेरिका में BLM के नाम पर अराजकता फैला रहे लोगों से सहानुभूति है, लेकिन पड़ोस के देश बांग्लादेश में हिंदुओं की हो रही हत्या से कोई मतलब ही नहीं है।

एक तरफ कप्तान विराट दिवाली पर हिंदुओं को उपदेश दे रहे हैं हैं, दूसरी तरफ इनसे पहले हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी koffee with Karan के शो कर जा कर पूरी टीम की नाक कटवा रहे थे। कुछ खिलाड़ी इंस्टाग्राम पर रील्स बनने में व्यस्त हैं तो कुछ विज्ञापन shoot करने में। अर्थात खिलाड़ी खेलने के अलावा सब कुछ करने में व्यस्त हैं।

अगर यह कहा जाए कि विराट और साथी खिलाड़ियों ने भारतीय टीम को पैसे से चलने वाले नाटक समूह में बदल दिया है तो गलत नहीं होगा।

आप अपनी ये सभी गतिविधियां जारी रख सकते हैं बशर्ते आपका प्रदर्शन खराब नहीं होना चाहिए। भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों ने 89 वर्षों तक अपने क्रिकेटरों का समर्थन किया है और वे अपने क्रिकेटरों को केवल एक शर्त पर समर्थन करेंगे- प्रमुख आईसीसी टूर्नामेंटों में प्रभावशाली परिणाम।

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जब भी मैच होता है एक भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों इसी उम्मीद से मैच देखता है कि भारत की जीत होगी। खासकर तब जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पास तमाम सुविधाएं और वित्तीय संसाधन उपलब्ध हैं। 1990 के दशक की शुरुआत के बाद भारत ने लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार किया। कपिल देव की कप्तानी से सिलसिला आरंभ हुआ था जिसे कई दिग्गजों ने आगे बढ़ाया, परंतु यह MS Dhoni तक ही सीमित रह गई। पाकिस्तान के खिलाफ इस हार की टीस आने वाले वर्षों तक रहने वाली है।

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