त्रिपुरा में जो हो रहा है वो मुस्लिम विरोधी दंगे नहीं है, वास्तव में यह बिल्कुल विपरीत है

त्रिपुरा मुस्लिम

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हुए हमलों और उसके बाद भारत-पाकिस्तान के मैच के दौरान पाकिस्तान की जीत के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा पटाखे फोड़े जाने की खबरों ने मुस्लिम सांप्रदायिकता को लेकर लोगों के बीच विमर्श पुनः शरू कर दिया है। ऐसे में वामपंथी मीडिया ने नैरेटिव को बदलने के लिए कथित रूप से त्रिपुरा में हो रहे दंगों की कहानी लेकर सामने आई है।

द वायर, न्यूज लॉन्ड्री, scroll.in जैसे प्रोपेगेंडा वेबसाइट के माध्यम से यह अफवाह उड़ाई जा रही है कि विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच की संयुक्त रैली के दौरान मस्जिद में आग लगाई गई और मुस्लिम समुदाय कि उन दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया जो मस्जिद के आसपास स्थित थीं। विश्व हिंदू परिषद ने 1 सप्ताह पूर्व बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध एक रैली का आयोजन किया था।

हालांकि, पुलिस ने मस्जिद में आग लगाए जाने अथवा उसे तोड़े जाने जैसी किसी भी घटना से इनकार किया है और इसे अफवाह करार दिया है। त्रिपुरा पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि “कुछ लोग फर्जी सोशल मीडिया आईडी का इस्तेमाल कर त्रिपुरा में फर्जी खबरें/अफवाहें फैला रहे हैं। सूचित किया जाता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिल्कुल सामान्य है।”

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पुलिस ने अफवाहों का खंडन करते हुए कहा “उत्तरी त्रिपुरा के पानीसागर में कल की विरोध रैली के दौरान कोई भी मस्जिद नहीं जलाई गई और मस्जिद को जलाने या क्षतिग्रस्त करने या लाठी आदि इकट्ठा करने की जो तस्वीरें साझा की जा रही हैं, वह सभी नकली हैं और त्रिपुरा की नहीं हैं।  वे किसी अन्य देश की हो सकती हैं।

हम सभी समुदायों के लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे ऐसी फर्जी आईडी का समर्थन न करें और उसमें भाग न लें। ऐसी नकली तस्वीरें न फैलाएं। हमने पहले ही मामले दर्ज कर लिए हैं और फर्जी खबरें और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कुछ निहित स्वार्थ त्रिपुरा की शांतिपूर्ण सांप्रदायिक स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।  त्रिपुरा पुलिस त्रिपुरा के प्रत्येक नागरिक से त्रिपुरा में कानून-व्यवस्था और शांति बनाए रखने में मदद करने का अनुरोध करती है।”

हालांकि, त्रिपुरा पुलिस की बातों का स्वार्थी तत्वों पर कोई असर नहीं पड़ा और ट्विटर पर #SaveTripuraMuslims ट्रेंड करता रहा।

राहुल गांधी के ट्विटर हैंडल के अलावा AIMIM के आधिकारिक ट्विटर हैंडल, शेहला राशिद, राणा अय्यूब आदि कई लोग इस दुष्प्रचार अभियान में जुट गए। इनका उद्देश्य त्रिपुरा के बारे में झूठी अफवाहें फैलाकर बिप्लव देव सरकार और त्रिपुरा के हिंदुओं का नाम खराब करना था।

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महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय तृणमूल कांग्रेस भी त्रिपुरा में विस्तार के लिए अवसर तलाश रही है। वहीं, त्रिपुरा के सीमा से सटे बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों का सीधा प्रभाव त्रिपुरा की स्थानीय राजनीति पर पड़ रहा है। वहीं, असम में हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों पर जिस तेजी से कार्रवाई की जा रही है उसका प्रभाव त्रिपुरा की मुस्लिम आबादी पर मनोवैज्ञानिक रूप से पड़ रहा है। ऐसे में मुस्लिम सांप्रदायिकता के पनपने और उसकी प्रतिक्रिया में हिंदू सांप्रदायिकता के जन्म लेने के लिए बिल्कुल अनुकूल माहौल बन गया है। दुर्भाग्य से इस संदेश के माहौल को खत्म करने के बजाए विपक्षी दल और वामपंथी मीडिया संस्थान मौके का फायदा उठा रहे हैं और मुस्लिम समुदाय को भड़काने के लिए तरह-तरह की अफवाहें फैला रहे हैं।

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