आप अपना घर किसे किराये पर दे रहें? पाक आतंकी अशरफ अली की गिरफ़्तारी ये सवाल पूछने पर विवश करती है

10 सालों से नाम बदलकर भारत में किरायदार बनकर रह रहा था पाक आतंकी

आतंकी मोहम्मद अशरफ अली

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आप अपने घर में यदि किसी को आश्रय दे रहे हैं, तो क्या आप ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि वह एक सभ्य, कर्मठ व्यक्ति है या उसके भेस में कोई असामाजिक तत्व, जिसका एक ही उद्देश्य है – समाज का समूल विनाश? दिल्ली में हाल ही में एक आतंकी मोहम्मद अशरफ अली पकड़ा गया है, जो नवरात्रि और दीपावली के अवसर पर शहर में आतंकी हमला करने की फिराक में था, लेकिन उसकी गिरफ़्तारी के समय जो दस्तावेज़ और साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, उससे पता चलता है कि उसका नेटवर्क कितना सशक्त था और हमें किसी को भी अपना घर किराये पर देने से पहले क्यों दस बार सोचना चाहिए?

एक दशक से नाम बदलकर रह रहा था यह आतंकी

दरअसल, दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर क्षेत्र से मोहम्मद अशरफ अली को हिरासत में लिया है। वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का निवासी है और नवरात्रि के साथ-साथ दीपावली पर कुछ बड़ा करने की फिराक में था, लेकिन उससे पहले ही उसे हिरासत में लेकर पुलिस ने एक बड़ी आतंकी घटना को होने से टाल दिया। खबरों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद अशरफ के पास से एके-47 राइफल के साथ एक अतिरिक्त मैगजीन व 60 राउंड, एक हथगोला और 50 राउंड के साथ 2 अत्याधुनिक पिस्टल जब्त की है। वह अली अहमद नूरी के नाम से फर्जी पहचान पत्र बनवाकर दिल्ली में रह रहा था।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद अशरफ अली के खिलाफ UAPA, Explosives एक्ट, शस्त्र अधिनियम एवं अन्य प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई होगी। इसके अलावा लक्ष्मी नगर के रमेश पार्क में जिस जगह पर वह रह रहा था, वहां भी तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने आतंकी को पकड़ तो लिया लेकिन यह भारत के लिए चिंता का विषय है। मोहम्मद अशरफ अली कुछ महीनों या वर्षों से नहीं, बल्कि लगभग एक दशक से फर्जी पहचान पत्रों के सहारे भारत में निवास कर रहा था। वह आतंकियों के स्लीपर सेल के रूप में देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश में था।

वर्तमान घटना से दो बातें स्पष्ट होती हैं – एक तो किसी पर भी आँख मूँद कर विश्वास करना प्रथम दृष्टया गलत है, और दूसरा, यदि व्यक्ति आपको सभी दस्तावेज़ दिखाने को तैयार हो, तो भी उसपर पूर्णतया विश्वास न करें। पुलिस सत्यापन के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। यदि आप किसी को अपना घर किराये पर दे रहे हैं, तो आपको उस व्यक्ति का बैकग्राउन्ड अवश्य चेक करा लेना चाहिए।

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मौलाना बनकर रहता था मोहम्मद अली

मोहम्मद अशरफ अली बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था और भारत आकर उसने यहां का पासपोर्ट भी बनवा लिया। वह देश के जिन-जिन शहरों में रहा, वहां मौलाना बनकर रहता था। पुलिस के अनुसार आतंकी अली, दिल्ली के स्लीपर सेल का मुखिया था और भारत आने वाले आतंकियों को हथियार और लॉजिस्टिक उपलब्ध कराता था। इस विषय पर दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के DCP प्रमोद कुशवाहा ने भी प्रकाश डाला है।

प्रमोद कुशवाहा ने कहा, “हाल ही में एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद अशरफ दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया है। वह भारतीय पहचान पत्रों के माध्यम से भारत में एक दशक से भी अधिक समय से रहा है। प्रारंभिक जांच से सामने आ रहा है कि वह स्लीपर सेल एवं गुप्त गतिविधियों को संचालित करने में प्रमुख भूमिका निभाता था”।

अब कल्पना कीजिए, जब एक मोहम्मद अशरफ अली का यह हाल है, तो ऐसे न जाने कितने अशरफ अली हमारे और आपके बीच में होंगे, जिन्हें हम अपने घर में विभिन्न कारणों से आश्रय भी देते होंगे। क्या पता वे किसी और नाम से आपके और हमारे बीच रह रहें हो? क्या पता आपके और हमारे बीच एक आतंकी भी रह रहा हो और हमें इस बात की जानकारी भी नहीं? इसी की ओर संकेत देते हुए दिल्ली पुलिस ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में इसके नेटवर्क में और भी कई लोग हैं और जल्द ही कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

पूछताछ में मोहम्मद अशरफ अली ने बताया कि वह कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है। इनमें जम्मू-कश्मीर में अंजाम दी गई आतंकी घटनाएं भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, पुलिस छापेमारी में जब्त कई हथियार तो उसने दिल्ली के कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी के किनारे बालू के नीचे दबा कर रखे थे। इसके साथ ही उसने कुछ नकदी भी वहां छुपा रखी थी। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि भारत में ये हथियार और पैसे उसे किसने मुहैया कराए थे।

ISI से था इसका संपर्क

जांच में पता चला है कि वह पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई के लगातार संपर्क में था। उसके मोबाइल से पाकिस्तान के कई नंबर मिले हैं। उसके मोबाइल पर ज्यादातर VOIP के माध्यम से फोन कॉल आते थे, ताकि सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक ना लगे। अली को बड़ा काम करने का हुक्म आईएसआई से मिला था। पुलिस उसकी कॉल डिटेल खंगाल रही है, साथ ही उसके बैंक एकाउंट के बारे में भी जांच की जा रही है।

अक्सर ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियां त्योहारों के दौरान अलर्ट पर रहती हैं, क्योंकि ये आतंकी त्याहारों की भीड़-भाड़ में अपनी मंशा को अंजाम देने की प्लानिंग करते हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस ने मोहम्मद अशरफ अली के रूप में ‘लोन वुल्फ़ अटैक’ के अंतर्गत एक बहुत बड़ी साजिश को विफल किया है। लोन वुल्फ अटैक का मतलब होता है, ऐसा घातक हमला जिसे बिना टीम के अंजाम दिया जाए।

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इस मामले को देहरादून के वर्तमान घटना से भी जोड़कर देखा जा सकता है, जहां पर एक पूर्व नौकर ने अपने ही मालकिन और उसके नये सेवक को घृणा के आवेश में जान से मार दिया। अब जब ये सिद्ध हुआ कि किस प्रकार से मोहम्मद अशरफ अली कई वर्षों से कई पहचान पत्रों के जरिए भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता आ रहा था, तो इतना तो स्पष्ट है कि किसी भी व्यक्ति को अपने घर में आश्रय देने से पहले आपको उसका पूरा बैकग्राउन्ड चेक, उसका पुलिस सत्यापन इत्यादि कराना काफी जरुरी है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो इसका परिणाम मोहम्मद अशरफ अली जैसा घातक भी हो सकता है।

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