कोयले की कमी की झूठी कहानी क्यों सुना रहे हैं केजरीवाल?

जब दिल्ली में कोयले के प्रयोग पर ही रोक है, तो कोयले की कमी की बात क्यों कही जा रही है?

कोयले की कमी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी मिट्टी पलीद करने के लिए खुद जिम्मेदार हैं। अब ताजा मामला कोयले की कमी से सम्बंधित है। इसके लिए अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है और तुरन्त मामलें को संज्ञान में लेने को कहा है। इस बहती गंगा में वे हाथ धोते लेकिन इस बार उनका प्लान फेल हो गया और ये विपक्ष ने नहीं किया, बल्कि खुद आम आदमी पार्टी ने किया है।

पूरे देश में इस समय कोयले की कमी के चलते ऊर्जा संकट चल रहा है। दिल्ली इससे दूर नहीं है। खैर ये संकट इसलिए नहीं आया है क्योंकि कोयला कम है, यह संकट इसलिए बड़ा है क्योंकि ऊर्जा खपत में भारी बढ़ोतरी हुई है। 2019 में इसी अवधि की तुलना में अकेले पिछले दो महीनों में बिजली की खपत में लगभग 17% की वृद्धि हुई है। साथ ही वैश्विक कोयले की कीमतों में 40% की वृद्धि हुई और भारत का आयात दो साल के निचले स्तर पर आ गया।

केजरीवाल और उनकी चिठ्ठी में दावे-

दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली और देश के अन्य हिस्से बिजली संकट के कगार पर हैं क्योंकि बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति घट रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें कोयले की कमी को जल्द से जल्द हल करने के लिए उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग की गई ताकि ब्लैकआउट को टाला जा सके।

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने शनिवार को राजधानी में बिजली की स्थिति की समीक्षा के लिए एक आपात बैठक में भाग लेने के बाद कहा, “पूरा देश कोयले की कमी का सामना कर रहा है, जिसके कारण बिजली संयंत्र ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं।” “दिल्ली को बिजली की आपूर्ति करने वाले सभी बिजली संयंत्रों को कोयले का 30-दिन का आरक्षित स्टॉक रखना चाहिए, लेकिन वर्तमान में केवल एक दिन का स्टॉक बचा है। बिजली संयंत्र आवश्यक मात्रा में बिजली का उत्पादन करने में सक्षम नहीं हैं।अगर उन्हें पीक समय में पूरी क्षमता से चलाया जाए तो यह बहुत बड़ी राहत होगी।

केजरीवाल ने पत्र में कहा कि कोयले की कमी की स्थिति पिछले तीन महीनों से बनी हुई है और इससे राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले प्रमुख केंद्रीय संयंत्रों में बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है।

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सरकार ने कहा, न कोयले की कमी थी और न ही होगी

वहीं केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को आश्वासन दिया कि राजधानी दिल्ली को आवश्यक मात्रा में बिजली की आपूर्ति की जा रही है और यह जारी रहेगी। बिजली मंत्रालय के साथ बैठक की अध्यक्षता करने के बाद, आरके सिंह ने कहा, “GAIL द्वारा बवाना गैस पावर प्लांट को सूचित किया कि वह दो दिन बाद से गैस की आपूर्ति बंद कर देगा क्योंकि उनका अनुबंध समाप्त होने वाला था। इसके बाद देश में दहशत फैलाने का काम किया गया।”

आरके सिंह ने कहा, “मैंने आज की बैठक में भाग लेने वाले गेल के सीएमडी से आवश्यक आपूर्ति जारी रखने के लिए कहा है।उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि आपूर्ति जारी रहेगी। न तो अतीत में गैस की कमी थी और न ही भविष्य में होगी। वास्तव में, न तो कोई संकट था और न ही कोई संकट होगा। इसे अनावश्यक रूप से बनाया गया है।”

AAP का झूठ आया सामने 

मामलें से जुड़े तथ्य सामने आने के बाद लोगों ने अरविंद केजरीवाल की फिरकी लेना शुरू कर दिया। लोगों ने आम आदमी पार्टी का ट्वीट उठाया जो 2019 में लिखा गया था। 13 अक्टूबर 2019 को किये गए ट्वीट में लिखा है, “हमने दिल्ली में कोयले के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी हैl अब दिल्ली में बिजली उत्पादन के लिए कोयले का नहीं गैस का प्रयोग किया जायेगा l”  

दिल्ली पहला मॉड्यूलर राज्य है जिसमें कोई कोयला आधारित बिजली संयंत्र नहीं है।

#DelhiFightsPollution

इसके बाद लोगों ने कहा कि जब दिल्ली में फैक्ट्री है ही नहीं तो कोयला संकट किस बात का? लोगों ने तो यह भी कहना शुरू कर दिया कि अवसरवादी पार्टी होने के चलते ये झूठा संकट बनाया गया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल को फ्री बिजली देने से मुक्ति चाहिए और इसके लिए वह ऐसी बातें कर रहे हैं। राज्य सरकार पर पहले से ही बोझ बना हुआ है जिसको कोयले की कमी के आड़ में पूरा कर लिया जाएगा।

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