मेरठ के कुख्यात कार चोरी सिंडिकेट सरगना हाजी गल्ला को सीएम योगी ने दिया करारा झटका

90 के दशक से ही चोरी की गाड़ियों को ठिकाने लगा रहा था गल्ला!

सोतीगंज

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“क्या आपने कभी सोचा है कि दिल्ली में चोरी हुए दोपहिया और चौपहिया वाहन आखिर कहां जाते हैं? अगर आप उत्तर प्रदेश के भीतरी इलाकों में ड्राइव करेंगे तो आप समझ जाएंगे  कि आपके वाहन कहां जा रहे हैं। खबरों की मानें तो मेरठ के कुख्यात ऑटोमोबाइल पार्ट्स बाजार “सोतीगंज” में दिल्ली से चोरी की गई कारें स्क्रैप के रूप में समाप्त होती हैं।

सोतीगंज इलाका पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित है जो अवैध ऑटोमोबाइल पार्ट्स बाजार और चोरी की कारों का केंद्र है। इसे अक्सर “कारों के मुर्दाघर” के रूप में जाना जाता है। सोतीगंज में सैकड़ों ठेकेदार या बिचौलिए सक्रिय हैं, जो चोरी की कारों को खरीदकर बेचने हेतु इस बाजार में लाते हैं। कार  के सभी कल पुर्जों को विभिन्न दुकानों में बेच दिया जाता है और जो कुछ गोदाम में बचता है वह है- वाहन का ढांचा।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) से चोरी की गई कारों के सोतीगंज पहुंचने की संभावना सबसे प्रबल होती है। सोतीगंज में सैकड़ों ठेकेदार या बिचौलिए सक्रिय हैं, जो चोरी की कारों को खरीदकर बाजार में लाते हैं। चोर इन ठेकेदारों से संपर्क करते हैं, जो सोतीगंज गोदाम मालिकों से बात करते हैं। फिर इसमें शामिल सभी पक्षों के बीच मुनाफे का बंटवारा होता हैं।

सभी पक्षों के सहमत होने के बाद, कार को ठेकेदार के निर्देशानुसार एक गोदाम में ले जाया जाता है, जहां ऑटोमोबाइल यांत्रिकी का एक समूह मिनटों के भीतर वाहन के कलपुर्जों को उखाड़ देता है। कार के सभी पुर्जों को विभिन्न दुकानों में बेच दिया जाता है और गोदाम में सिर्फ कार का ढांचा बचता है, जिसके कारण उसे पहचानना या उसपर दावा करना असंभव हो जाता है।

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गल्ला गिरोह के काले करतूत और योगी का वार

दरअसल, दशकों से मेरठ में अत्यधिक लाभदायक “कार ब्रेकिंग” व्यवसाय पर एक परिवार की पूरी पकड़ थी। लेकिन अक्टूबर में 70 वर्षीय गल्ला, जिसका वास्तविक नाम हाजी नईम है और उसके चार बेटें, हजी इकबाल, मन्नू अहमद, मोहम्मद जीशान और तुफैल अहमद ने यूपी पुलिस की छापेमारी और निगरानी के बाद आत्मसमर्पण कर दिया। उसकी 10 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली गई। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों को लगता है कि यह सिर्फ एक छोटी मछली है।

आप इस गिरोह के व्यवस्थित कार्यशैली का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछले साल मई में चांदनी चौक की पार्किंग से एक सेडान गाड़ी चोरी हो गई थी और तीन घंटे में सोतीगंज ऑटोमोबाइल स्क्रैप मार्केट पहुंच गई। उसके बाद केवल 15 मिनट में पूरे कार को खोल दिया गया। उसके कलपुर्जों को दुकानों पर बेचने के लिए अलग रखा गया और कुछ को चोरी के एक अन्य सेडान में “प्रत्यारोपित” कर दिया गया। इस तरह चोरी कि गई दो सेडान गाड़ियों का अस्तित्व परिवर्तन कर दिया गया। जब एक गाड़ी के अंदर के सारे कलपुर्जे जैसे- इंजन संख्या, चेसिस संख्या आदि ही बदल दिए गए हों, तो आप अपनी गाड़ी पर दावा कैसे कर पाएंगे?

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जांच का नेतृत्व कर रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूरज राय ने कहा, “हम इस बिंदु पर एक आंकड़ा नहीं दे सकते हैं कि गल्ला की कीमत कितनी है। अभी भी सोतीगंज मार्केट में दुकानें और कैंट क्षेत्र में 1,200 वर्ग गज जमीन जैसी कई संपत्तियां हैं, जो उसके नाम पर नहीं हैं लेकिन हम मानते हैं कि वो उसी से संबंधित हैं। हम उसकी बेनामी संपत्तियों को भी देख रहे हैं।”

राय ने कहा कि गल्ला के खिलाफ हत्या सहित 30 से अधिक मामले दर्ज हैं। उस पर और उसके चार बेटों पर सितंबर में गैंगस्टर एक्ट के अलावा धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना), 414 (स्वेच्छा से चोरी की संपत्ति को छिपाने या निपटाने में सहायता करना), 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। गल्ला भी NSA अधिनियम और गुंडा अधिनियम के कई मामलों में मुख्य रूप से आरोपित है।

गल्ला और सोतीगंज चोर बाज़ार का उदय

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गल्ला ने एक छोटे मोटर मैकेनिक के रूप में अपना जीवन शुरू किया और पूर्ण रूप से इस सिंडिकेट को अपने नेतृत्व में ले लिया जिसमें ऑटो-लिफ्टर्स, वाहन स्क्रैपर्स और मैकेनिक शामिल थे, जो मिनटों में कार को खत्म करने में सक्षम थे। पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि उसने 90 के दशक के अंत में अवैध कारोबार में प्रवेश किया और इसका मालिक बन बैठा। हर साल दिल्ली और एनसीआर से गायब होने वाले कई वाहन सोतीगंज में पहुंच जाते हैं।  सोतीगंज बाजार की 300 दुकानों में से कम से कम 40% उसके नियंत्रण में हैं।

पकड़ने गई पुलिस पर कट्टरपंथियों द्वारा हमला

यह कुख्यात बाजार राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर स्थित है, जो राष्ट्रीय राजधानी को मेरठ से जोड़ता है। बाजार में  मौजूद 300 दुकानों में से केवल 47 ही माल एवं सेवा कर के तहत पंजीकृत है। नाम ना बताने कि शर्त पर एक कबाड़ डीलर ने बताया कि इस बाजार की कीमत का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन एक मोटे अनुमान के मुताबिक इसका सालाना कारोबार 500 करोड़ रुपये है। पुलिस अधिकारी बहुत समय से गल्ला के अत्याचारों से लोगों को निजात दिलाना चाहते थे।

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हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की पुलिस टीम ने तो चोरी के वाहनों को बरामद करने के लिए बाजार में छापा तक मारा लेकिन इस्लामी एकता के नाम पर एकत्रित हुई उन्मादी भीड़ ने उन्हीं पर हमला कर दिया। उन्हें अपना जीवन बचाने के लिए भागना पड़ा। साल 2015 में दिल्ली पुलिस कथित तौर पर अवैध व्यापार में शामिल दोपहिया सेवा केंद्र के मालिक को चोरी के आरोप में पकड़ने के लिए सादे कपड़े में बाजार पहुंची, लेकिन जिस क्षण टीम ने उसे गिरफ्तार किया भीड़ ने पुलिस टीम को ही घेर लिया और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। टीम किसी तरह जान बचाने में सफल रही।

मेरठ के पूर्व एसपी (शहर) रणविजय सिंह ने बताया कि वाहन चोरों और बाजार के मैकेनिक्स के बीच एक मजबूत गठजोड़ है, जो उच्च सुरक्षा गुणवत्ता वाले वाहनों को भी चुरा लेते हैं। इसके लिए उन्हें विशिष्ट प्रशिक्षण दी जाती है, ताकि ये सुरक्षा कोड डिजिटल रूप से चंद  मिनटों में खोल सकें। फिर मकैनिक वाहन के कलपुर्जों को तुरंत खोल देता है।

गल्ला, पुलिस और जनता के लिए सीख

“अम्मी कहती थी कोई भी धंधा छोटा या बड़ा नहीं होता” लगता है चोरों के सरदार गल्ला ने शाहरुख खान के इसी डायलॉग को आत्मसात कर लिया था। परंतु योगी जी कहते हैं, “वही धंधा या कार्य बड़ा होता है, जो संविधान के अनुरूप बड़े उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किया जाए।” गल्ला और गल्ला जैसे लोगों को यह सीखना ही होगा, क्योंकि अगर वो नहीं सीखें तो एक योगी उन्हें अपने हठधर्म से यह पाठ पढ़ा देगा।

इस पूरे प्रकरण से एक सीख राजस्थान और दिल्ली के पुलिस प्रशासन के लिए भी है। वो कहते हैं ना- “लातों के भूत बातों से नहीं मानते।” गल्ला जैसे लोग लातों के भूत हैं, इनकी अकल ठिकाने लगाने के लिए बल प्रयोग और शक्ति संचयन आवश्यक है। परंतु, कांग्रेस शासित प्रदेशों की पुलिस इन टुच्चे मवालियों से ज्यादा राजनीतिक शासकों के धर्मनिरपेक्षता की पीपड़ी की छलिया धुन से परेशान रहते हैं। इसी कारण वो खुलकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर पाते।

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तीसरी सीख पाठकगण और आम जनता के लिए है। पीढ़ियों से चली आ रही ऐतिहासिक विकृतिकरण ने आपके पौरूष में नपुंसकता तो भर ही दिया है, कम से कम इस नपुंसकता को आप आने वाली नस्लों में संक्रमित ना होने दें। राष्ट्र को सर्वोपरि रखें और सर्वदा एक राष्ट्रवादी शासक को ही चुनें। इस्लामी एकता की आड़ में इस्लामी धर्मांधता को चुनौती देना शायद आपके सामर्थ्य से बाहर है, परंतु धर्म और समाज की रक्षा के लिए एक ऐसा नायक चुनना आपके वश में है। जब-जब आप ऐसा करते हैं, आप राष्ट्र रक्षण का काम करते हैं।

निष्कर्ष

यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि मेरठ के बच्चे-बच्चे को सोतीगंज में होने वाले इस अवैध व्यापार के बारे में पूर्णतः पता होगा। पूर्ववर्ती बसपा और सपा शासकों को भी पूर्ण रूप से इसके बारे में ज्ञान होगा। अगर किसी चीज की कमी थी, तो प्रशासनिक स्तर पर साहस की और सामाजिक स्तर पर आपके जागरूकता और राष्ट्रभक्ति की। आप इस चीज को समझें कि कैसे इस्लामिक कट्टरपंथ का आह्वान कर राक्षस प्रवृत्ति का एक व्यक्ति पूरे संविधान और शासन तंत्र को विफल कर देता है। आप समझें कि ऐसे प्रवृत्ति वाले लोगों के मंसूबों को विफल करना आपका उत्तरदायित्व है।

आप यह भी समझें कि जब-जब आप अपने बच्चे को वैसे इलाके में भेजने से मना करते हैं, जिन इलाकों में आपको अनहोनी होने का डर होता है। ऐसे इलाकों से सृजित होने वाली समस्या का भान आपको तो है, परंतु आप उसके निवारण का भार अपने माथे पर नहीं लेना चाहते, क्योंकि आप डरते हैं! समाज और राष्ट्र की सुरक्षा से ज्यादा अपने व्यक्तिगत सुरक्षा को तरजीह देते हैं। अगर एक चोर और कुख्यात अपराधी पर प्रशासनिक कार्रवाई को अगर समाज का एक वर्ग एकजुट होकर विफल कर देता है, तो यह आपके राष्ट्र के लिए घातक है और इसपर आपकी चुप्पी शर्मिंदगी की परिचायक। भारत आपका घर है और इस घर में होने वाली किसी भी गंदगी के प्रति अपने उत्तरदायित्व का बोध ना होना, आपके रुधिर की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। वाक्य कर्कश है क्योंकि सत्य है।

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