वाराणसी में 17 हिंदू देवी-देवताओं को उनके ही मंदिरों में पुनः स्थापित किया जा रहा है

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास का सराहनीय कदम!

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर

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भारत की आध्यात्मिक नगरी वाराणसी और वहां के प्राचीन मंदिर हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखते हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है। यह स्थान शिव और पार्वती का आदि स्थान है, इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है। इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है। आज के परिदृश्य में अगर काशी विश्वनाथ मंदिर की बात करें, तो मोदी सरकार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के जरिए लगातार विकास कार्यों को बढ़ावा दे रही है। इसी बीच खबर है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के लिए खरीदे गए भवनों के ध्वस्तीकरण के समय परिसर में लगभग 60 छोटे-बड़े मंदिर सामने आए थे, उनमें से 17 मंदिरों को वैदिक रीति रिवाज के साथ पुन: स्थापित किया जाएगा।

काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी वाराणसी से दो बार सांसद चुने गए हैं। जब पीएम मोदी वाराणसी से पहली बार सांसद बनें, तब उन्होंने इस प्रसिद्ध मंदिर के सौन्दर्यीकरण के लिए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी। जिसे लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना का उद्घाटन भी करने वाले हैं।

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कॉरिडोर में होंगे 27 छोटे मंदिर

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बनने से काशी विश्वनाथ मंदिर की भव्यता और दिव्यता बढ़ चुकी है। काशी विश्वनाथ मंदिर अब सीधे गंगा तट से जुड़ चुका है। अब श्रद्धालु सीधे गंगा नदी में स्नान या आचमन करके काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के लिए खरीदे गए भवनों के ध्वस्तीकरण के समय परिसर में लगभग 60 छोटे-बड़े मंदिर सामने आए थे। पुराविदों से इन मंदिरों की प्राचीनता व ऐतिहासिकता का परीक्षण कराया गया, जिसके बाद अब उनमें से खास महत्व रखने वाले 17 मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इस कॉरिडोर में 27 छोटे मंदिर होंगे, जहां वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार विग्रहों को फिर से स्थापित किया जाएगा।

कॉरिडोर निर्माण की कार्यदायी एजेंसी लोकनिर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि भवनों के ध्वस्तीकरण के बाद मिले मंदिरों का जीर्णोद्धार शुरू किया जा रहा है और इसमें पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि मूल स्वरूप निखर कर सामने आ जाए। मंदिर श्रृंखला तैयार करने की जिम्मेदारी ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) को दी गई है और इस कॉरिडोर को बनाने में आने वाला खर्च श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद वहन करेगा। यह परियोजना मंदिर को गंगा के घाटों से जोड़ती है, जिसमें लगभग 320 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा एक पक्का पैदल मार्ग है। इसमें एक संग्रहालय, पुस्तकालय, तीर्थयात्रियों के लिए एक सुविधा केंद्र और एक मुमुक्ष भवन की सुविधा भी होगी।

आपने अक्सर सुना होगा कि कुछ लोगों को यह समस्या रहती है कि मंदिरों के जीर्णोद्धार के नाम पर मंदिरों का असल स्वरूप परिवर्तित किया जा रहा है, उनके मूल स्वरूप के साथ छेद छाड़ की जा रही है लेकिन ये मामला उन सभी को एक उपयुक्त प्रतिउत्तर के समान है। काशी विश्वनाथ के परिसर में 17 छोटे मंदिरों को शामिल किया जा रहा है, जो बाबा विश्वनाथ के मूल स्वरूप को वापस लाने में सहायक सिद्ध होंगे। यह कदम मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं, अपितु उनके असली स्वरूप में उन्हें वापस ढ़ालने का एक प्रयास है।

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मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा बार-बार किया गया क्षतिग्रस्त

बताते चलें कि काशी विश्वनाथ मंदिर को मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा बार-बार क्षतिग्रस्त किया गया। इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गोरी द्वारा तोड़ा गया था। इसे फिर से बनाया गया, लेकिन एक बार फिर इसे सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया। पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। इस भव्य मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए सेना भेज दी, लेकिन हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण शाहजहां की सेना विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को नहीं तोड़ सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए। अब वाराणसी के ऐतिहासिक और धार्मिक गौरव को पुनर्जीवित करने के लिए मोदी सरकार की ओर से लगातार विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है!

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