पेश है 2014 के बाद से मोदी सरकार द्वारा किये गए संवैधानिक संशोधनों का लेखा-जोखा

जानिए 2014 के बाद से कितना बदला संविधान!

pm modi संविधान संशोधन

साल 2014 के बाद जब से देश में मोदी सरकार बनी है, तब से देश में कई संवैधानिक बदलाव हुए हैं। मोदी सरकार एक कर्मठ और कर्तव्यपरायण सरकार है। इस तथ्य को स्थापित करते हैं, मोदी सरकार द्वारा किए गए संविधान संशोधन। संविधान संशोधन वास्तव में कानून बनाने की एक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से संसद द्वारा संविधान के किसी भी हिस्से में बदलाव, परिवर्तन या निरस्तीकरण कर कानून बनाने का मार्ग खोला जाता है। भारतीय संविधान में कोई भी संशोधन करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया संविधान के भाग 20 में उल्लेखित अनुच्छेद 368 में निर्धारित की गई है।

एक संशोधन विधेयक को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा अपनी कुल सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से पारित करने की आवश्यकता होती है।

अब तक संसद में 126 संशोधन विधेयक पेश किए जा चुके हैं, जिनमें से 105 संशोधित होकर अधिनियम बन गए हैं। संशोधनों को पारित करने के लिए जटिल प्रक्रिया और बहुमत के बावजूद, भारतीय संविधान दुनिया का सबसे अधिक बार संशोधित राष्ट्रीय दस्तावेज है। चूंकि भारत का संविधान पहली बार वर्ष 1950 में लागू किया गया था,  71 साल बाद, 10 अगस्त 2021 तक भारतीय संविधान के 105 संशोधन दर्ज किए गए हैं।

मोदी सरकार द्वारा पिछले पाँच वर्षों में किए गए कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों को इस लेख में संकलित किया गया है।

99वां संशोधन

  1. अनुच्छेद संशोधित: अनुच्छेद 127, 128, 217, 222, 224ए, 231।
  2. अनुच्छेद सम्मिलित: 124A, 124B और 124C।
  3. लागू होने की तिथि : 13 अप्रैल, 2015।
  4. राष्ट्रपति: प्रणब मुखर्जी।

उद्देश्य:

इस संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन की परिकल्पना की गयी। अर्थात इस आयोग के माध्यम से केंद्र सरकार न्यायाधीशों का चयन स्वयं करने में सक्षम हो जाती है। गोवा, राजस्थान, त्रिपुरा, गुजरात और तेलंगाना सहित 29 राज्यों में से 16 राज्यों की विधानसभाओं ने इस केंद्रीय विधान की पुष्टि की, जिससे राष्ट्रपति को इस विधेयक को मंजूरी देने में मदद मिली। इस आयोग की स्थापना 13 अगस्त, 2014 को लोकसभा और 14 अगस्त, 2014 को राज्यसभा द्वारा पारित 99 संविधान संशोधन के माध्यम से भारत के संविधान में संशोधन करके की गई थी।

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के कार्यों को परिभाषित करने के लिए संवैधानिक संशोधन अधिनियम के साथ-साथ राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 भी भारत की संसद द्वारा पारित किया गया था। 31 दिसंबर 2014 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बिल को मंजूरी दे दी।

परंतु, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के साथ कई व्यक्तियों और निकायों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 बहुमत से इस संविधान संशोधन कानून को रद्द कर दिया।

100वां संशोधन

  1. अनुसूचियों में संशोधन: पहली अनुसूची।
  2. लागू: 1 अगस्त, 2015।
  3. राष्ट्रपति: प्रणब मुखर्जी।

उद्देश्य:

भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौते (एलबीए) संधि पर हस्ताक्षर के परिणामस्वरूप बांग्लादेश के साथ कुछ एन्क्लेव क्षेत्रों का आदान-प्रदान और एन्क्लेव के निवासियों को नागरिकता अधिकार प्रदान करना ही इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य था।

भारत-बांग्लादेश ने 1974 में सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। परंतु, इसके अनुपालना हेतु संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता थी। इसलिए, यह संशोधन अधिनियमित किया गया था। भारत और बांग्लादेश पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम को कवर करते हुए 4,096 किलोमीटर की भूमि सीमा साझा करते हैं।

यह सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जिसे भारत अपने पड़ोसियों के साथ साझा करता है। यह विधेयक 16 मई, 1974 को दोनों देशों के बीच क्षेत्रों के अधिग्रहण और हस्तांतरण पर भारत और बांग्लादेश द्वारा किए गए एक समझौते को प्रभावी करने के लिए भारतीय संविधान की पहली अनुसूची में संशोधन करता है।

101वां संशोधन

  1. अनुच्छेद संशोधित: अनुच्छेद 248, 249, 250, 268, 269, 270, 271, 286, 366, 368।
  2. अनुसूचियों में संशोधन: छठी अनुसूची और सातवीं अनुसूची।
  3. अनुच्छेद सम्मिलित: 246A, 269A, 279A।
  4. अनुच्छेद हटाए गए: 268A
  5. लागू होने की तिथि : 1 जुलाई, 2017।
  6. राष्ट्रपति: प्रणब मुखर्जी।

उद्देश्य:

इस संविधान संशोधन के माध्यम से मोदी सरकार ने देश के आर्थिक इतिहास का सबसे बड़ा परिवर्तन किया। यह अप्रत्यक्ष कर सेवा में अब तक का सबसे बड़ा परिवर्तन भी है। इसने वस्तु एवं सेवा कर की शुरुआत की।

माल और सेवा कर राष्ट्रीय स्तर पर सेवाओं के साथ-साथ वस्तुओं के निर्माण, बिक्री और खपत पर एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर लगाने के लिए मूल्य वर्धित कर (वैट) है। यह कर व्यवस्था केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए गए सभी अप्रत्यक्ष करों की जगह लेता है। यह विधेयक लोकसभा में 19 दिसंबर, 2014 को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किया गया था और सदन द्वारा 6 मई, 2015 को पारित किया गया था। राज्यों द्वारा अनुसमर्थन के बाद विधेयक को 8 सितंबर 2016 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से स्वीकृति मिली।

102वां संशोधन

  1. अनुच्छेद संशोधित: अनुच्छेद 338 और 366।
  2. अनुच्छेद सम्मिलित: 338बी, 342ए।
  3. उपबंध: उपबंध 26सी।
  4. लागू: 11 अगस्त, 2018।
  5. राष्ट्रपति: राम नाथ कोविंद।

उद्देश्य:

इस संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। यह बिल लोकसभा में 5 अप्रैल 2017 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत द्वारा पेश किया गया था। 11 अगस्त 2018 को बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मंजूरी मिली। इसने बाबा साहब अंबेडकर के ख्वाब को संवैधानिक वास्तविकता प्रदान की।

 

103वां संशोधन

  1. अनुच्छेद संशोधित: अनुच्छेद 16 और 15.
  2. खंड सम्मिलित: खंड 6.
  3. लागू होने की तिथि : 12 जनवरी, 2019।
  4. राष्ट्रपति: राम नाथ कोविंद।

उद्देश्य:

अनुच्छेद 15 के खंड (4) और (5) में उल्लिखित वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर नागरिक वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए अधिकतम 10% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। यह मोदी सरकार के लिए अब तक का सबसे सफलतम और साहसिक निर्णय सिद्धा हुआ। अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के अलावा अन्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना किसी स्वप्न के साकार होने से कम नहीं था।

मोदी और मनमोहन सरकार में यहीं मूलभूत अंतर है। मोदी सरकार कभी अपने कर्तव्यपथ से विचलित नहीं हुई जबकि मनमोहन सरकार हमेशा किंकर्तव्यविमूढ़ रही। संविधान संशोधन एक सरकार के दृढ़ निश्चय और राजनीतिक ताकत को प्रदर्शित करता है। मोदी सरकार को भी बहुत सारे संविधान संशोधनों से पीछे हटना पड़ा लेकिन उनके कार्यकाल में किया गया ये परिवर्तन राष्ट्र के प्रति सरकार के प्रेम को परिलक्षित और प्रतिबिम्बित करता है।

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