जिन्ना का महिमामंडन करने के बाद, अखिलेश ने साधुओं को कहा ‘चिलम-जीवी’

अखिलेश जितना बोलेंगे उतना ही भाजपा के जीतने की संभावना बढ़ेगी!

चिलमजीवी

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उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव नजदीक आते हीं विपक्षी नेताओं ने अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी है, ऐसे में बिना सोचे समझे बयान देने और अपशब्द बोलने की कला तो कोई समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव से सीखे। चुनाव जीतने के नाम पर अखिलेश कभी जिन्ना को महान बता देते हैं, तो कभी अपने ही देश के संतों को चिलमजीवी करार देते हैं। किन्तु ये जिस देश में पैदा हुए उसे महान कहने पर ना जाने इन्हें क्या शर्म आती है। हाल ही में, अखिलेश यादव ने जिन्ना की तुलना सरदार पटेल से की थी, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। अभी मामला ठंडा ही नहीं हुआ था कि इस बीच वह एक बार फिर अपने बयान से आलोचनाओं के पाले में गिर पड़े।

अखिलेश यादव ने साधुओं को कहा “चिलमजीवी”

मामला यह है कि गाजीपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए, अखिलेश यादव ने कहा कि “ये चिलमजीवी राज्य का कभी भी अच्छा नहीं कर सकते।” इस बीच, उनकी टिप्पणी ने संतों को नाराज कर दिया, उसके बाद संतों ने अखिलेश यादव को अपने इस बयान के लिए माफ़ी मांगने को कहा है।

शंकरचार्य जितेंद्र सरस्वती ने कहा है कि “उनका यह बयान संत समाज को अपमानित करनेवाल है। ऐसे बयानों से उनका हिन्दू पूर्वाग्रह साफ-साफ पता चलता है। संत समाज को नशे से जोड़ना निंदनीय है। लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे।”

इस मामले पर अपनी राय व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि “अखिलेश संभावित हार के कारण अपना संतुलन खो बैठे है। इसीलिए वो  इस तरह के उल्टे-फुल्टे बयान दे रहे हैं। हमें उन्हें 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ 2017 के विधानसभा चुनाव में भी करारी पराजय दी। इस बार भी उन्हें अपनी हार का अंदाज़ा हो गया है। इसिलिए वो इस तरह की बयानबाज़ी कर रहे हैं।”

अखिलेश के चिलमजीवी बयान पर अपना विरोध प्रकट करते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि “अति आत्मविश्वास में लोग ऐसा बोलते हैं। लेकिन जनता जनार्दन सब देख रही है। वो अखिलेश को उनके गुनाहों के लिए कभी माफ नहीं करेगी। अखिलेश को कभी नहीं भूलना चाहिए कि भाजपा ने उन्हें कैसे शिकस्त दी थी। बुआ-भतीजी दोनों को एक साथ पटखनी देते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीति से बाहर कर दिया था।”

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पहले जिन्ना की तुलना पटेल से की थी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सरदार वल्लभभाई पटेल के साथ मुहम्मद अली जिन्ना की तुलना करने पर हमला करते हुए कहा कि “यही तालिबानी मानसिकता समाज को तोड़ने में विश्वास करती है।” गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने बीते रविवार को और जिन्ना को भारत के आजादी के लिए लड़ाई लड़नेवाले गांधी, नेहरू और पटेल जैसे नेताओं की पंक्ति में खड़ा करते हुए उन्हें एक महान नेता बताया था, जिसकी भाजपा ने आलोचना की थी।

वहीं योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद में एक कार्यक्रम में उनके बयान पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा था कि “मैं कल अखिलेश जी का बयान सुन रहा था। वह देश को बांटने वाले जिन्ना की तुलना सरदार पटेल से कर रहे थे, जिन्होंने देश को एकजुट किया। यह शर्मनाक बयान है। ‘तालिबानी मानसिकता’ समाज को तोड़ने में यकीन रखती है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि “कभी-कभी यह जाति के नाम पर होता है, जब वे सफल नहीं होते हैं, तो वे ‘महापुरुष’ (महान हस्तियों) पर उंगलियां उठा रहे होते हैं और पूरे समाज का अपमान करते हैं।”

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भगवा का विरोध और गोलमटोल-सा जवाब

इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने ना सिर्फ संतों का अपमान किया बल्कि उन्होंने भगवा चोगे का भी अपमान किया। गाजीपुर की अपनी जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा कि “ये एक रंगवाले आप लोगों को क्या ही खुशी देंगे। ये आपको गर्त में पहुंचा देंगे और सभी रंगों को खा जाएंगे। इस एक रंग से उनका तात्पर्य भगवा या केसरिया चोगे से था।”

हालांकि,  जब उनसे इन दोनो बयानों पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो फिर वो गोलमटोल-सा जवाब देने लगे। उन्होंने सारी बातों को योगी आदित्यनाथ की ओर मोड़ दिया और गंगा माँ के अपमान पर केंद्रित कर दिया क्योंकि उन्हें अपने वोट बैंक के छिटकने का खतरा दिखने लगा है।

विपक्ष की नैतिकता निकृष्ट होती जा रही है

होता है अखिलेश बाबू! कुछ चीजें गलती से मुंह से निकल जाती हैं “जैसे लड़के होते है कभीकभी फिसल जाते हैं।” कुछ चीजें जानबुझकर की जाती हैं जैसे कारसेवकों पर गोली चलवाना। परन्तु, जनता सब देख रही है और वही न्याय करेगी। अखिलेश जितना बोलेंगे उतना ही भाजपा के चुनाव में जीतने की संभावना बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश का चुनाव जितना करीब आ रहा है, विपक्ष की नैतिकता उतने ही निकृष्ट होती जा रही है।

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