पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को हराने के लिए किसी दूसरे राजनीतिक दल की आवश्यकता नहीं है, इनकी आपसी फूट ही पार्टी को ले डूबेगी। नवजोत सिंह सिद्धू यह बोलना नहीं चाहते हैं और कांग्रेस पार्टी यह बात समझना नहीं चाहती कि मिला जुलाकर नवजोत सिंह सिद्धू को ही पंजाब का मुख्यमंत्री बनना है! उनकी यह निजी महत्वाकांक्षा है, जिसके लिए उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटवा दिया और अब हाथ धोकर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के पीछे पड़े हुए हैं! हाल ही में उन्होंने चन्नी सरकार द्वारा बिजली की दरों में कटौती को लेकर सवाल उठाए थे और अब गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है।
साल 2015 के गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले की जांच पर सिद्धू ने कहा, ”6 महीने में तीसरी एसआईटी बनाई जा चुकी है, लेकिन अभी तक 2015 बेअदबी मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हुई। अथॉरिटी की नैतिकता अब सवालों के घेरे में है। एक्स डीजीफी सुमेध सिंह और मुख्य आरोपी को राहत मिली हुई है। मैं पजाब के साथ खड़ा हूं।”
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क्या है बेअदबी का मामला?
यह तीन घटनाओं का सम्मिलित लेखा जोखा हैं। पहले मामले में 1 जून 2015 को फरीदकोट जिले के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव से सिखों के पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की एक स्वरुप (प्रति) चोरी हो गई थी। दूसरे मामले में, 25 सितंबर 2015 को उसी बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव के पास एक समाध में सिखों और कुछ सिख प्रचारकों को लक्षित करने वाले दो अपमानजनक पोस्टर पाए गए थे। फिल्म ‘मैसेंजर ऑफ गॉड‘ जिसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने हीरो की भूमिका निभाई थी, यह मामला उसी से संबंधित था। आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा, पोस्टरों में धमकी दी गई थी कि पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को सड़कों पर फेंक दिया जाएगा। तीसरे मामले में 12 अक्टूबर को सिखों द्वारा जीवित गुरु के रूप में पूजे जाने वाले गुरु ग्रंथ साहिब के फटे पन्ने सुबह–सुबह बरगारी गांव गुरुद्वारे के सामने और पास की गली में बिखरे मिले थे।
कोर्ट का फैसला
इस मामले में हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित या दर्ज होने की संभावना वाले सभी मामलों में सुमेध सैनी की गिरफ्तारी पर स्पष्ट रोक होगी। अदालत ने उनके खिलाफ जांच पर भी रोक लगा दी, यह देखते हुए कि उन्हें गिरफ्तार करने के लिए राजनीतिक प्रयास किए गए हैं।
गौरतलब है कि अक्टूबर 2015 में, जब पूरे पंजाब से गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की सूचना मिली थी, तब सुमेध सैनी पुलिस बल के प्रमुख थे। प्रदर्शनकारियों के सड़कों पर उतरने और उनके हंगामे के बीच पुलिस ने कोटकपूरा और बहबल कलां में गोलियां चलाईं थी, जिसमें दो आंदोलनकारी मारे गए थे। कोर्ट ने इस मामले में सैनी के खिलाफ हो रहे षड्यंत्रों को संज्ञान में लिया है और उनके संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
सिद्धू का हमला
नवजोत सिंह सिद्धू, जिन्हें इस साल की शुरुआत में पंजाब कांग्रेस के प्रमुख के रूप में पदोन्नत किया गया था, उन्होंने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है लेकिन उन्होंने पार्टी को एक अल्टीमेटम भी दिया है। उन्होंने कहा, जब तक शीर्ष सरकारी वकील APS देओल को हटाया नहीं जाता, तब तक वह वापस नहीं आएंगे।
आपको बताते चलें कि गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी सुमेध सैनी के मामले का प्रतिनिधित्व करने वाले APS देओल ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। जिसके कारण अब सिद्धू का हमला और तेज हो गया है।
सिद्धू ने सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा, “जब नया महाधिवक्ता नियुक्त किया जाएगा तो मैं पार्टी कार्यालय जाऊंगा और कार्यभार संभाल लूंगा। सुमेध सैनी के लिए जमानत दिलाने वाला वकील महाधिवक्ता कैसे हो सकता है और आईपीएस सहोता जैसा व्यक्ति डीजीपी कैसे हो सकता है।”
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APS देओल ने सिद्धू को बताया स्वार्थी
वहीं, देओल ने पलटवार करते हुए कहा कि सिद्धू के यह हमले कुछ और नहीं, बल्कि “कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश“ है। APS देओल ने संक्षिप्त में लिखा, “अपने स्वार्थी राजनीतिक लाभ के लिए पंजाब में आने वाले चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी के कामकाज को खराब करने के लिए निहित स्वार्थों द्वारा पंजाब के महाधिवक्ता के संवैधानिक कार्यालय का राजनीतिकरण करने का एक ठोस प्रयास किया जा रहा है।“
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चरणजीत का जवाब
दूसरी ओर पंजाब के नए सीएम चरणजीत चन्नी ने 2015 की बेअदबी मामले पर आज अपनी चुप्पी तोड़ी है और उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू की आलोचनाओं के बीच सरकारी कानूनी टीम का समर्थन किया है। उन्होंने बताया है कि जल्द ही जांच रिपोर्ट सामने आएगी और सच सबके सामने होगा।
बताते चलें कि पंजाब की राजनीति में ये सारा खेल सिर्फ एक व्यक्ति खेल रहा है, जो खेल के मैदान में असफल होने के बाद सिनेमा जगत में गया, वहां भी निराशा हाथ लगी और अब वह चुपचाप बैठकर मुख्यमंत्री बनना चाहता है। जी हां, बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप, यहां नवजोत सिंह सिद्धू की ही बात हो रही है! पिछले कुछ महीनें से चल रहे राजनीतिक ड्रामे को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सिद्धू पार्टी के लिए वरदान नहीं अभिशाप हैं! उनके स्वार्थी स्वभाव से पार्टी को अवगत कराने की कोशिश कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा की गई थी, लेकिन अफसोस कांग्रेस नेतृत्व ने ध्यान नहीं दिया और अब पंजाब में राजनीतिक संकट गहराते जा रहा है।