Elle ने पहले हिंदुओं के विरुद्ध अपशब्द कहे, उन्हें गुंडे की तरह दिखाया, फिर लेख डिलीट कर दिया

हिंदुओ ने जब-जब एकत्रित होकर अपनी अस्मिता की रक्षा की, इन्हें मिर्ची लगी!

एले

भारत में दो किस्म के व्यक्ति आपको हर जगह मिल जाएंगे। ज्ञानचंद और रायचन्द! यह दोनों आपको हर जगह मिलेंगे और हर बार वो आपके लिए, आपकी बेहतरी के रास्ते बताएंगे। इन ज्ञानचंदो का भी सीजन होता है। वह हर दिन बाहर निकलकर नहीं आते। वह इंतजार करते हैं कि कब त्योहार वगैरह का सीजन आये! कब संसार के सबसे अज्ञानी हिंदुओ को ज्ञान दिया जाए। ऐसे बुद्धिजीवियों को होली, दीवाली समेत तमाम मौकों पर रायचन्द बनने में मजा आता है क्योंकि सहिष्णुता के सारे पैमाने हिंदुओ पर ही नापे जाते हैं। इसी कड़ी में ज्ञान की उल्टी करने वाली एक संस्था का नाम है एले (Elle)! यह एक फैशन पत्रिका है।

एले (Elle) की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित “पॉलिटिक्स ऑफ शेड्स एंड सिल्हूट्स – इंडियाज लेटेस्ट फैशन ट्रेंड” से बवाल मच गया है। इस लेख में तमाम ऐसे मौकों का उपहास बनाया गया है, जहां हिंदुओ ने एकत्रित होकर अपनी अस्मिता की रक्षा की वकालत की है। कथित तौर पर किये व्यंग्यपूर्ण इंस्टाग्राम पोस्ट में, रोमन बेग ने हिंदुओं द्वारा सनातनी त्योहारों को बचाने के लिए आवाज उठाने पर अपनी निराशा को बाहर निकालने की कोशिश की है।

“यह आवर्ती मौसम है जहां भारतीय फैशन लेबल को अपने अभियानों को डिजाइन करते समय धर्म को रचनात्मक रूप से शामिल करने के बारे में सिखाया जाता है। पिछले साल, @tanishqjewellery को प्राचीन हिंदू-मुस्लिम कथा के साथ हस्तक्षेप किए बिना आभूषणों का प्रदर्शन करने के का सबक मिला था। हाल ही में, @fabindiaofficial ने जश्न-ए-रिवाज़ शीर्षक से एक दिवाली अभियान जारी किया और उसे भी वापस ले लिया गया है। शायद उन्हें यह नहीं मालूम था कि यह शब्द उर्दू का हैl”

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यह व्यंग्य कसने के बाद भी चैन नहीं मिला तो आगे आकर एले (Elle) ने भारतीय कपड़ो और संसाधनों का भी वर्गवाद कर दिया है। आगे आर्टिक्ल में लिखते हुए लिखा गया, “फैशन बिरादरी को सीखना चाहिए कि कैसे उनकी कल्पनाओं को मुक्त नहीं होने दिया जाएगा- एक मुस्लिम महिला के लिए एक सलवार सूट ही है और एक हिंदू महिला के लिए एक बिंदी है।”

यह सारी कुंठाये तब बाहर आ रही है जब हिन्दू एकत्रित होकर अपने ऊपर किये जा रहे मजाक को समझ रहे है और उसका विरोध भी कर रहे है। हिंदुओं ने अपने त्योहार की विकृति पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए केवल सोशल मीडिया का सहारा लिया था और एले से यह सहा नही गया । एले ने इस विरोध को बलवा हुकुम की तरह प्रदर्शित करते हुए हिंदुओं को एक हिंसक भीड़ के रूप में चित्रित किया, जो हिंदुओं को भ्रष्ट दिखाने के लिए एक उत्कृष्ट कदम था। एले द्वारा पोस्ट किए गए कार्टून में जो पुरुष इन फैशन कैम्पेन को बर्बाद कर रहे थे, वे पुरुष भगवा स्कार्फ पहने हुए थे और उनमें से एक को कलावा पहने देखा गया था।

इस तरह ज्ञान हिंदुओ को देना सही है क्योंकि वह शांतिप्रिय है। एक बार किसी अन्य मज़हब का मजाक उड़ाने पर तो शार्ली अब्दो की घटना हो गई थी तो समझ आ रहा था! खैर अभी क्रिसमस भी आएगा लेकिन वहां ज्ञान नहीं शुभकामनाएं दी जाएगी।

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