सामूहिक दुष्कर्म के मामले में अखिलेश युग के सपा मंत्री को मिली उम्रकैद की सजा

जेल में अपने कर्मों का फल भुगतेंगे गायत्री प्रजापति!

गायत्री प्रजापति

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कहते हैं, कर्मों का फल आपको भोगना पड़ता है, यदि इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में अवश्य ही! परंतु समाजवादी पार्टी के नेता गायत्री प्रसाद प्रजापति का भाग्य कहिए या उनके कर्म, उन्हें अपने कर्मों के फल इसी जन्म में भोगने का अवसर मिल रहा है। साल 2014 के चित्रकूट दुष्कर्म कांड का निर्णय सामने आ चुका है, जिसके बाद अब गायत्री प्रजापति को आजीवन कारावास की सजा भोगनी पड़ेगी और साथ ही साथ 2 लाख काअतिरिक्त जुर्माना भी देना पड़ेगा।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, “पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और 3 अन्य लोगों को चित्रकूट दुष्कर्म कांड में दोषी पाए जाने के बाद आजीवन कारावास का दंड मिला। इसके अलावा लखनऊ के विशेष सत्र न्यायालय ने अपने निर्णय में गायत्री प्रजापति और 3 अन्य लोगों पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।”

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चित्रकूट कांड और मुलायम का शर्मनाक बयान

लेकिन ये गायत्री प्रजापति हैं कौन और चित्रकूट दुष्कर्म कांड में ऐसा क्या था, जिसके कारण इनका और समाजवादी पार्टी का विनाश हुआ? दरअसल, साल 2017 में उत्तर प्रदेश काफी चर्चा में रहा, अच्छे नहीं बल्कि गलत कारणों से! एक के बाद अनेक दुष्कर्मों के कारण उत्तर प्रदेश काफी विवादों के घेरे में आ चुका था, और तब समाजवादी पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का शासन था।

उस समय बदायूं और चित्रकूट में हुए दुष्कर्म घटनाओं ने सबको चौंका दिया। हालांकि, मीडिया ने पूरा प्रयास किया कि ये राष्ट्रीय महत्व का विषय न बने, परंतु ऐसा न हो सका! चित्रकूट दुष्कर्म कांड ने समाजवादी पार्टी को चारों ओर से मीडिया के स्पॉटलाइट में डाल दिया था।

सर्वप्रथम तो साल 2014 में शक्ति मिल्स केस के प्रारंभिक निर्णय पर चुनावी अभियान के दौरान मुलायम सिंह यादव ने जो शर्मनाक बयान दिया, ‘लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है’, उसके कारण उत्तर प्रदेश समेत पूरा देश क्रोध से लाल हो चुका था। इसके अलावा बदायूं गैंगरेप केस और उसपर तत्कालीन पुलिस की लचर कार्रवाई ने स्थिति को बद से बदतर बना दिया।

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2017 से हिरासत में हैं गायत्री प्रजापति

लेकिन चित्रकूट दुष्कर्म कांड में स्थिति तो और बदतर थी। गायत्री प्रसाद प्रजापति तब राज्य के खनन और परिवहन मंत्रालय को संभालते थे। पीड़िता के अनुसार, साल 2014 से 2016 तक गायत्री प्रजापति और उसके साथियों ने उनपर बेहिसाब अत्याचार ढाए, और उसे खूब डराया धमकाया। लेकिन जब उसकी बेटी के साथ भी गायत्री प्रजापति ने वही दोहराने का प्रयास किया तो उससे रहा नहीं गया, और उसने आखिरकार मामला दर्ज करा दिया। यह मामला काफी चर्चा में रहा और प्रारंभ में समाजवादी पार्टी सरकार ने उन्हें बचाने के प्रयास भी किये, परंतु मीडिया और जनता के संयुक्त दबाव में उसके पैंतरे अधिक नहीं टिक पाए।

आखिरकार साल 2017 के प्रारंभ में गायत्री प्रजापति को हिरासत में लिया गया, और तभी से वह जेल में बंद हैं। गायत्री प्रजापति के केस ने एक प्रकार से अखिलेश यादव को दोबारा सत्ता में न आने देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में अब जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश प्रशासन ने ये सुनिश्चित करवाया है कि वे सलाखों के पीछे ही रहें। तो दूसरी ओर ये जनता का दायित्व भी बनता है कि ऐसे लोगों को बढ़ावा देने वाले नेताओं को पुनः सत्ता में न आने दें!

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