TMC में शामिल होंगे वरुण और मेनका गांधी?

वरुण गांधी के दिल्ली में ममता बनर्जी से मिलने की संभावना!

वरुण गाँधी तृणमूल कांग्रेस

भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं के आधार पर देश की सबसे बड़ी और सत्तारूढ़ पार्टी है। भारतीय जनता पार्टी में कई ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्रहित में अपना योगदान दिया है। वर्त्तमान राजनीति के सन्दर्भ में देखा जाए, तो भाजपा जैसी विशाल पार्टी में बहुत सारे ऐसे नेता भी सामने आ रहे हैं, जो पार्टी की विचारधारा को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उल्टी-सीधी बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे उनके खुद की और पार्टी की किरकिरी हो रही है।

इस वर्ष बंगाल के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अपने चिर प्रतिद्वंदी रही तृणमूल कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद भाजपा से बहुत सारे नेता पार्टी का दामन छोड़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उन सब में सबसे बड़ा नाम था बाबुल सुप्रियो का, जो बंगाल चुनाव से पहले भाजपा से नाराज थे और जैसे हीं बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई उन्होंने भाजपा को छोड़ तृणमूल कांग्रेस का दामन पकड़ लिया।

वरुण गाँधी भाजपा छोड़ तृणमूल कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल

भाजपा के एक ऐसे नेता भी हैं, जो हर दिन सुर्खियां बटोर रहे हैं, वो भी अपने पार्टी के विरूद्ध बयान देकर। वो हैं गाँधी परिवार के सुपुत्र वरुण गाँधी, जो हर दिन अपने ही पार्टी की किरकिरी कराने पर तुले हुए हैं। मुद्दा किसान आंदोलन से जुड़ा हो या फिर कोई और मुद्दा हो, वरुण गाँधी पार्टी के विरूद्ध कठोर सुर अपनाते हुए भाजपा पर हीं सवालों के बौछार खड़े कर देते हैं। वरुण यह भूल जाते हैं कि वह अपने नाम के साथ जिस परिवार का सरनेम लगाते हैं, (गाँधी) उसी परिवार के राजनीतिक माहौल से उनकी माता को निकाल दिया गया था।

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यह वही भारतीय जनता पार्टी है, जिसे कांग्रेस अपना धूर विरोधी समझती है। उसके बाद भी गाँधी परिवार की छोटी बहु और पोते को भाजपा ने बार -बार सम्मान दिया। आज वरुण गाँधी इसलिए चर्चा का विषय बन चुके हैं क्योकिं बिज़नेस स्टैण्डर्ड में छपी खबर के अनुसार, इस बात का प्रबल संकेत है कि भाजपा सांसद वरुण गांधी भाजपा को छोड़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

संभावना है कि वरुण गाँधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अगले सप्ताह होने वाले दिल्ली दौरे के दौरान उनसे मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, मेनका गाँधी के बेटे के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, “मुख्यमंत्री का अगले सप्ताह दिल्ली का दौरा ‘बहुत महत्वपूर्ण’ होने वाला है और इसमें कुछ राजनीतिक उथल -पुथल भी हो सकता है।”

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वो भूल गए हैं कि “वो” मोदी और शाह युग के भाजपा का हिस्सा हैं

बता दें कि वरुण गाँधी ने लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या की निंदा की थी। साथ हीं उन्होंने पार्टी के विरूद्ध बयानबाजी भी की थी, जिसके बाद से भाजपा ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी है। हाल ही में, बीजेपी ने वरुण गाँधी और उनकी मां मेनका गाँधी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति से हटा दिया था। ऐसे में, भगवा खेमे के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई है। भाजपा की तरफ से भी वरुण के लिए कुछ अच्छे संकेत मिलते हुए नहीं दिख रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि भाजपा में रहकर वरुण गाँधी एक बड़े मंच की तलाश में हैं और ऐसे में तृणमूल कांग्रेस सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। वो यह भूल गए हैं कि वो मोदी और शाह युग के भाजपा का हिस्सा हैं, जो अपनी बात मनवाना जानते हैं और किसी नेता द्वारा पार्टी का विरोध पर वो कड़े फैसले लेने से नहीं चूकते हैं। वैसे, अब आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि वरुण गाँधी का राजनीतिक भविष्य भाजपा के साथ तय होगा या फिर तृणमूल कांग्रेस के साथ।

 

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