व्यक्ति अपनी गलतियों से सीखता है। इसका ताजा उदाहरण भारतीय जनता पार्टी है। इससे पहले कि आप आश्चर्य के भाव से चीजों को देखें, हम आपको बताना चाहते है कि भाजपा की मूल आदत को हम सब बहुत दिनों बाद देखने वाले है। क्या है वह मूल आदत? भाजपा मूल से आक्रमण करने वाली पार्टी है। आज भी भाजपा को भारतीय लोकतंत्र में सबसे मजबूत विपक्ष के रूप में याद किया जाता है। ऑफनसिव यानी आक्रमक होना भाजपा की ताकत है, जो लंबे समय से गायब दिख रही थी। भाजपा पिछले कुछ वर्षों से बचाव कार्य में लगी रहती थी। वह डिफेंसिव खेलना पसंद कर रही थी और जिनकी वाक-कटुता से एक कुत्ता प्रभावित ना हो, वह भी सवालों में भाजपा को घेरते थे। अब भाजपा ने स्थिति को बदल दिया है और सालों बाद कांग्रेस पर हमला किया है और यह हमला छोटा मोटा नहीं है, जिस राफेल डील को लेकर कांग्रेस इतना बवाल मचा रही थी, अब भाजपा ने कांग्रेस को उसी राफेल डील में फंसा दिया है।
आपको याद होगा, 2019 लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए राहुल गांधी ने घुस लेने का आरोप लगाते हुए “चौकीदार चोर है” का नारा दिया था। यह वहीं नारा था जिसके बाद भाजपा ने नारा दिया था, “हां, मैं भी चौकीदार हूँ”
उस समय यह आरोप लगाया जा रहा था कि भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल होने जा रहे नए राफेल फाइटर प्लेन के खरीद बिक्री में भाजपा ने घुस ली है। अब इतने सालों बाद एक मुखबिर ने ऐसा सच सबके सामने ला दिया है कि कांग्रेस फंस गई है।
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क्या है मामला-
फ्रांसीसी पोर्टल Mediapart के अनुसार, 2007 और 2012 के बीच राफेल डील में शामिल एक बिचौलिए को कथित रूप से रिश्वत दिए जाने और सीबीआई द्वारा कथित तौर पर दस्तावेज प्राप्त करने के बावजूद इन आरोपों की जांच करने में विफल रहने पर एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई फिर से शुरू हो गई है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने आज 2014 से पहले हुए राफेल डील भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है। उत्तर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर भ्रष्टाचार पर “छिपाने” का आरोप लगाते हुए अपनी पार्टी का पक्ष रखा है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) का मतलब है ‘मुझे कमिशन चाहिए’। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, रॉबर्ट वाड्रा, सभी कहते हैं कि I Need Commision। राहुल गांधी को इटली से जवाब देना चाहिए, इतने सालों में उन्होंने और उनकी पार्टी ने राफेल डील के बारे में झूठ फैलाने की कोशिश क्यों की? अब यह पता चला है कि 2007 से 2012 तक उनकी ही सरकार सत्ता में थी जब कमीशन का भुगतान किया गया था, जिसमें एक बिचौलिए का नाम भी सामने आ गया है।”
मेडियापार्ट ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमानों की बिक्री को सुरक्षित करने में मदद करने के लिए एक बिचौलिए को कम से कम 7.5 मिलियन यूरो (लगभग 650 मिलियन रुपये) का भुगतान किया है और सीबीआई जैसी भारतीय एजेंसियों और प्रवर्तन निदेशालय दस्तावेजों की मौजूदगी के बावजूद इसकी जांच करने में विफल रही है।
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59,000 करोड़ रुपये के राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे मीडियापार्ट ने कहा कि भुगतान का बड़ा हिस्सा 2013 से पहले किया गया था। मीडियापार्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि डसॉल्ट एविएशन ने 2007 और 2012 के बीच मॉरीशस में दलाल को रिश्वत का भुगतान किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, “सुरेश गुप्ता की इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज को 2007 और 2012 के बीच फ्रांसीसी विमानन फर्म से कम से कम 7.5 मिलियन यूरो प्राप्त हुए हैं जिसको आईटी अनुबंधों के जरिये मॉरीशस के रास्ते दिया गया है।
अब बवाल मचना तो तय है क्योंकि इस मामलें को लेकर भाजपा को बहुत घेरा गया था और भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया गया था। समस्या इस बात की है कि अब ये भ्रष्टाचार कांग्रेस ही कर रही थी। चोर की दाढ़ी में तिनका कहावत चरितार्थ करते हुए कांग्रेस ने अपने लिए मजबूत गढ्ढा खोद दिया है और भाजपा अब ऑफनसिव तरीके से इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी।