पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार ने डूब रही सरकारी कंपनियों को उबारने के लिए कई कदम उठाया है। एयर इंडिया के निजीकरण के बाद अब सरकार ने घाटे में चल रहीं BSNL और MTNL को भी उसी रास्ते पर ला रही है। Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM) की वेबसाइट के अनुसार केंद्र सरकार BSNL और MTNL दोनों की कई Real Estate एसेट्स को बेचने के लिए सूची में डाल चुकी हैं।
BSNL और MTNL दोनों बीमार, अपरिवर्तनीय और सुस्त PSUs हैं, जो बिना किसी रिटर्न के करदाताओं के पैसे खपा रहे हैं। ऐसे समय में जब दुनिया भर की कंपनियां लाभ कमा रहीं हैं, ये दोनों ही सिर्फ खपत में लगे हुए हैं। दूरसंचार क्षेत्र में जियो और एयरटेल के बेहतरीन प्रदर्शन से भी कोई सीख न लेते हुए ये दोनों कंपनियां लगातार भारत सरकार को घाटे में ले जा रही हैं। यही कारण है कि मोदी सरकार ने BSNL और MTNL की गैर-प्रमुख संपत्तियों का मुद्रीकरण शुरू करने का निर्णय लिया है।
Centre Begins Asset Monetisation Of BSNL, MTNL. DIPAM has invited bids to sell six non core properties of BSNL& MTNL through its new asset monetisation portal. #Publicsector
— anshuman tiwari (@anshuman1tiwari) November 20, 2021
Department of Investment and Public Asset Management (DIPAM) ने शनिवार को अपने नए पोर्टल के माध्यम से सरकारी दूरसंचार कंपनियों भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) की छह संपत्तियों को बेचने के लिए बोलियां आमंत्रित की। DIPAM सचिव तुहिनकांता पांडे ने ट्वीट करते हुए कहा, “MSTC पोर्टल पर BSNL / MTNL की छह संपत्तियों की बोली के पहले सेट के साथ गैर-प्रमुख संपत्ति मुद्रीकरण शुरू होगा।”
सरकार ने लगभग 1,100 करोड़ के आरक्षित मूल्य पर इन दोनों दूरसंचार कंपनियों की अचल संपत्ति की बिक्री के लिए सूचीबद्ध किया है। लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद, चंडीगढ़, भावनगर और कोलकाता में स्थित BSNL की संपत्तियों को लगभग 800 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की गई हैं। वहीं, DIPAM वेबसाइट पर MTNL के मुंबई के वासरी हिल, गोरेगांव में स्थित संपत्तियों को लगभग 270 करोड़ के आरक्षित मूल्य पर बिक्री के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
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बता दें कि Asset Monetisation मोदी सरकार की 69,000 करोड़ की पुनरुद्धार योजना का एक हिस्सा है। दोनों सार्वजनिक उपक्रमों को साल 2022 तक 37,500 करोड़ रुपये की संपत्ति की पहचान करने और उसका मुद्रीकरण करने का निर्देश दिया गया है।
BSNL की वित्तीय स्थिति है डांवाडोल
गौरतलब है कि जब दूरसंचार कंपनियां 5G की तैयारी कर रही है, तब BSNL अपनी 4G सेवाओं के परीक्षण में लगा हुआ है। BSNL को हर साल अरबों डॉलर का घाटा होता है। वित्त वर्ष 2019-20 में कंपनी को 15,499.58 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 20-21 में 7,441 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। कंपनी के संचालन से राजस्व 2020-21 में 1.6 प्रतिशत घटकर 18,595.12 करोड़ रुपये रह गया, जबकि 2019-20 में यह 18,906.56 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 2021 के दौरान BSNL की कुल संपत्ति घटकर 51,686.8 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वर्ष 59,139.82 करोड़ रुपये थी। कंपनी का बकाया कर्ज वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 27,033.6 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 21,674.74 करोड़ रुपये था। साल 2019 में, कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी का जमा कर्ज 90,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
ऐसी ही स्थिति में थी एयर इंडिया
एयर इंडिया की तरह BSNL हर साल करदाताओं के अरबों डॉलर का पैसा डुबाता है। कंपनी पर इतना बड़ा कर्ज है कि वो हर साल ब्याज भुगतान में एक अरब डॉलर से अधिक का भुगतान करती है, जबकि इसका कुल राजस्व दो अरब डॉलर से थोड़ा कम है। अगर यह एक निजी कंपनी होती, तो इसका अधिकांश राजस्व कर्ज में चला जाता और यह बहुत पहले बंद हो गया होता। लेकिन, भारत सरकार के खजाने तक इसकी पहुंच के कारण यह बचा हुआ है।
एयर इंडिया भी ऐसा ही एक PSU था, जो सरकार के रहमोकरम पर टिका था। एयर इंडिया पर अब तक 700 अरब या 9.53 अरब डॉलर का कर्ज है। कर्ज में डूबी इस विमानन कंपनी में 10,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी का संचयी घाटा 70,000 करोड़ रुपये था और वित्त वर्ष 2019 में इस कंपनी को 7,600 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। फिर सरकार ने इसका निजीकरण कर दिया और अब यह अपने असली मालिक- टाटा संस के पास लौट आई है और जल्द ही इसके मुनाफे में जाने की खबर भी सामने आ सकती है।
अब समय आ गया है कि BSNL और MTNL का भी निजीकरण कर दिया जाए, ताकि वे जल्द ही लाभ कमाने वाले उद्यम बन सके, न कि करदाताओं का पैसा बर्बाद करने वाले उद्यम। उस दिशा में पहला कदम उठाया जा चुका है और उम्मीद है कि आने वाले समय में इन दोनों का भी एयर इंडिया की तरह निजीकरण कर दिया जाएगा। BSNL का निजीकरण दूरसंचार क्षेत्र में एक मजबूत चौथा निजी खिलाड़ी को मैदान में लाएगा और इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को मजबूत करेगा जो एकाधिकार की ओर बढ़ रहा है।