उल्फा आतंकवादियों को लेकर फर्जी दावे करने वाले TOI को सीएम हिमंता ने लपेट दिया

पत्रकारिता के नाम पर झूठ परोस रहा है टाइम्स ऑफ इंडिया!

उल्फा

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टाइम्स ऑफ इंडिया झूठ और प्रपंच का एक मानक उदाहरण बन चुका है! अक्सर ही इस मीडिया हाउस को एक विशेष प्रोपेगेंडे को फैलाते देखा जा सकता है। अब इसने असम और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को लेकर झूठ फैलाया है। झूठ ऐसा कि सीएम हिमंता को भी इस मीडिया हाउस के दावों का खंडन करते हुए लताड़ लगानी पड़ी। दरअसल, TOI ने कल एक रिपोर्ट प्रकाशित किया, जिसमें यह दावा किया गया था कि “उल्फा (आई) की संप्रभुता की मुख्य मांग पर चर्चा के लिए तैयार होने वाले हिमंता पहले मुख्यमंत्री हैं।” हालांकि, सीएम हिमंता ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था।

रिपोर्ट में TOI ने आगे दावा किया असम के किसी भी सीएम द्वारा पहली बार हिमंता  बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि उल्फा-आई की संप्रभुता की मूल मांग पर शांति प्रक्रिया में चर्चा करनी होगी।

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सरमा ने इस मीडिया रिपोर्ट का जोरदार खंडन करते हुए कहा कि कोई भी मुख्यमंत्री भारत की संप्रभुता पर किसी से चर्चा नहीं कर सकता। सरमा ने टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट की तस्वीर साझा करते हुए कहा कि वो इस तरह के दावों को देखकर हैरान हैं।

इस खबर को सिरे से नकारते हुए हिमंता ने ट्वीट किया कि “मैं टाइम्स ऑफ इंडिया में इस खबर को देखकर स्तब्ध हूं! कोई भी मुख्यमंत्री भारत की संप्रभुता पर किसी के साथ चर्चा नहीं कर सकता। यह non-negotiable है। हम सभी भारतीय, चाहे हमारे पद कुछ भी हों, भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए हैं। मैं इस खबर का पुरजोर खंडन करता हूं। यह गलत है।”

सीएम हिमंता को लेना चाहिए सख्त एक्शन

ध्यान देने वाली बात है कि TOI ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, 1979 में उल्फा के जन्म के बाद यह पहली बार है कि राज्य के किसी मुख्यमंत्री ने उल्फा की मूल मांग पर सकारात्मकता के साथ चर्चा करने का साहस किया है। सरमा के पूर्ववर्तियों ने या तो एक सैन्य विकल्प चुना था या इस मुद्दे को संबोधित करने से कतराते थे। हालांकि, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने 2005 में घोषणा की थी कि केंद्र उल्फा के सभी “मुख्य मुद्दों” पर चर्चा करने के लिए तैयार है। हालांकि, शांति प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।”

रिपोर्ट में आगे दावा किया गया, “सरमा ने कहा कि किसी को “नए दृष्टिकोण” (उल्फा मुद्दे पर) और “संविधान की परिधि और संप्रभुता के लिए संगठन की मांग” के बीच एक संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि किसी समय उनके मूल मुद्दे पर चर्चा करनी होगी।”

स्वयं मुख्यमंत्री के खंडन के बाद TOI ने चालाकी दिखाते हुए ऑनलाइन रिपोर्ट की हेडलाइन बदल दी और नए शीर्षक में लिखा कि “उल्फा-I की संप्रभुता पर मांग वार्ता के एजेंडे में होनी चाहिए: असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा”, परंतु जो प्रकाशित अखबार है उसमें तो यही झूठ परोसा गया है जो सीएम ने कभी कहा ही नहीं था। इसके लिए सीएम हिमंता को TOI के खिलाफ कड़ा एक्शन लेना चाहिए।

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बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में सीएम हिमंता के नेतृत्व में कई विद्रोही समूहों के साथ शांति प्रक्रिया पर सफलतापूर्वक बातचीत हुई है। जनवरी 2020 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बोडो समूहों के साथ शांति समझौता किया था। उसके बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार गुटों के 1600 से अधिक कार्यकर्ताओं ने अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। उल्फ़ा(I) से भी बातचीत के लिए मार्ग तलाशे जा रहे हैं। जिस तरह से अभी तक बाकी विद्रोही समूहों के साथ शांति वार्ता हुई है, संप्रभुता का मुद्दा non-negotiable रहा है। आगे भी यही नीति रहने वाली है, लेकिन बावजूद इसके TOI ने झूठी खबर फैलाई। असम सरकार को अब TOI के खिलाफ इस झूठ के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए।

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