‘सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है” ,1978 में रेलीज़ हुई फिल्म ‘गमन’ का यह गीत केवल गीत नहीं है भावनाएं हैं, दिल्ली वालों की, जो हर वर्ष दिवाली के आस-पास उभर कर आती हैं l जहाँ देश के किसी भी अन्य हिस्से में रह रहे व्यक्ति की दिवाली की अगली सुबह आम सुबह जैसी होती है, तो वहीँ, पंजाब, हरियाणा और खासकर दिल्लीवालों की सुबह साथ लाती है, कोहरे की मोटी परत, आँखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, सर दर्द जैसी समस्याएं l आम तौर पर हर वर्ष इसके लिए दिवाली के पटाखों को ही उतरदायी माना जाता है, लेकिन क्या पटाखे ही असली दोषी है? या पटाखों की आड़ में किसी अन्य गंभीर समस्या को छुपाया जा रहा है? क्यों पंजाब में इस वर्ष दर्ज़ हुए पराली जलाने के कुल मामलों में से 55% केवल पिछले 5 दिनों में सामने आए हैं? क्या ये सब सुनियोजित है? एक-एक कर सभी प्रश्नों के उत्तर ढूंढने का प्रयास करते हैं l
दिल्ली में गुरुवार यानि दिवाली के दिन AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 314 था, जो अगले ही दिन बढ़कर 462 हो गया, यानि इसमें 148 पॉइंट्स की बढ़त दर्ज़ की गईl अब मीडिया चीख-चीखकर हमें विश्वास दिलाना चाहती है कि पटाखों पर लगे बैन के उल्लंघन के कारण ही दिल्ली की हवाओं में ये ज़हरीला धुआं आया है l उदहारण के लिए Ndtv ने कहा, “दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक आज सुबह “गंभीर” श्रेणी में आ गया, दिवाली के त्योहार के बाद लोगों ने पटाखों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन किया और राष्ट्रीय राजधानी जहरीले धुंध की चादर के नीचे जागी।” इसके अलावा TOI के एक लेख की हेडलाइन कहती है “दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध रहा विफल, दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता रिकॉर्ड में सबसे खराब l”
TOI की इस रिपोर्ट को आगे पढ़ने पर पता चलता है कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में पिछले कुछ दिनों में तेज़ी आई है l एक ओर जहाँ दिल्ली के प्रदुषण में पराली के धुंए का योगदान 25% था, यानि 78.5, तो वहीँ शुक्रवार को ये योगदान बढ़कर 36% (166.32) हो गयाl देखा जाए तो सीधे तौर पर पराली जलने के कारण दिल्ली का AQI 87.72 अंकों से प्रभावित हुआ जिसका सीधा-सा अर्थ है कि शुक्रवार को दिल्ली के ख़राब AQI में पराली के धुंए का योगदान लगभग 60% रहाl तो फिर सारा दोष पटाखों पर क्यों ?
दिवाली पर पराली जलाना
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पराली जलाने के मामलों ने धान की कटाई के इस मौसम में सभी रिकॉर्ड तोड़ दियेl पंजाब में अकेले शुक्रवार को ही पराली जलाने की 5,327 घटनाएं हुईं, जिससे मामलों की कुल गिनती 28,792 हो गई। पंजाब में दिवाली के दिन भी 3,032 मामलों का पता चला। यह तीसरी बार था कि एक ही दिन में 3,000 से अधिक भूसा जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हों।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इस साल (4 नवंबर तक) खेतों में आग लगने के 23,465 मामलें सामने आये है जो पिछले 1 साल में दर्ज किए गए 44,086 मामलों के लगभग आधे हैंl अधिकारियों को उम्मीद है कि आने वाले सप्ताह में इन मामलों में और वृद्धि होगी। डेटा स्वयं बता रहा है कि पराली जलाने की गति हर दिन के साथ केवल तेज ही हो रही है, इस वर्ष पराली जलाने के कुल मामलों में से 55% केवल पिछले 5 दिनों में सामने आए हैं l
पंजाब में, दीवाली पर सबसे ज्यादा खेतों में आग के मामले लुधियाना से सामने आये, जिसमें 292 घटनाएँ दर्ज की गई l संगरूर में 283, जबकि पड़ोसी बरनाला में 237 मामलों की सुचना प्रशासन को मिली। इस बीच, फिरोजपुर में 278 मामलें दर्ज किए गए। दिवाली के दो दिन बाद, पंजाब के किसानों के लिए त्योहारी सीजन शुरू हो रहा था l शनिवार को 3,942 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए। अब एक प्रश्न यह भी है कि हर वर्ष केवल दिवाली के दिन से शुरू होकर महीने भर तक पराली जलाने और खेतों में आग लगने की घटनाओं में अचानक तेज़ी कैसे आ जाती है ? कहीं इसके पीछे यह सोच है तो नहीं कि इन दिनों में मीडिया अपना सारा ध्यान पटाखों और पटाखे फोड़ने वालों को प्रदुषण के लिए खरी-खोटी सुनाने में लगाती है और इन्हीं दिनों में पराली जलाकर स्वयं को दोष मुक्त किया जा सकता है? इसके अलावा एक तर्क यह भी दिया जाता है कि दिवाली के पटाखों के कारण कई बार खेतों में आग लगने के मामलें बढ़ जाते हैं, यदि ऐसा है तो ये मामलें दिवाली के बाद अब तक इतनी तेज़ी से कैसे बढ़ रहें है? इसके अलावा यह भी याद रखना चाहिए कि इन मामलों की समीक्षा करने वाले अधिकारीयों को उम्मीद है कि ये मामलें अभी और बढ़ेंगे l
स्वराज्य के संपादक अरिहंत ने बताया कि उन्होंने एक किसान से पूछा कि वो दिवाली के दिन ही क्यों पराली जला रहे हैं तो सामने से जवाब आया कि, “आज त्योहार है, कोई नहीं पकड़ेगाl”
Full on stubble burning today. Asked a farmer why they are doing it specifically on Diwali, ‘aaj tyohar hai, koi nahi pakdega’. Just a simple statement is more to make you understand the reasons for terrible air today than all guess baazi that goes on in SM, MSM, courts.
— Arihant (@haryannvi) November 4, 2021
दिलचस्प बात यह है कि मीडिया लोगों को यह बताने में विफल रही कि सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) की एक रिपोर्ट में पहले से ही भविष्यवाणी की गई थी कि दिल्ली के उत्तर-पश्चिम से आने वाली हवाओं के कारण प्रदूषकों की संख्या में वृद्धि होगी। जलते खेतों से दिल्ली का AQI शुक्रवार और शनिवार को काफी ऊपर जाएगा। सफर की रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि दिल्ली के वायु प्रदूषण पर पराली जलाने की हिस्सेदारी बुधवार को 8% से बढ़कर दिवाली के दिन 20% हो जाएगी और उसके बाद शुक्रवार और शनिवार को 35-45% हो जाएगी।
अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को स्वीकारा था कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना ही उत्तर भारत में हवा की गिरती गुणवत्ता का मुख्य कारण है। इससे पहले TFI ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखों को क्लीन चिट दे दी थी, जो दिवाली के त्योहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं l पटाखों को हवा की गुणवत्ता में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराने से इनकार करते हुए उन्हें दिल्ली के प्रदुषण के लिए उत्तरदायी ‘नहीं’ माना गया था l लेकिन फिर भी देश भर में पटाखे खरीदने एवं बेचने पर बैन लगा l
हर साल गया जाता है यही राग
आंकड़ों से पता चलता है कि रोशनी के त्योहार के आने से हफ़्तों पहले से ही दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खराब होने लगती है। पिछले पांच वर्षों में, औसतन, दिल्ली की वायु गुणवत्ता अक्टूबर के पहले सप्ताह तक “खराब” श्रेणी में आई है, AQI 200-300 के बीच मँडराने लगता हैl 5 वर्षों में हमेशा ही अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक, शहर का AQI 300-400 की औसत AQI रेंज के साथ “बहुत खराब” श्रेणी में गिर जाता है। हवा की गुणवत्ता आमतौर पर नवंबर के पहले सप्ताह तक “गंभीर” हो जाती है।
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दिवाली से पहले से ही प्रदूषित होने लगती है दिल्ली की हवा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी एयर क्वालिटी बुलेटिन के अनुसार, 2 अक्तूबर को दिल्ली का AQI 303, तो वहीँ 3 अक्तूबर को ये 222 पर पहुंच गया था l दिवाली से ठीक हफ़्तों पहले से ही दिल्ली की एयर क्वालिटी बेहद खराब थी l
Delhi's overall air quality dips to 'very poor' category ahead of Diwali pic.twitter.com/EAn582eIfo
— ANI (@ANI) November 3, 2021
अब दिवाली के पटाखों के पास ये कौन सी अद्भुत शक्ति है जिससे वो दिवाली से हफ़्तों पहले ही हवा को प्रदूषित कर देते हैं ये तो हम भी नहीं बता सकते हैं l प्रति वर्ष इसी प्रकार पटाखों पर ही प्रदुषण और दिल्ली के वातावरण के ख़राब होने का दोष डालने के ऐसे साझा प्रयास किये जाते हैं l