भारत में क्रिकेट का अलग ही क्रेज है, क्रिकेट को लेकर भारतीयों में इतनी दीवानगी है, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्रिकेट को हमारे देश में लोग अपने देश के सम्म्मान और खुद के आत्मसम्मान के साथ जोड़कर देखते हैं! यूएई में चल रहे आइसीसी टी20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से मिली करारी शिकस्त के बाद भारतीय टीम ने बेहतरीन वापसी की है और अफगानिस्तान एवं स्कॉटलैंड के खिलाफ अच्छी जीत हासिल की है। लेकिन यूएई में ही आइपीएल खेलने के बाद पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से मिली लगातार दो हार ने भारतीय टीम पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए थे। क्रिकेट समर्थकों ने इसे लेकर टीम मैनेजमेंट और खासकर भारतीय कप्तान विराट कोहली को जिम्मेदार ठहराया।
24 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ भारत को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, तब भारत पहली बार वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के हाथों पराजित हुआ था। अभी वह घाव भरा भी नहीं था कि न्यूजीलैंड से भारत की हार ने जले पर नमक छिड़कने का काम कर दिया। उसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और कोहली की कप्तानी को लेकर सोशल मीडिया पर लोग उबल पड़े। साथ ही लोगों ने विराट कोहली को क्रिकेट से इतर अन्य कामों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए जमकर लताड़ लगाई।
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नेतृत्व के हर पैमाने पर फेल हुए हैं कोहली
क्रिकेट जगत में विराट कोहली को भले ही एक अच्छा खिलाड़ी माना जाता है, पर एक कप्तान के तौर पर उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। नेतृत्व के हर पैमाने पर कोहली फेल नजर आए हैं! वह टीम के खिलाड़ियों से बातचीत का मुद्दा हो या फिर खिलाड़ियों के प्रति उनका व्यवहार। वहीं, क्रिकेट से इतर कप्तान विराट कोहली को आये दिन किसी न किसी मसले पर सोशल मीडिया पर ज्ञान देने की आदत है, इंस्टाग्राम पर बेकार वीडियो पोस्ट करने, दीपावली और धर्मनिरपेक्षता पर अनावश्यक ज्ञान देने, ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ जैसे मसलों पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने वाले वीडियो पोस्ट से करने के अलावा, उन्होंने कभी भी अपनी नेतृत्व क्षमता को प्राथमिकता नहीं दी!
भारतीय टीम पूर्ण रूप से सक्षम और विश्वकप के प्रचंडतम दावेदारों में से एक थी। परंतु, नेतृत्व के नकारेपन ने इस दल को दिशा विहीन कर दिया! विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज, गेंदबाज, क्षेत्ररक्षक, अनुभवी और युवाओं से सजी इस टीम के पास पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हारने का सिर्फ यही एक कारण था। टीम के कप्तान साहब अगर दिवाली, पर्यावरण और पाक-जनित शमी की ट्रोलिंग पर भारत की परंपरा और धर्मनिरपेक्षता को ट्रोल करने के बजाए, आप अपने कप्तानी और बल्लेबाजी पर ध्यान देते तो परिस्थिति कुछ और होती! न्यूजीलैंड से मिली हार के बाद लोगों ने तो विराट की कप्तानी को देखते हुए यह भी कह दिया था कि इनके नेतृत्व में अफगानिस्तान के हाथों भी टीम को करारी शिकस्त मिल सकती है।
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कीवियों के साथ मुकाबले में टीम चयन, बल्लेबाजी और गेंदबाजी क्रम संयोजन, संतुलन और क्षेत्ररक्षण मिलाकर नेतृत्व के हर आयामों में नेतृत्व ने गलती की। इसमें सबसे बड़ी गलती टीम चयन में थी। विराट कोहली के साथ अपने विवादों के कारण अश्विन टीम में नहीं थे, आपको ज्ञात हो कि कोहली के हठधर्मिता और अहंकार के खिलाफ सबसे पहली आवाज अश्विन ने ही उठाई थी। पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ मौका नहीं मिलने के बाद अफगानिस्तान और स्कॉटलैंड के खिलाफ उन्हें टीम में शामिल किया गया। इन मैचों में अश्विन ने बेहतरीन गेंदबाजी की और कई विकेट भी चटकाए। यहां तक कि कप्तान कोहली को भी उनकी तारीफ करनी पड़ी थी।
कोहली को करना चाहिए आत्म अवलोकन
बताते चलें कि कप्तान विराट कोहली लंबे समय से टीम इंडिया के तीनों प्रारुपों की कप्तानी कर रहे हैं। वहीं, आइपीएल में भी वो रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की कप्तानी करते आए हैं। पिछले महीनें उन्होंने टीम इंडिया के टी20 प्रारुप की कप्तानी छोड़ने की बात कही थी। जिसके बाद उन्होंने आइपीएल में आरसीबी की कप्तानी छोड़ने का भी ऐलान कर दिया। कोहली अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को एक भी आइसीसी ट्रॉफी दिलाने में नाकाम रहे हैं, आइपीएल में भी उनका नेतृत्व प्रदर्शन कुछ ऐसा ही रहा है। उनकी कप्तानी में आरसीबी अभी तक एक भी आइपीएल ट्रॉफी नहीं जीत पाई है। अपने खेल पर ध्यान देने के इतर अन्य मामलों पर कोहली के झुकाव का असर उनके प्रदर्शन में भी देखने को मिल रहा है। वह काफी लंबे समय से शतक के लिए तरस रहे हैं। उनके बल्ले से आखिरी शतक साल 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ निकला था। उसके बाद से कोहली लगातार फ्लॉप ही साबित हो रहे हैं! ऐसे में यह समय है आत्म अवलोकन का समय है, विराट कोहली को Woke से Work और Footwork पर ध्यान देना होगा। वरना उनके प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं आया, तो वो दिन भी दूर नहीं जब उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा!
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