जहां गुरुग्राम में नमाज को लेकर विवाद हुआ, वहां गोवर्धन पूजा अपने आप में सनातन विद्रोह का प्रतीक चिन्ह है

अब नहीं चलेगी मनमानी!

नमाज, गोवर्धन पूजा

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देश में हिंदुओं की आबादी 80 फीसदी के करीब है, लेकिन ये काफी पहले से ही देखने को मिलता रहा है कि किसी भी मामले में इनका जोर नहीं चलता। वहीं, अल्पसंख्यकों की बात करें, विशेषकर मुस्लिम समुदाय की, तो उन्हें प्रशासन या सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए ज्यादा पापड़ नहीं बेलने पड़ते। आपने इन्हें अक्सर स्कूलों में, पार्कों में या किसी भी सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़ते देखा होगा। प्रशासन की ओर से अस्थाई तौर पर उन्हें इसकी अनुमति तो मिल जाती है, लेकिन धीरे-धीरे ये लोग उस जगह पर स्थाई तौर पर कब्जा जमाने का प्रयास करने लगते हैं! गुरुग्राम में भी कुछ ऐसा ही चल रहा था लेकिन हिंदू समुदाय की जागरुकता ने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया है।

गुरुग्राम में हिंदू प्रतिरोध का एक अद्भुत उदाहरण देखने को मिला है। मुस्लिम समाज द्वारा खुले में नमाज अदा करने की ज़िद के विरुद्ध, हिन्दू समाज ने लगातार संघर्ष किया, लगातार प्रदर्शन किए गए, कुछ लोग हिरासत में भी लिए गए, लेकिन अंततः प्रशासन से अपनी बात मनवा ली। जिस सार्वजनिक स्थान पर कब्जा जमाकर मुस्लिम समुदाय हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने जुटता था, उस स्थान पर हिन्दुओं ने न सिर्फ अवैध रूप से पढ़ी जा रही नमाज को रुकवाया, बल्कि सांकेतिक रूप से अपनी संगठन शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए गोवर्धन पूजा का आयोजन भी किया। जिसके साथ ही प्रशासन को भी मजबूर होकर 8 जगहों पर खुले में नमाज की अनुमति देने वाले निर्णय को वापस लेना पड़ा है।

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20 से 200 पहुंच गई थी उनकी संख्या

दरअसल, लंबे समय से गुरुग्राम में मुस्लिम समुदाय द्वारा खुले स्थान पर नमाज पढ़ने के कारण विवाद होता रहा है। साल 2018 में विवाद अधिक बढ़ने पर हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने आपसी समझौते के बाद 37 स्थलों को खुले में नमाज के लिए तय किया था। हालांकि, समस्या तब शुरू हुई जब इन स्थलों पर धीरे-धीरे मुसलमानों की संख्या बढ़ने लगी। स्थानीय हिंदुओं का कहना है कि शुरू में 20 मुसलमान नमाज पढ़ने जुटते थे, जबकि अब 200 से अधिक मुसलमान नमाज पढ़ने आते हैं। इस कारण स्थानीय लोगों में असुरक्षा का माहौल बनने लगा था।

कथित तौर पर ऐसा अक्सर देखने को मिला है कि मुस्लिम समुदाय जहां भी अधिक संख्या में दिखता है, उनकी हिंसक प्रवृत्ति बढ़ जाती है। साथ ही गुरुग्राम में सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़ने की अस्थाई छूट को मुस्लिम समुदाय द्वारा स्थाई कार्य बनाया जाने लगा था। ऐसे में वहां के निवासियों ने संगठित विरोध करना शुरू किया। उन्होंने नमाज शुरू होते ही उस स्थान पर जुटकर भजन करना शुरू कर दिया। नमाज के विरोध में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने की अनुमति स्थाई नहीं थी, बल्कि केवल 1 दिन के लिए यह अनुमति दी गई थी।

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30 लोगों को किया गया था गिरफ्तार

जिन स्थानों पर सार्वजनिक रूप से नमाज पढ़ी जा रही थी, वहां के स्थानीय निवासियों से इस संदर्भ में अनुमति नहीं ली गई थी, तो वहीं प्रशासन ने मुस्लिम समाज को सार्वजनिक रूप से नमाज पढ़ने के लिए सुरक्षा भी मुहैया करा दी थी। 29 अक्टूबर को 30 लोगों को सार्वजनिक नमाज का विरोध करने के कारण गिरफ्तार भी किया गया था, किन्तु प्रदर्शन उसके बाद भी नहीं रुका।

नमाज वाले अस्थाई जगह पर गोवर्धन पूजा का आयोजन, प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं की गिरफ्तारी की विरोध में हुई प्रतिक्रिया के रुप में देखना चाहिए, जब सरकार खुले में नमाज को नहीं रोक सकती तो पूजा भी सार्वजनिक रूप से ही होगी।इस मौके पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा भी मौजूद रहे। हिंदुओं के बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन को पीछे हटना पड़ा और आठ सार्वजनिक स्थानों पर नमाज की अनुमति देने वाले निर्णय को वापस लेना पड़ा।

अभी भी 19 सार्वजनिक जगहों पर पढ़ी जा रही है नमाज

हालांकि, गुरग्राम में अभी भी 37 सार्वजनिक स्थानों में से 19 स्थानों पर नमाज पढ़ी जा रही है, ऐसे में हिंदुओं की लड़ाई आगे भी जारी रहने की संभावना है। बड़ा प्रश्न यह है कि किसी भी सार्वजनिक जगह पर अन्य धर्म के लोगों को लंबे समय तक उस स्थान के उपयोग की अनुमति नहीं मिलती, तो ऐसे में नमाज के लिए यह अनुमति क्यों दी जानी चाहिए? जिस प्रकार अन्य धर्मों के लिए ऐसी चीजें प्रतिबंधित हैं, उसी प्रकार खुले में नमाज और अन्य गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए!

सार्वजनिक उद्यान स्थानीय लोगों के टहलने, खेलने आदि के लिए बनते हैं, न कि इसलिए कि वहां 200 लोग जुटें और नमाज पढ़ें! सरकार वैसे भी टैक्स के पैसे का एक बड़ा हिस्सा मस्जिदों को दान कर रही है, वक्फ बोर्ड के पास भी बड़ी मात्रा में भूमि संचित हो चुकी है। अतः नई मस्जिद बनाकर समस्या सुलझाई जा सकती थी, लेकिन मुस्लिम समुदाय की ज़िद के आगे प्रशासन हमेशा की तरह अपनी पंगुता के कारण झुक रहा है! यदि हिंदुओं द्वारा संगठित विरोध नहीं हुआ तो कल को विद्यालयों, घरों, मंदिरों में भी नमाज की मांग उठेगी और भारत का सेक्युलर प्रशासन इसकी भी अनुमति दे देगा।

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