गरीबी दो प्रकार की होती है। एक होती है एकदम गरीबी और दूसरी दुसरो की अपेक्षा गरीबी। भारत में असली गरीबी यानी कि हर तरीके से विपन्नता वाली गरीबी का दबदबा है। ऐसा एक बड़ा तबका जीविका के लिए भिखारी बनता है। भिखारियों के पीछे माफिया, बहुलबलियों की एक फौज होती है। इस सिंडिकेट से कोई नहीं लड़ना चाहता और वर्षों से भारत के छवि को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सरकार इस तंत्र से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है लेकिन अब गुजरात सबको चौंकाते हुए एक बड़ी योजना लेकर आ रहा है। गुरुवार के वडोदरा से राज्य स्तरीय भिखारी मुक्त अभियान शुरू हुआ है, जो गुजरात के अन्य सभी मेट्रो शहरों में भी फैलाया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य उन्हें कौशल आधारित प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाना और शहर को भिखारी मुक्त बनाने पर काम करना है। आपको बताते चलें कि अगले 100 दिनों में वडोदरा को भिखारी मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री मनीषा वकील ने अगले 100 दिनों में शहर को भिखारी मुक्त बनाने के लिए रणनीति बनाने और प्रभावी ढंग से काम करने के लिए सांसद, महापौर, नगर आयुक्त, विधायक, पुलिस आयुक्त, समाज कल्याण विभाग के साथ बैठक की है।
आने वाले दिनों में गुजरात के वडोदरा से एक मेगा ड्राइव शुरू होगी और इसमें प्रशिक्षण की अनेक योजनाएं होंगी जिनका उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्राप्त कराना है।
मनीषा वकील ने कहा, “भिखारी मुक्त शहर और राज्य की दिशा में एक कदम में हम वडोदरा से एक मेगा ड्राइव शुरू कर रहे हैं, उसके बाद गुजरात के अन्य मेट्रो शहरों में शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य उन्हें आश्रय गृहों में समायोजित करना और कौशल आधारित प्रशिक्षण के साथ उन्हें सशक्त बनाना है। उनके पंजीकरण की प्रक्रिया, विशिष्ट पहचान किया जाएगा और तकनीकी संस्थानों जैसे आईटीआई की मदद से उन्हें सशक्त बनाया जाएगा। मेगा ड्राइव के दौरान उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी जहां वे सामान्य रूप से पाए जाते हैं और फिर उन्हें उचित परामर्श के साथ आश्रय गृहों में ले जाया जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस अभियान पर काम करने और शहर और राज्य को भिखारी मुक्त करने में मदद करने के लिए समिति का भी गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा भिखारियों को सिग्नल और अन्य जगहों पर भीख मांगने से दूर रहने और आश्रय गृहों में रहने के लाभ को समझने और आत्मनिर्भर बनने के लिए मानसिक परामर्श देना है।
बाद में उन्होंने वारसिया क्षेत्र में भिखारियों के घर का दौरा किया और भिखारियों को दी जाने वाली सुविधाओं की समीक्षा की है। उन्होंने कहा, यह यात्रा भिखारी मुक्त वडोदरा के अभियान का हिस्सा है और यहां पहले से ही बाहरी राज्यों के लगभग 33 भिखारी रह रहे हैं। उनमें से कुछ को मानसिक समस्याएं हैं और उनका पुनर्वास और परामर्श पहले से ही चल रहा है। बेड बढ़ाने के साथ ही आने वाले दिनों में नए भवन का प्रस्ताव है। उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत स्पर्श की आवश्यकता है।
बड़े माफियाओं की है भागीदारी
गुजरात में माफियाओं के सम्बंध को समझने की कोशिश करते है। अहमदाबाद में ड्रग माफिया अपनी नई सिंथेटिक दवाओं के लिए परीक्षण हेतु भिखारियों पर प्रयोग करते हैं। एक ऑन-ग्राउंड जांच से पता चला है कि ड्रग माफिया भिखारियों को लक्षित कर रहे हैं कि वे इसके प्रभाव और प्रभावकारिता की जांच करने के लिए अपनी मादक गोलियों और पाउडर को आजमा रहे है।
यदि दवा ‘ट्रायल’ सफल हो जाती है, तो इसे ड्रग्स के लिए काला बाजारी के माध्यम से अन्य लोगों तक पहुंचाया जाता है। माफिया आमतौर पर भिखारियों और बेघर लोगों को शहर के चारदीवारी के साथ-साथ रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनस से उठाते हैं। कई मामलों में, ड्रग्स ने भिखारियों को जीवन-मृत्यु की स्थिति में डाल दिया है।
सलीम मोहम्मद का घर कालूपुर रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ है। वह 38 वर्षीय व्यक्ति भीख मांगता है। उसका दोष गांजा पीना है लेकिन जब उसी फुटपाथ पर रहने वाले एक अन्य भिखारी ने उसे हाल ही में आई एक नई दवा की पेशकश की, तो उसने इसे आजमाने का फैसला किया। हालांकि, कुछ ही मिनटों में उसे उल्टी होने लगी और नाक से खून बहने लगा। ऐसे कई अन्य मामले भी हैं l
इसके अलावा विभिन्न समूहों द्वारा क्षेत्र विभाजित है। ऐसे में सरकार का इस समस्या का हल ढूंढना और आबादी का हिस्सा मानकर सतत विकास के लिए प्रेरित करना सराहनीय प्रयास है। आबादी के सबसे ऊंचे लोगों की बहसों में दलितों, आर्थिक महामारी से जूझ रहे लोगों के बारे में सोचकर प्रधानमंत्री मोदी ने सबके लिए चिंता को सही साबित किया है। उन्हें मुख्यधारा में लाना सरकार का काम है। यह काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बखूबी कर रहे हैं। यह एक पंथ दो काज का भी उदाहरण है। इससे सिर्फ गरीबी नहीं, बल्कि नशे पर भी लगाम लगेगी।