सत्यमेव जयते 2: देशभक्ति बेचना कोई इनसे सीखे!

एक हाथ से टेबल तोड़ना, एक ही शक्ल के 4 लोगों जैसे कई करिश्में हैं इस फिल्म में!

सत्यमेव जयते 2

सत्यमेव जयते 2 मिलाप मिलन ज़ावेरी की 2018 में प्रदर्शित फिल्म ‘सत्यमेव जयते’ का कथित सीक्वेल है, जिसमें मुख्य भूमिका में है जॉन एब्राहम, और साथ दिया है दिव्या खोसला कुमार, गौतमी कपूर, अनूप सोनी, साहिल वैद, हर्ष छाया इत्यादि ने।

कुछ फिल्मों को देखकर मन में एक ख्याल आता है, इनके लिए एक विशेष संग्रहालय बनना चाहिए, ताकि लोग ये जाने कि कैसे कोई अपने मस्तिष्क का उपयोग करके एक आम फिल्म को भी घटिया से घटिया बना सकता है। लेकिन उस व्यक्ति से क्या आशा करें, जिसके कलेक्शन में ‘मस्तीज़ादे’, ‘जाने कहाँ से आई है’ और ‘मरजावां’ जैसी फिल्में हो। इस फिल्म के डायलॉग की रायमिंग स्कीम तो देखकर आप भी सोचेंगे इससे अच्छा तो हम कोई एकता कपूर का नाटक देख लेते।

यदि आपको ‘सड़क 2’, ‘कूली नम्बर 1’, ‘राधे’, ‘भुज’ जैसी फिल्में असहनीय प्रतीत होती है, तो शायद आपने इस हलाहल के दर्शन अभी तक नहीं किये है, क्योंकि सर्वप्रथम तो निर्माताओं और निर्देशक मिलाप मिलन ज़ावेरी पर ध्वनि प्रदूषण के लिए मुकदमा दर्ज होना चाहिए, और वास्तव में तो इसे आधे घंटे से भी अधिक तक झेलने वाले हर व्यक्ति के लिए एक वीरता पुरस्कार का प्रबंध होना चाहिए, क्योंकि प्रथम पांच मिनट के संवाद सुनते ही मेरा मस्तिष्क बोल उठा, “हमसे न हो पाएगा”

पर ये तो प्रारम्भ था, क्योंकि जॉन एब्राहम के रूप में प्रलय का तांडव नाच अभी बाकी था। अक्षय कुमार तो यूं ही बदनाम हैं, देशभक्ति बेचना तो कोई इनसे सीखे। हर दूसरे मिनट में देशभक्ति से सम्बंधित डायलॉग हो, या फिर ‘तन मन धन से जन गण मन’ जैसी लाइन, जॉन एब्राहम ने तो देशभक्ति को बिकाऊ वस्तु सामान बना दिया। जिस प्रकार से सत्यमेव जयते 2 में देशभक्ति को चित्रित किया गया है, उसे देख तो अक्षय कुमार भी वास्तव में देव मानुष प्रतीत होंगे।

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परन्तु भाई साहब उतने तक सीमित नहीं रहे। देशभक्ति के साथ-साथ विज्ञान और लॉजिक को आत्महत्या पर विचार करने को विवश कर दें, ऐसी फिल्म बनाई है। व्यक्ति सहित मोटरसाइकिल उठानी हो, एक मुक्के से टेबल को दो हिस्सों में करना हो, मुक्कों से गाडी के परखच्चे उड़ाने हो, या फिर दोनों हाथों से हेलीकाप्टर रोकने हो, भाईसाब ने सनी देओल की नक़ल मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और तो और एक दहाड़ में अनेक तलवारधारी हमलावरों को थर-थर कांपने पर विवश कर दिया।

इस फिल्म के लेखन को ‘इक्कीस तोपों की सलामी’ मिलनी चाहिए। “ऐसी मौत मारूंगा कि इस जन्म में क्या, अगले जन्म में भी माँ की कोख से क्या, बाप की तोप से भी निकलने से डरेगा।” क्षमा कीजियेगा, ये मेरे शब्द नहीं है, ऐसे संवाद वास्तव में इस मूवी में ही बोले गए हैं। सत्यमेव जयते 2 फिल्म के ज़रिये वामपंथ, राष्ट्रवाद, सेक्युलरिज्म इत्यादि सभी को समान रूप से साधने का प्रयास किया गया है, परन्तु परिणाम रहेगा निल बट्टे सन्नाटा।

इस फिल्म में यदि कुछ अच्छा था तो वह केवल एक चीज़ – और हाँ मैं नोरा फतेही के नृत्य की ओर संकेत नहीं दे रहा हूँ। बी प्राक के ‘मेरा तन मन धन’ वाले गीत को छोड़ दें, तो सत्यमेव जयते 2 एक परफेक्ट केस स्टडी है कि कैसे देशभक्ति को एक उत्पाद के रूप में परिवर्तित किया जाए, और कैसे भारतीय सिनेमा को उपहास का विषय बनाया जाए! अधिकारिक रूप में इसे TFI की ओर से 5 में से मिलेंगे -5 स्टार, क्योंकि देशभक्ति बेचना कोई इनसे सीखे।

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