अमेरिका के विरोध की धज्जियां उड़ाते हुए भारत हासिल कर रहा है S-400, रूस द्वारा आपूर्ति आरंभ

यह नया भारत है, मुहंतोड़ जवाब देना जानता है!

S 400

21 वीं सदी का भारत इतना सशक्त है कि आज वह किसी भी महाशक्ति के सामने घुटने नहीं टेकता है। एक बार फिर से यह तथ्य साबित हो गया है। हाल ही में, अमेरिका के विरोध जताने और चेतावनियों के बावजूद भारत रूस से S 400 के अपने डील पर अडिग रहा और अब भारत को S-400 की डिलिवरी भी आरंभ हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार,दुश्मन के लड़ाकू विमानों और क्रूज मिसाइलों को लंबी दूरी से ही मार गिराने वाली प्रणाली S 400 की आपूर्ति रूस ने शुरू कर दी है।

दरअसल, जब से भारत और रूस के बीच यह डील हुई थी तब से ही अमेरिका इसके विरोध में था। जब जो बाइडन की सरकार बनी तब उनके रूस विरोधी होने की छवि के कारण इस विरोध के बढ़ने और CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने की बात उठने लगी थी। हालांकि भारत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा और अब भारत जल्द ही इस रक्षा प्रणाली को चीनी सीमा पर तैनात भी कर देगा।

रिपोर्ट के अनुसार Russian Federal Service for Military-Technical Cooperation (FSMTC) के निदेशकDmitry Shugaev ने दुबई एयर शो में कहा कि,”रूस ने भारत को S-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति शुरू कर दी है।” बता दें कि FSMTC रूसी सरकार का मुख्य रक्षा निर्यात नियंत्रण संगठन है।

भारत को पांच S-400 मिसाइल इस साल के अंत तक मिल जाएगी

इकनॉमिक टाइम्स की माने तो भारतीय रक्षा उद्योग के सूत्रों ने कहा कि वायु रक्षा प्रणाली के हिस्से भारत तक पहुंचने लगे हैं और उन्हें पहले पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा, जहां से यह चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं के खतरों से निपट सकता है।

S-400 वायु रक्षा प्रणाली को भारत द्वारा लगभग 35,000 करोड़ रुपये के खरीद पर अनुबंधित किया गया था, इसके अंतर्गत 400 किमी तक हवाई खतरों से निपटने के लिए भारत को पांच स्क्वाड्रन प्रदान किए जाएंगे। पहली स्क्वाड्रन डिलीवरी इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि उपकरण समुद्र और हवाई दोनों मार्गों से भारत लाए जा रहे हैं।

5 अक्टूबर, 2018 को भारत और रूस ने पांच S-400 मिसाइल सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों की खरीद के लिए 5.43 बिलियन डॉलर की डील पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने पांच S-400 मिसाइल के लिए भुगतान किया है, जिसकी डिलीवरी इस साल के अंत तक होने की उम्मीद है। अमेरिका तब से ही Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act यानिCAATSA के तहत भारत के पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी देते आ रहा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 2017 में CAATSA कानून बनने से पहले ही भारत ने रूस के साथ S-400 मिसाइल खरीद पर बातचीत शुरू कर दी थी।

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भारत पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिका को अधिक नुकसान होगा

हालाकिं, इससे पहले इस साल जनवरी में भारत में मौजूद अमेरिकी दूतावास की ओर से एक बयान जारी कर यह भी कहा था कि अमेरिका के साथियों को ऐसा कोई भी कदम उठाने से परहेज करना चाहिए जिससे उन पर CAATSA के अंतर्गत प्रतिबंध लगने का खतरा बढ़ जाए। वहीँ, पिछले कुछ दिनों में कई अमेरिकी अधिकारी भी बाइडन प्रशासन को भारत के ऊपर किसी भी तरह का प्रतिबंध न लगाने की चेतावनी दे चुके हैं।

इसी वर्ष अमेरिकी रक्षा मंत्री Loyd Austin ने भी बाइडन प्रशासन को ही नींद से जगाने का प्रयास किया था और साफ शब्दों में बाइडन को यह संदेश दिया है कि भारत पर प्रतिबंध लगाने से अमेरिका का ही सबसे अधिक नुकसान होगा! वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति को लिखे पत्र में सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर मार्क वार्नर और रिपब्लिकन पार्टी के जॉन कॉर्निन ने आग्रह किया था कि CAATSA के तहत राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए भारत को इसके प्रावधानों से छूट दी जानी चाहिए।

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यह नया भारत है, मुहंतोड़ जवाब देना जानता है

अगर अमेरिका भारत पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाता है, तो ना सिर्फ उसके भारत के साथ रिश्ते बिगड़ेंगे, बल्कि अमेरिका की मनमानियों का जवाब भी भारत कड़े रुख के साथ देगा। भारत को अमेरिका के प्रतिबंधो की कोई चिंता नहीं है। आज पूरे विश्व में एक भी ऐसा देश या कोई महाशक्ति नहीं है जो भारत पर प्रतिबंध लगा कर खतरा नहीं मोल लेना चाहेगा। भारत अब 1990 के दशक का भारत नहीं रहा जब वह अमेरिका के प्रतिबंधों के दबाव में आकर रूस या किसी अन्य देश के साथ डिफेंस डील से पीछे हट जाया करता था। यह नया भारत है और आज भारत का कद कई गुना बढ़ चुका है। भारत की विदेश नीति अब न तो किसी महाशक्ति पर आश्रित है और न ही किसी अन्य देश के दबाव में आने वाली है।

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