जिंदल लॉ स्कूल फिर से विवादों के घेरे में – इस बार अपने कोर्स मैटेरियल में देशद्रोह प्रमोट करने के लिए

जिंदल लॉ स्कूल के संस्थापक हैं कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सांसद!

जिंदल लॉ स्कूल

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शिक्षण संस्थान राष्ट्र निर्माण की नींव होते हैं, यहीं पर राष्ट्र को समर्पित किए जाने वाले पुष्प पल्लवित होते हैं, यहीं पर राष्ट्र निधि को समर्पित की जाने वाली संपदा संचित होती है। शायद इसीलिए यहां कार्यरत कर्म योगी शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता की संज्ञा दी गई तथा उनसे शिक्षित होने वाले विद्यार्थियों को “राष्ट्र पुरोधा” कहा गया। परन्तु, ज़रा सोचिए क्या हो अगर राष्ट्र निर्माण हेतु नियुक्त ऐसे राष्ट्र निर्माता शिक्षक ही कलुषित हो जाए? फिर क्या भारत का भविष्य अंधकारमय नहीं होगा? ऐसी ही एक घटना इस जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में पुनः घटित हुई है।

जिंदल लॉ स्कूल अपने पाठ्यक्रम सामग्री और प्रोफेसर श्रुति पांडे के कुत्सित बयानों को लेकर चर्चा में बना हुआ है। श्रुति पांडे का कहना है कि, “हर हिंदू अस्पृश्यता का पालन करता है, इस्लाम एक बेहतर धर्म है।” प्रोफेसर श्रुति पांडे ने सितंबर के पहले सप्ताह में बीए-एलएलबी छात्रों को पढ़ाने के दौरान ये विवादित टिप्पणी की थी। वह यूपीए सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार रह चुकी हैं। ये विवादित टिप्पणी सितंबर के पहले सप्ताह में बीए-एलएलबी छात्रों को पढ़ाने के दौरान की गई थी। उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रही है।

अस्पृश्यता को बताया हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग

वायरल वीडियो में प्रोफेसर पांडे को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मेरे प्रोफेसर उपेंद्र बख्शी, जो लॉ स्कूल में पढ़ाते थे, कहते थे कि हर हिंदू अस्पृश्यता का पालन करता है। शुरू में मुझे ऐसा नहीं लगता था, लेकिन यह सच है दोस्तों। अपने आप को देखें और आप कैसे शांत, अदृश्य तरीके से अस्पृश्यता का अभ्यास करते हैं जिसे हम समझते भी नहीं हैं। यह लिंगभेद की तरह आंतरिक है। इसलिए मेरे साथ रहा कि हर हिंदू अस्पृश्यता का पालन करता है।” उनके मुताबिक अस्पृश्यता के कारण हिंदू धर्म मौजूद है।

विधवा पुनर्विवाह पर टिप्पणी करते हुए पांडे ने कहा, “हम जानते हैं कि यह निश्चित रूप से कुछ ऐसा है जहां हिंदू धर्म का एक विशेष नियम है, क्योंकि विधवा पुनर्विवाह इस्लाम में अधिक स्वीकार्य है। और आप में से उन लोगों के लिए खेद है जो मानते हैं कि इस्लाम एक निम्न धर्म है, क्योंकि यह उन तरीकों में से एक है जिससे यह पता चलता है कि यह नहीं है।”

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प्रोफेसर पांडे जुलाई 2018 में जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर लीगल प्रैक्टिस और सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स के निदेशक के रूप में शामिल हुई। जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में शामिल होने से पहले उन्होंने लगभग एक दशक तक फोर्ड फाउंडेशन के कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया था। वह यूपीए सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार थीं। अब हिंदू धर्म पर उनके इस आघात को लेकर आप स्वयं समझ सकते है कि आखिर क्यों कांग्रेस के शासनकाल में देश और संस्कृति का पतन होता था!

जिंदल लॉ स्कूल का राष्ट्र विरोधी पाठ्यक्रम

वहीं, दूसरी ओर स्तंभकार और राजनीतिक टिप्पणीकार शेफाली वैद्य ने अपने ट्वीट के माध्यम से जिंदल शिक्षण संस्थान के विधि संकाय के राष्ट्र विरोधी पाठ्यक्रम का खुलासा किया है। सभी विद्यार्थियों को छठे और सातवें सप्ताह के दौरान भारत में व्याप्त जातीय व्यवस्था को पढ़ना अनिवार्य है। इतना ही नहीं भारत में चल रहे विभिन्न प्रकार के विद्रोह जैसे नक्सली और माओवादी विद्रोह और श्रीनगर में चल रहे आतंकियों के अभियान को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में परिलक्षित किया गया है। अगर सही मायने में कोई भी पाठक इस पाठ्यक्रम को परखें, तो उसे इसकी राष्ट्र विरोधी तत्वों का तुरंत भान हो जाएगा।

इस समग्र पाठ्यक्रम का अवलोकन और मूल्यांकन करने के पश्चात आप निर्णय नहीं कर पाएंगे यह पाठ्यक्रम भारत के किसी विधि संकाय के शैक्षणिक परिदृश्य को संचालित करता है अथवा पाकिस्तान या चीन के। जाति व्यवस्था और देश विरोधी अभियान को स्वतंत्रता संग्राम के रूप में दर्शाना निश्चित रूप से शर्मनाक है! ऐसे पाठ्यक्रम को लागू करने के बावजूद अब तक ना ही किसी पर कोई कार्रवाई हुई है और ना ही किसी की कोई जवाबदेही तय की गई है। ऐसा प्रतीत होता है मानो भारत पुरोधा इन विद्यार्थियों को भारत के भविष्य विखंडन हेतु निर्मित किया जा रहा है!

शेफाली वैद्य ने जिंदल लॉ स्कूल के संस्थापक और कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल से प्रश्न करते हुए ट्विटर पर पोस्ट किया, “नमस्ते श्री @MPNaveenJindal, आप एक हिंदू प्रतीत होते हैं। परन्तु,  @JindalLaw के संस्थापक, चांसलर और एक हिन्दू के रूप में क्या आप मानव अधिकार विभाग की निदेशक श्रुति पांडे के हिंदु पूर्वाग्रह का समर्थन करते हैं?”

संस्थान में हुआ यौन शौषण का घिनौना कृत्य

आपको बता दें कि जिंदल लॉ स्कूल एक बहुत ही महंगा और खर्चीला विधिक शिक्षण संस्थान है। इसकी स्थापना कांग्रेस से लोकसभा सांसद रह चुके नवीन जिंदल ने किया है। यहां प्रभुत्वशाली लोगों के रईसजादे शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिन्हें शायद विधिक ज्ञान से ज्यादा पाश्चात्य संस्कृति, साम्यवाद और मौज मस्ती से लगाव होता है! इस संस्थान के 3 छात्रों पर व्यापार प्रबंधन के एक छात्रा के यौन शोषण का भी आरोप लगा है। न्यायालय में इस छात्रा की तरफ से जब इंदिरा जयसिंह जैसी अधिवक्ता खड़ी हुई और माननीय उच्चतम न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, जब उन छात्रों को तलब कर न्यायिक हिरासत में भेजा तब जाकर इस संस्थान का प्रबंधन विभाग जागृत हुआ, अन्यथा वे लोग इस मामले की लीपापोती कर दबाने पर तूले हुए थे।

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निष्कर्ष

जिंदल लॉ स्कूल के पाठ्यक्रम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। वहीं, प्रोफेसर श्रुति पांडे के बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने हिंदुत्व का अध्ययन किया ही नहीं है और ना ही वो सनातन संस्कृति का पालन करती हैं! उनके इस बयान और वायरल वीडियो क्लिप से भान होता है कि हिंदुत्व के बारे में या तो वह किसी दुराग्रह से ग्रसित हैं या फिर अल्पज्ञानी है। यह भी हो सकता है कि वो इस्लाम के चक्रव्यूह और छल में फंस चुकी हो! अतः हिंदुत्व का मानमर्दन स्वत: ही स्वाभाविक हो जाता है।

बताते चलें कि हिंदुत्व एकमात्र ऐसा धर्म है जो नर को नारायण के समतुल्य खड़ा करता है। हिंदुत्व एकमात्र ऐसा धर्म है जो वसुधैव कुटुंबकम् का उद्घोष करते हुए समग्र सृष्टि को अपने परिवार स्वरुप देखता है। कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थ और शाश्वत वर्चस्व के लिए वर्ण व्यवस्था को जाति व्यवस्था में परिवर्तित कर दिया।

वरना समग्र विश्व को मुसलमान– काफ़िर, फिर मुसलमान को शिया-सुन्नी, फिर सुन्नी को वहाबी, बरेलवी और सलाफी और फिर समाज को काजी, पासमांदा और 36 कोट में बांटने वाले इस्लामिक जाति व्यवस्था और धर्मांधता के बारे में उनके ऐसे ख्याल ना होते! हिंदू समाज में अस्पृश्यता का कोई स्थान नहीं है। परंतु, अगर श्रुति पांडे के कथनानुसार मान भी लें तो भी वर्गीकरण और अस्पृश्यता के आधार पर हिंदुत्व ने कम से कम इस्लाम की तरह इतिहास को रक्तरंजित तो नहीं किया है। श्रुति पांडे, आपको अपने आप पर शर्म आनी चाहिए!

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