केरल ललित कला अकादमी ने ऐसे कार्टून का सम्मान किया, जो वैश्विक स्तर पर हिन्दुओं और भारत का अपमान करता है

हिंदुओं के रहमो-करम पर पलने वाले ही हिंदू संस्कृति का बना रहे हैं मजाक!

केरल ललित कला अकादमी

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केरल की ललित कला अकादमी ने हिंदुओं और भारत को अपमानित कर रहे एक कार्टून को ऑनरेबल मेंशन अवॉर्ड की श्रेणी में चयनित कर सम्मानित किया है। अनूप राधाकृष्णन द्वारा बनाया गया यह कार्टून भारत में कोरोना के नियंत्रण में हुए कथित अकर्मण्यता पर व्ययंग करने को दर्शाता है। इस कार्टून के लिए अनूप राधाकृष्णन को 25,000 रुपये और एक प्रशस्ति पत्र मिला है। कार्टून में कोविड-19 वर्ल्ड मेडिकल समिट के दौरान चीन, अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एक गाय को बैठे हुए दिखाया गया है। गाय को भगवा कपड़े में दिखाया गया है और उसके चेहरे पर टीका भी लगा हुआ है। यह कार्टून सीधे तौर पर भारत और हिन्दू समाज की निंदा करता है।

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ललित कला अकादमी ने भगवाकरण को बताया  जिम्मेदार

केरल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने अकादमी के इस निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि अगर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपने ही देश का अपमान करने की कोशिश कर रहे हैं, तो देश से प्यार करने वालों को इसका विरोध करने के लिए दो बार सोचना नहीं पड़ेगा।केरल राज्य में बार-बार होने वाले हिंदु हास्यास्पद अपनामों पर टिप्पणी करते हुए के सुरेंद्रन ने कहा,सत्ता में बैठे लोगों को इस तरह के अन्याय को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए, वरना इसे खत्म करने के लिए लोगों को हस्तक्षेप करना होगा।

हास्यास्पद यह है कि केरल के ललित कला अकादमी द्वारा कोरोना महामारी के नियंत्रण की असफलता का कारण देश के भगवाकरण को बताया जा रहा है। सीधे तौर पर भाजपा सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कार्टून के माध्यम से भाजपा सरकारों पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने महामारी के नियंत्रण के लिए वैज्ञानिक उपायों के स्थान पर दकियानूसी बातें की हैं!

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जबकि सत्य यह है कि केरल कोरोना को नियंत्रित करने के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है। केरल से लगभग 7 गुना बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना को केरल की अपेक्षा जल्दी नियंत्रित कर लिया गया, जबकि उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा केरल की अपेक्षा बहुत पिछड़ा हुआ है।

हिंदुओं के रहमो-करम पर पलने वाले ही हिंदू संस्कृति पर उठा रहे सवाल

ललित कला अकादमी सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त स्वायत्तशासी संस्थान है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि जब केरल के शैक्षणिक क्षेत्र में लगे किसी संस्थान द्वारा हिंदुओं का अपमान किया गया है। वस्तुतः पूरे केरल में ऐसे शिक्षण संस्थान भरे पड़े हैं, जो हिंदुओं के टैक्स के पैसे से चलते हैं और हिंदू संस्कृति को ही अपमानित करते हैं। पिछले दिनों ही TFI ने अपने एक लेख में बताया था कि श्री केरल वर्मा कॉलेज, जिसे हिंदू मंदिरों को मिलने वाले दान से ही फंड मिलता है, वहां पर कम्युनिस्ट पार्टी के छात्र संगठनों द्वारा हिंदुओं का अपमान करते हुए कार्टून बनाए जाते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि वामपंथी छात्र संगठन SFI ने केरल वर्मा कॉलेज को अपने प्रोपेगेंडा का अड्डा बना लिया है।

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दुर्भाग्यपूर्ण है वामपंथियों की ये नौटंकी

बताते चलें कि पहले केरल वर्मा कॉलेज और अब ललित कला अकादमी के प्रकरण से स्पष्ट होता है कि केरल के शिक्षण संस्थान पढ़ाई से अधिक ध्यान वामपंथी प्रोपेगेंडा पर देते हैं! संभवत यही कारण है कि केरल में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। नशीले पदार्थों के अधिक सेवन का असर वामपंथियों के मस्तिष्क पर पड़ चुका है और इन मूर्ख वामपंथियों को भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धि की जानकारी नहीं है! गौरतलब है कि एक ऐसे समय पर जब भारतीय वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है, भारत में ही वैज्ञानिक प्रयासों का मज़ाक  बनाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

 

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