26 विधेयक पारित करने चली मोदी सरकार और 12 विपक्षी सांसद पहले ही हिट विकेट

ये भी ठीक है!

भाजपा अत्यंत भाग्यशाली राजनीतिक दल है। यह बात हम सभी को मालूम है। समय-समय पर ऐसे अनेकों प्रकार के काम अपने आप हो जाते हैं, जिसका राजनीतिक लाभ भाजपा को प्राप्त होता है। कांग्रेस कुछ अपनी समस्याओं से परेशान है, और कुछ किस्मत उसकी लुटिया डुबो रही है। ये हाल सिर्फ कांग्रेस तक सीमित नहीं है, पूरे के पूरे विपक्ष का इस वक्त यही हाल है। मानसून सत्र के दौरान, विपक्ष के सदस्य सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 के पारित होने के दौरान सदन के वेल में प्रवेश कर गए थे, और पीठासीन अध्यक्ष को मार्शलों को बुलाकर उन्हें बाहर निकालने के लिए बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उस दौरान विपक्षी दल इतने आवेश में अपनी मर्यादा ही भूल गए और अब इसका फायदा भाजपा को स्पष्ट रूप से होने जा रहा है।

शीत सत्र से पहले मॉनसून सत्र चल रहा था। संसद का 19 जुलाई से शुरू हुए मॉनसून सत्र को पूर्व निर्धारित समय से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। उस दिन जो बवाल देश के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया था, ऐसा लग रहा था कि लोकतंत्र का मंदिर मछली बाजार में परिवर्तित हो गया है। खैर, कार्रवाई करने के आश्वासन के साथ खत्म हुए सत्र का काम इस सत्र में पूरा किया गया। मॉनसून सत्र के आखिरी दिन चौंकाने वाली हिंसा के लिए राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों को संसद के कल से आरंभ हुए शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। विपक्ष ने निलंबन की निंदा करते हुए इसे नियमों के खिलाफ बताया है।

निलंबन प्रस्ताव में कहा गया है कि सांसदों ने स्वेच्छा से “अभूतपूर्व कदाचार, अवमानना, हिंसक और अनियंत्रित व्यवहार और सुरक्षा कर्मियों पर जानबूझकर हमले” किए हैं। निलंबित सांसदों में एलाराम करीम (सीपीएम), फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रसाद सिंह, भाकपा के बिनॉय विश्वम, तृणमूल कांग्रेस के डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना के अनिल देसाई और प्रियंका चतुर्वेदी का नाम है।

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निलंबन नोटिस में कहा गया है, “यह सदन संज्ञान लेता है और अध्यक्ष के अधिकार की पूर्ण अवहेलना की कड़ी निंदा करता है। सदन के नियमों का पूरी तरह से दुरुपयोग किया गया है जिससे सदन के कामकाज में कदाचार, अवमानना, अनियंत्रित और जानबूझकर बाधित करने का काम हुआ है। राज्य सभा (मानसून सत्र) के 254वें सत्र (मानसून सत्र) के अंतिम दिन यानी 11 अगस्त को सुरक्षा कर्मियों पर हिंसक व्यवहार और जानबूझकर हमले किए गए थे, जिससे उल्लेखित सदस्यों द्वारा सम्मानित सदन की गरिमा को कम करने का प्रयत्न किया गया है। राज्यसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 256 के तहत इन सदस्यों को 255 वें सत्र के शेष के लिए सदन की सेवा से निलंबित किया जाता है।”

एक तरफ यह सब हो रहा है तो दूसरी ओर अमित शाह नए कानूनों की बौछार लाने वाले हैं। खबरों की माने तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के साथ ही दिल्ली पहुंच गए हैं। इस सत्र में 26 नए विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के एजेंडे में हैं।

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गृह मंत्री अमित शाह और उनके कई सहयोगियों, जिनमें वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी और I & B मंत्री अनुराग ठाकुर शामिल हैं, उन्होंने गुरुवार को ही संसद के शीतकालीन सत्र से पहले सरकार की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए मुलाकात की थी। यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर हुई।

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो चुका है, जिसमें पारित होने के लिए सूचीबद्ध 26 में से कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए एक विधेयक है। अन्य में विवादास्पद क्रिप्टोकरेंसी बिल और दूसरा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को 51 प्रतिशत से घटाकर केवल 26 प्रतिशत करने वाले कानून शामिल हैं।

अब सरकार बिना किसी अत्याधिक विरोध के ही इन क़ानूनों को पारित करवा सकती है, क्योंकि लोकसभा में तो पहले से ही बहुमत में है।

राज्यसभा की वर्तमान अधिकतम सीट 245 है, जिसमें सत्तारूढ़ एनडीए की ताकत 118 है जबकि विपक्षी यूपीए के पास 109 हैं। अन्य, जिनमें AITC, बीजद और टीआरएस जैसी पार्टियां शामिल हैं, और उनकी ताकत 63 है।

12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन के साथ, सत्तारूढ़ सरकार को इस सत्र के लिए सूचीबद्ध विधेयकों को पारित करने के लिए केवल 117 (233 की ताकत पर) की आवश्यकता होगी और एनडीए के पास 118 की सांसद हैं। यही कारण है कि संसद के दोनों सदनों में विधेयकों को पारित करने में मोदी सरकार को किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।

अब कांग्रेस तथा अन्य दलों के राज्यसभा सदस्यों के निलंबन के बाद BJP राज्य सभा में भी बहुमत में आ चुकी है। अब सरकार चाहे तो कानून पर कानून ला सकती है और विपक्ष सिर्फ हंगामा कर सकता है। इसके अलावा उसके बस में कुछ भी नहीं है। इसीलिए हमने कहा था कि भाजपा से भाग्यशाली कोई राजनीतिक दल नहीं है।

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