पूर्वांचल को भ्रष्ट नेताओं ने दशकों तक रखा गरीब, PM मोदी ने इसे दिया भारत का सबसे बेहतरीन हाईवे

अब पूर्वांचल के दिन फिरने वाले हैं!

पूर्वांचल

पूर्वांचल सुनकर आपके दिमाग में क्या आता है? यह सवाल उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों से पूछे जाने पर कुछ स्वाभाविक उत्तर प्राप्त हो सकते हैं। जैसे कि, जातिवाद, गरीबी, पिछड़ापन, मर्डर, रेप, गुंडागर्दी इत्यादि । अतीत की कुछ ऐसी विरासत है, जो पूर्वांचल के संदर्भ में सच मानी जाती है। दशकों तक इस प्रदेश ने बड़े वादे तो देखे लेकिन विकास किसी ने नहीं देखा। लोगों को गरीब बनाये रखने का राजनीतिक लाभ यह था कि छोटी-मोटी परियोजनाओं से उन्हें वोट बैंक बनाकर रखा जा सकता था और बहुत से राजनीतिक दल जिसमें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी शामिल है, उनके लिए यह तरकीब कामयाब भी थी।

समय बीतने के साथ यहां परिवर्तन हुआ, मनोज सिन्हा, योगी आदित्यनाथ और कई अन्य क्षेत्रीय नेताओं की वजह से सत्ता परिवर्तन हुआ और आज वही पूर्वांचल देश का सबसे उन्नत तकनीक वाला एक्सप्रेसवे देख रहा है।

TFI ने अपने एक लेख में बताया था कि , “मीडिया ‘नाम बदलने’ और ‘भगवा कपड़ों’ पर ही अटका है, योगी ने यूपी में ‘एक्सप्रेस-वे क्रांति’ कर दी ।”

उस लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे उत्तरप्रदेश में एक्सप्रेसवे और हाइवे का जाल बिखेरा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे और हाइवे की बारिश हो रही है। सबसे पहले बात पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की करते है। इसे उत्तर प्रदेश सरकार के सेक्रेटरी ने रीढ़ की हड्डी कहा है। इससे गाजीपुर को लखनऊ से जोड़ा जाएगा। पहले आजमगढ़ से लखनऊ 5 घण्टे का सफर होता था लेकिन अब वह दूरी 2 घण्टे में पूरी होगी। इस एक्सप्रेसवे से उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों को राजधानी से जोड़ा जा सकेगा। इस एक्सप्रेसवे की पूरी लंबाई 340 किलोमीटर होगी। इसका कार्य 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है तथा इसी वर्ष अक्टूबर में काम पूरा होने की उम्मीद है। इस लेख को अभी तीन माह भी पूरे नहीं हुए है और पूर्वांचल एक्सप्रेस का उद्घाटन भारतीय प्रधानमंत्री ने कर दिया है।

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एक बार जनता के लिए खुलने के बाद, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लखनऊ जिले के गांव चंदसराय से शुरू होकर पूर्वी यूपी की हृदय रेखा बन जाएगा तथा यूपी-बिहार सीमा से सिर्फ 18 किमी पहले गाजीपुर जिले के गांव हैदरिया तक नौ जिलों को जोड़ेगा। यह छह (6) लेन का विश्व स्तरीय कैरिजवे है और इसे आठ (8) लेन तक बढ़ाया जा सकता है। वायु सेना के लिए सुल्तानपुर जिले में एक्सप्रेस-वे पर आपात स्थिति में हवाई पट्टी भी विकसित की गई है। उद्घाटन के समय तो खुद भारतीय प्रधानमंत्री वायुसेना के बेड़े में सबसे बड़ा जहाज, C-17 ग्लोबमास्टर से हाइवे पर उतरे थे।

 

उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि, “तीन साल पहले जब मैंने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन यहां विमान से उतरूंगा।”

PM मोदी ने आगे कहा, “यह राज्य के विकास का एक्सप्रेसवे है और ये नए उत्तर प्रदेश को रास्ता दिखाएगा।” मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास की जीवन रेखा बनेगा।

एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा, “कोविड-19 महामारी के बीच तीन साल में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का काम पूरा हुआ। यह पूर्वी यूपी के विकास की जीवन रेखा बनेगा। पूर्वांचल के लोगों को बधाई।”

दूसरी ओर जो सत्ता में ना होने के कारण बौखलाए हुए है, वो इसे अपनी उपलब्धि बता रहे है। यह दावा करने के बाद कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उनकी समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा बनाया गया था, अखिलेश ने योगी सरकार पर इसकी गुणवत्ता से समझौता करने का आरोप लगाते हुए इसके निर्माण कार्य में कमियाँ गिनवाई है।

पूर्वांचल के लिए ये बड़ी बात क्यों है?

किसी एक राज्य में इतने बड़े-बड़े अपराधी और गैंगस्टर नहीं होंगे जितने पूर्वांचल के एक जिले में है। मुन्ना बजरंगी, हरिशंकर तिवारी, विजय प्रताप शाही, मुख्तार, अबु सलेम, काटू सिंह, बकाटू सिंह, बृजेश सिंह, साधु सिंह, सुभाष ठाकुर, श्रीप्रकाश शुक्ला समेत तमाम नाम पूर्वांचल से ही जुड़े हुए हैं। इन्हीं लोगों के राजनीतिक तार होने के कारण इस बेल्ट में कभी भी विकास संभव नहीं हो पाया है।

दूसरी बात यह भी है की उत्तर प्रदेश के अबतक जितने मुख्यमंत्री हुए हैं, वह अवध और पश्चिमी यूपी से रहे हैं और इसीलिए उनके विकास कार्यक्रम पश्चिमी यूपी तक सीमित रहे हैं। चाहे वो आगरा एक्सप्रेसवे हो या फिर पार्कों का निर्माण हो, सपा और बसपा ने यह सुनिश्चित किया कि कन्नौज, लखनऊ, शाहजहांपुर श्रावस्ती बहराइच का विकास हो लेकिन बलिया, गाजीपुर, देवरिया, गोंडा, चंदौली का विकास न हो।

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लेकिन इतने वर्षों बाद योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में इस क्षेत्र को भी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो रही है। उत्तरप्रदेश का विकास अब सबके लिए एक समान है। मात्र 3.5 वर्षों में 1 लाख 88,000 करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है जिसमें 66,000 करोड़ रुपए का निवेश तो केवल लॉकडाउन के समय आया है। बहुत से लोग अब यूपी मॉडल को समझ रहे है। प्रदेश में चल रही सरकारी विकास योजनाएं, उत्तर प्रदेश के स्वर्णिम दौर की नींव है। विभिन्न हिस्सों में बन रहे एक्सप्रेसवे, राजधानी से सटे हुए क्षेत्रों में प्रशासनिक सेवा, नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और लालफीताशाही का अंत केवल चंद उदाहरण है, जिससे यह पता चले कि प्रदेश में आर्थिक विकास हो रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने एक बार प्रसिद्ध रूप से कहा था, “अमेरिकी सड़कें अच्छी इसलिए नहीं हैं क्योंकि अमेरिका समृद्ध है, बल्कि अमेरिका समृद्ध है इसलिए अमेरिकी सड़कें अच्छी हैं।” पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आधुनिक लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली सड़क नेटवर्क परियोजनाओं को निष्पादित करने का तरीका सिखाया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने उस नजरिए को सच किया और राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की उच्चतम प्रतिदिन और प्रतिसप्ताह गति का रिकॉर्ड बनाया है।

आज यूपी के पास देश के सबसे बेहतरीन एक्सप्रेसवे है। आज यहां निवेश और व्यापार को बढ़ाने की प्रतिबद्धता दिख रही है। बुंदेलखंड में ग्रीन डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। सिर्फ इस परियोजना से 1 लाख करोड़ से अधिक के निवेश आने की संभावना है। 91 किलोमीटर लम्बा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण भी लगभग पूरा होने वाला है जिससे गोरखपुर को लखनऊ, बनारस, गाजीपुर से जोड़ा जाएगा। पुर्वांचल के लिए अभी तो यह शुरुआत है। पूर्वांचल के 19 जिलों ने अभी लालिमा देखी है, विकास का सूर्योदय देखना तो अभी बाकी है।

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