यदि 2000 के प्रारम्भिक दशक में आप पले बढ़ें हैं और रेडियो मिर्ची पर ‘पुरानी जींस’ नहीं सुना है, तो क्या खाक कुछ सुना है आपने? अपने आवाज से सबका मन मोह लेने वाली आरजे सायमा ने दशकों तक सबके हृदय में अपना स्थान बना लिया था, और आज भी वह एफएम रेडियो के उस युग की सबसे प्रभावशाली रेडियो जॉकी में से एक मानी जाती है। लेकिन वो क्या है न, सोशल मीडिया के युग में किसी भी व्यक्तित्व की ‘चमक’ स्थाई नहीं रहती, जब तक वो वास्तव में उतना प्रभावशाली न हो! ऐसे में आरजे सायमा के मनमोहक आवाज़ के बहकावे में मत आइएगा, क्योंकि उनकी आवाज के पीछे के विषैले, कुत्सित सोच के बारे में आपको कोई आभास नहीं है!
दरअसल, हाल ही में आरजे सायमा ने दिवाली के आगामी उत्सव को लेकर अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है, जिसे लेकर बवाल मचा हुआ है। उन्होंने दिवाली को कथित महंगाई से जोड़ते हुए सनातनियों के खिलाफ आपतिजनक पोस्ट किया है, जबकि बकरीद और ईद जैसे मौके पर इनके मुंह से केवल और केवल प्यार ही टपकता है। इस्लामिक पर्व के मौके पर वो एकदम पारंपरिक तरीके से ईद मुबारक पोस्ट करती हैं, जबकि सनातनियों के पर्व पर उनकी कुंठा निकल कर बाहर आ रही है! आखिर ये भेदभाव क्यों और किसलिए?
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मनमोहक आवाज के पीछे एक घृणित सोच
लेकिन आपको क्या लगता है, ऐसा पहली बार हुआ है? आरजे सायमा ने क्या इससे पहले कभी भी ऐसा नहीं किया? TFI के संस्थापक अतुल कुमार मिश्रा ने आरजे सायमा के इस घृणित प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए ट्वीट किया कि आरजे सायमा कट्टरपंथी इस्लाम को किस प्रकार से बढ़ावा देती हैं, तो उसी के उत्तर में तरुण चतुर्वेदी नामक यूज़र ने उनकी इसी प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए ट्वीट किया कि “यह ऐसा पहली बार नहीं है”
RJ Sayema is a hardcore islamist. Don’t let her voice fool you.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) November 1, 2021
इसके पश्चात तरुण ने सायमा के दो ट्वीट्स के फोटो शेयर किए, जहां एक ओर वह दीपावली पर पटाखों के छोड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन बेंच के पक्षपाती रवैये का विरोध करने वाले यूजर्स को उपदेश देती फिर रही थी, लेकिन दूसरी ओर जब बकरीद को लेकर लोगों ने उनके दोहरे मापदंड पर प्रश्न किया, तो वह बुरी तरह भड़क गई। विश्वास नहीं होता तो आप खुद ही उनके ट्वीट्स देख लीजिए –
not the first time pic.twitter.com/bJulW3JtbA
— Tarun Chaturvedi (@tarun_197) November 1, 2021
इसे देख कर एक ही संवाद स्मरण होता है-
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CAA के विरोध के नाम पर पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़काए दंगे
शायद आपको पता न हो, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से न सही तो अप्रत्यक्ष रूप से पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगे भड़काने में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका स्वरा भास्कर, संयुक्ता बसु, हर्ष मंदर जैसे लोगों की थी, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका आरजे सायमा की भी रही है! जब CAA लागू हुआ था, तो वामपंथियों ने ये अफवाह फैला दी थी कि ये अधिनियम मुसलमानों से उनकी नागरिकता छीन लेगा, जिसके विरोध में हजारों कट्टरपंथी एकत्रित हुए थे।
उसी बीच जब कट्टरपंथी मुसलमानों ने दिल्ली में अराजकता फैलाने का प्रयास किया, तो दिल्ली पुलिस ने उनपर प्रतीकात्मक कार्रवाई भी की थी। जिसके विरोध में आरजे सायमा ने भड़काऊ ट्वीट्स किए थे, जिन्हें बाद में डिलीट भी करना पड़ा। एक ट्वीट में उन्होंने अधिक संख्या में CAA विरोधियों को दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव करने को कहा था, और दूसरे में उन्होंने पुलिस की प्रतीकात्मक कार्रवाई की तुलना कश्मीर में आतंकियों पर हो रही सेना की कारवाई से की थी, जो उसकी दृष्टि में ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार’ के समान है।
ऐसे में आरजे सायमा ने एक बार फिर अपनी घृणित और कुत्सित सोच का प्रदर्शन करते हुए यह सिद्ध किया है कि वह सनातन संस्कृति से किस हद तक घृणा करती है, और क्यों उनकी आवाज एक मृगतृष्णा है। जिसके पीछे की सोच बहुत ही घृणित और कुत्सित रही है, जिसका उद्देश्य ही रहा है – भारत का विनाश!