एक्शन डायरेक्टर रोहित शेट्टी दो चीज़ों के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं – अपनी फिल्मों में गाड़ियों को आसमानी सैर कराने और लॉजिक एवं ग्रेविटी पर अपनी फिल्मों के ज़रिये प्रश्नचिन्ह लगाने के लिए. लेकिन अब जल्द ही रोहित शेट्टी एक और चीज़ के लिए प्रसिद्द होने वाले हैं और वह है- बड़े ही शालीनता से वामपंथियों को उन्हीं के तर्कों से पटक-पटक कर धोने के लिए. हाल ही में रोहित शेट्टी ने वामपंथी पत्रकार अबीरा धार की जमकर क्लास लगाई है।
दरअसल, पिछले एक हफ्ते से ‘सूर्यवंशी’ ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रखा है. फिल्म ने अपने दूस्ररे हफ्ते में लगभग 160 करोड़ रुपये का कलेक्शन बॉक्स ऑफिस से सुनिश्चित किया है, जिसमें से 125 करोड़ से अधिक का कलेक्शन अकेले भारत से हुआ है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मोहल्ले की नकचढ़ी आंटियों की भांति मुंह फुलाकर बैठे हैं, और वो है हमारी परम प्रिय ‘वामपंथी मण्डली’! जितनी आपत्ति दक्षिणपंथियों को इस बात से नहीं है कि ‘सूर्यवंशी’ फिल्म में सेक्युलरिज्म की दुहाई दी गई, उससे अधिक वामपंथियों को इस बात की मिर्ची लगी है कि आखिर रोहित शेट्टी ने मुसलमानों को विलेन बनाया तो बनाया कैसे? हिम्मत कैसे की रोहित शेट्टी ने?
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अबीरा धार को दिया करारा जवाब
इस बात को लेकर द क्विंट की पत्रकार अबीरा धार ने रोहित शेट्टी को घेरने का प्रयास किया, और पूछा, “कुछ लोगों ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि इस फिल्म में कैसे मुसलमानों को चित्रित किया गया है. जिस प्रकार से फिल्म में अच्छे मुसलमान और बुरे मुसलमान का चित्रण हुआ है, जिस प्रकार से आपने आतंकवाद को दर्शाया है, वह काफी चिंताजनक है….”
इस बात को बीच में ही काटते हुए रोहित शेट्टी ने उन्हीं के तर्क का प्रयोग करते हुए कहा, “सिंघम में जयकांत शिकरे तो मराठी था, एक हिन्दू. उसके सीक्वेल में एक हिन्दू बाबा विलेन था. सिम्बा में भी दुर्वा रानाडे महाराष्ट्र का ब्राह्मण था. ये तीनों नकारात्मक शक्तियां हिन्दू थी, तब आपको कोई समस्या नहीं हुई, तो अब क्यों?”–
Nobody raised a question when they showed a Hindu villain. Infact, liberals and journalists were okay with the same. Then why a mooslim terrorist is problematic now? 😭Sahi dhoya Rohit Shetty 🤣#Sooryavanashi pic.twitter.com/Z8iszngmiB
— Amit Kumar ( Modi Ka Parivar ) (@AMIT_GUJJU) November 14, 2021
आलोचना की चिंता नहीं करते हैं रोहित शेट्टी
अपने आप को घिरता हुआ देख अबीरा धार ने गोलमोल तर्क दिए और अपने हास्यास्पद तर्क का बचाव करने में जुट गई, तो रोहित शेट्टी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा, “बात यही नहीं है. जब कोई आतंकी पाकिस्तान से आता है, तो क्या आप उसकी जात देखते हो? लेकिन कुछ पत्रकारों के मत पढ़ने के बाद मेरे विचार अवश्य बदल चुके हैं, क्योंकि वे ब्रैकेट में बाकायदा लिख कर कह रहे थे कि यह देखो, बुरे मुसलमानों को उच्च जाति के हिन्दू नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे हैं, और ये प्रवृत्ति गलत है!”
रोहित शेट्टी उन निदेशकों में से एक हैं, जिन्होंने न क्रिटिक्स की आलोचना की चिंता की है और न ही जनता के तानों की. परन्तु यदि उन्हें भी इस प्रकार से वामपंथी की धुलाई करनी पड़े, तो आप समझ सकते हैं कि वामपंथियों ने किससे और कितना गलत पंगा मोल लिया है!