शरजील को जमानत मिलने से वामपंथियों को उछलने की जरुरत नहीं है, अभी वो जेल में ही रहेगा

ये तो शुरू होते ही ख़त्म हो गया!

शरजील इमाम देशद्रोह

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देश विरोधी बयानबाजी के मामले में शरजील इमाम को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। शरजील इमाम की जमानत के बाद इस्लामिस्ट और वामपंथी विचारधारा के लोगों में उत्सव का माहौल बन गया था। उन्हें लगा कि शरजील इमाम अब जेल से बाहर आ सकेगा, लेकिन उनके सपने इतनी सरलता से पूरे नहीं होने वाले हैं। शरजील इमाम को अभी तक दिल्ली की साकेत कोर्ट द्वारा जमानत नहीं दी गई है, जिसके कारण वो अभी तिहाड़ जेल में बंद रहेगा।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भारत विरोधी भाषण के बाद शरजील इमाम पर अलीगढ़ में मुकदमा दर्ज किया गया था। अपने भाषण में शरजील इमाम ने भारत के अन्य भागों को पूर्वोत्तर भारत से काटने की बात कही थी। उसने अपने भाषण में असम के मुसलमानों पर हो रहे कथित अत्याचारों के विरोध में ऐसा करने की बात कही थी और भारत के टुकड़े करने को, मुसलमानों की जिम्मेदारी बताया था।

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The Quint ने बताया एक्टिविस्ट

शरजील की जमानत की सूचना मिलते ही The Quint ने उसे एक्टिविस्ट करार दे दिया। वहीं, सफुरा जरगर जैसे कई कट्टरपंथियों में खुशी की लहर दौड़ गई! हालांकि, उनकी क्षणिक खुशी हताशा में बदल गई, क्योंकि दिल्ली की साकेत कोर्ट में उसकी जमानत पहले से ही खारिज है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किस आधार पर शरजील इमाम को बेल दी है, अभी इस पर विस्तृत बयान सार्वजनिक नहीं हुआ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि शरजील इमाम के वकील ने उसके बचाव में यह तर्क दिया कि शरजील की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता नहीं है। हालांकि, यह तर्क खोखला है, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने जब इस मामले में सुनवाई की थी, तो शरजील के वैचारिक हलाहल (जहर) को ही उसकी बेल खारिज करने के लिए पर्याप्त माना था।

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साकेत कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि “हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं, इसलिए इसका ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं, शब्द उतने महत्वपूर्ण नहीं है। विचार जीवंत होते हैं जो दूर तक जाते हैं। 13 दिसंबर 2019 को दिया गया इमाम का भाषण साफ–साफ सांप्रदायिक और विघटनकारी है।” संभवतः इलाहाबाद हाई कोर्ट इस विचार से सहमत नहीं है, शायद इसीलिए जमानत दे दी!

कट्टरपंथियों ने चलाया प्रोपेगेंडा

एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि शरजील की जमानत की खबर सुनने के बाद यह प्रोपेगेंडा चलाया जाने लगा कि शरजील जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति को भारतीय न्याय व्यवस्था जेल में बंद किए हुए है। यह तर्क इस्लामिस्ट विचारधारा वाले लोगों की विषाक्त मानसिकता को प्रदर्शित करता है, क्योंकि उन्हें देश विरोधी तत्व का पक्ष मजबूत करने के लिए हर प्रकार का प्रोपेगेंडा चलाना आता है। शरजील इमाम की पढ़ाई का उसकी आतंकी सोच से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि यह आवश्यक नहीं कि उच्च शिक्षा आतंकी विचारधारा को समाप्त कर दे। ओसामा बिन लादेन से लेकर अबू बकर अल बगदादी तक बड़े-बड़े आतंकी उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़े थे। भारत की ओर से आईएसआईएस में भर्ती होने के लिए सबसे अधिक मुस्लिम युवक केरला से गए थे, जो भारत में सबसे शिक्षित राज्य के रूप में प्रतिष्ठित है!

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