स्काईरूट – विश्व में सबसे कम मूल्य में अंतरिक्ष अभियान करने का कार्य भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) करती है। अब इसरो की तरह ही एक भारतीय कंपनी भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। भारत के युवा वैज्ञानिकों ने विश्व के लिए कम मूल्य में सेटेलाइट लांच की सुविधा विकसित की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार युवा साइंटिफिक इन्टरप्रेन्योर ने 25 नवम्बर को अपने स्वरूप का पहला परीक्षण किया है। पहली बार किसी निजी कंपनी ने क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है।
यह क्रायोजेनिक इंजन LNG से संचालित है अर्थाय इस परीक्षण में लिक्विड नेचुरल गैस का प्रयोग हुआ है। इसकी मदद से रॉकेट लॉन्चिंग की जाएगी, विश्व का क्रायोजेनिक इंजन में LNG उपयोग का प्रथम उदाहरण है। इसका लाभ यह है कि अब हमें पर्यावरण को कम क्षति पहुंचाते हुए, कम लागत में प्रक्षेपण की विधि मिल गई है।
देश का सबसे सस्ता स्वदेशी इंजन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद स्थित स्काईरूट ऐरोस्पेस ने 25 नवम्बर को नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्री लिमिटेड की टेस्ट फैसिलिटी में अपने पहले 3D प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया है। पूर्णतः स्वदेशी इंजन को स्काईरूट अपने रॉकेट ‘विक्रम’ में लगाएगी। स्काईरूट ऐरोस्पेस कंपनी के बिजनेस डेवलपमेन्ट के प्रमुख शिरीष पल्लीकोंडा ने आज तक को बताया, “आम तौर पर क्रायोजेनिक इंजन कई पार्ट में बनता है लेकिन इन्होंने पूरे इंजन को एक पार्ट में विकसित किया है। इस कारण बड़े पैमाने पर निर्माण के समय ये इंजन सस्ते पड़ेंगे।”
शिरीष ने बताया कि “3D क्रायोजेनिक इंजन आम क्रायोजेनिक इंजन की तुलना में अधिक भरोसेमंद भी है। साथ ही 30-40 प्रतिशत सस्ते हैं।” उन्होंने कहा कि “इन इंजन का प्रयोग उनके रॉकेट विक्रम 1,2 और 3 में किया जाएगा।” यह रॉकेट 225 किलोग्राम के वजह को 500 किलोमीटर की ऊंचाई वाले SSPO या 315 किलोग्राम के पेलोड को पृथ्वी की लोअर ऑर्बिट में स्थापित कर सकेगा। ईंधन में आम ईंधन के स्थान पर LNG और लिक्विड ऑक्सीजन इस्तेमाल होगी। कंपनी ने पहले इंजन का नाम भारत के प्रसिद्ध रॉकेट साइंटिस्ट डॉ० सतीश धवन के नाम पर धवन-1 और रॉकेट का नाम महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर ‘विक्रम’ रखा है।
स्पेस सेक्टर में निजी कंपनियों की बढ़ेगी भागीदारी
हाल ही में 11 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISA)का गठन किया है। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में OneWeb, Bharti Airtel, मैप माई इंडिया, Walchandnagar Industries और Ananth Technology Limited सहित अन्य कई बड़े संस्थान शामिल हैं। इसका उद्देश्य भारत के स्पेस सेक्टर में निजी भागीदारी को बढ़ावा देना है। भारत जिस तेजी से वैश्विक पटल पर आगे बढ़ रहा है, हमें अपने स्पेस सेक्टर को और गतिमान बनाना पड़ेगा। एक ओर व्यापारिक गतिविधियों और सामरिक दृष्टि से स्पेस सेवाओं के विस्तार की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर भारत ऐसे विकासशील देशों के लिए बड़ा बाजार बन सकता है, जिनके पास सेटेलाइट लांच की अपनी सुविधा नहीं है। इस दृष्टि से स्काईरूट की यह उपलब्धि महत्वपूर्ण है।