राज्य सभा सदस्यता समाप्त होते देख, सुब्रमण्यम स्वामी ने चूमा TMC का हाथ

स्वामी कुर्सी के लिए यह कुछ भी कर सकते हैं!

ममता बनर्जी सुब्रमण्यम स्वामी

राजनीति अगर अवसरवाद की लड़ाई है तो सुब्रमण्यम स्वामी इसके अजेय राजा हैं। आत्ममुग्धता में चूर स्वामी एक कुर्सी प्रेमी व्यक्ति हैं और खुद के जमीर के नामपर इनके पास कुछ भी नहीं है। ये राम मंदिर को अपनी विजय बताते नहीं थकते हैं। मुसलमानों के प्रति इनकी अपनी अलग कुंठा है, ज्ञान देते हुए ये बहुत बड़ी बड़ी बात बोलते हैं, इस कहानी का एक पहलू यह भी है कि खुद इनके दामाद मुसलमान हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी एक चीज ले लिए और कुख्यात रहे हैं कि कुर्सी के लिए यह कुछ भी कर सकते हैं और कई बार तो कुर्सी के लिए इन्होंने अपनों को धोखा दिया है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिराने का पूरा श्रेय स्वामी को जाता है।

कल ममता बनर्जी और सुब्रमण्यम स्वामी के बीच में मुलाकात हुई है। अब इस बैठक के लिए कौन किसको बुलाया था, ये तो मालूम नहीं लेकिन बैठक के बाद ममता बनर्जी का महिमामंडन करते हुए राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वह जितने भी नेताओं से मिले हैं, उनमें बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जेपी, मोरारजी देसाई, पीवी नरसिम्हा और राजीव गांधी के बराबर हैं।

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करते हुए कहा, “मैं जितने भी राजनेताओं से मिला या उनके साथ काम किया, उनमें से ममता बनर्जी जेपी, मोरारजी देसाई, राजीव गांधी, चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव के स्तर की हैं, जिनका कहने और करने का मतलब एक था। भारतीय राजनीति में यह एक दुर्लभ गुण है।”

सुब्रमण्यम स्वामी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात से उनके तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख से मुलाकात के बाद स्वामी ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की है। दोनों ने मुलाकात के बाद तस्वीरें भी खिंचवाईं हैं।

अब माहौल सेट था तो किसी के द्वारा, यह पूछे जाने पर कि क्या वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे, भाजपा नेता ने कहा, “मैं पहले से ही उनके साथ था। मेरे शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है।”

ये बदले बदले सुर कल ही नहीं थे। एक समय के प्रो हिंदुत्व वादी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आज ही सुबह 5 बजे ट्वीट करते हुए कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और सीमा सुरक्षा सहित शासन के लगभग हर पहलू में विफल रही है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था और सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में विफल रही है। उन्होंने अफगानिस्तान संकट से निपटने के लिए केंद्र के रुख को ‘असफलता’ बताया। उन्होंने पेगासस डेटा सुरक्षा उल्लंघन के लिए केंद्र सरकार को भी दोषी ठहराया है। 

अपने ट्वीट में स्वामी ने लिखा, 

“मोदी सरकार का रिपोर्ट कार्ड

अर्थव्यवस्था — विफल

सीमा सुरक्षा–विफल

विदेश नीति –अफगानिस्तान संकट

राष्ट्रीय सुरक्षा — पेगासस एनएसओ

आंतरिक सुरक्षा — कश्मीर उदास

कौन जिम्मेदार है?-सुब्रमण्यम स्वामी”

ममता की पीवी नरसिम्हा राव से तुलना करने की जो हिमाकत स्वामी ने की है, उसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक स्वार्थ छिपा है। अंदर की बात साधारण सी है कि इनकी राज्यसभा सदस्यता अगले साल समाप्त हो जाएगी और अपने चीन समर्थक रुख, बागी रुख अपनाए जाने के कारण उन्हें भाजपा से भी ज्यादा समर्थन नहीं मिलने वाला है इसलिए वह अब टीएमसी, अब टीएमसी की जी हुजूरी में लग गए है!

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मजबूरी बहुत बुरी चीज है। एक आदमी के हसरतों और स्वाभिमान से उसका पटना होता देख अच्छा तो नहीं लग रहा है लेकिन अलग में जब आप खुद को बहुत बड़े ज्ञानी समझें, आत्ममुग्धता में लिप्त हो जाएं तब आपको कोई कुछ समझा नहीं जा सकता है। भाजपा ने भी किनारे एक कारण से किया है। इनके रुख का कोई ठिकाना नहीं होता है। बंधु ऐसा विश्वासघात पहले भी एनडीए के साथ कर चुके हैं। इनकी कृपा से एनडीए 1999 में गिर गई थी! भाजपा अब वह काम दुबारा नहीं चाहती है।

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