त्रिपुरा में मारा गया बांग्लादेशी कोई मासूम मुस्लमान नहीं, एक गौ तस्कर था जिसने ग्रामीणों पर हमला किया था

मीडिया ने 'लिंचिंग' के बारे में फैलाई थी अफवाह!

त्रिपुरा पिछले काफी समय से चर्चा में है। असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा शर्मा और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के नेतृत्व में भाजपा का गढ़ धीरे-धीरे पूर्वोत्तर में मजबूत होता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य में पैठ बनाने की पूरी कोशिश कर रही है और बार-बार फेल हो रही है। इन पार्टियों के नियंत्रण वाला दलाल मीडिया केंद्र को घेरने की कोशिश तो बहुत करता है लेकिन नैरेटिव सेट नहीं कर पता है इसलिए राज्य के बारे में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाई जा रही है, जो स्वाभाविक है। विशेष रूप से राज्य की मुस्लिम आबादी को लक्षित करने के प्रयास में त्रिपुरा को मुसलमानों के लिए एक असुरक्षित राज्य के रूप में पेश किया जा रहा है। मीडिया द्वारा हाल ही में हुई ‘लिंचिंग’ के बारे में अफवाह फैलाई गई और उदारवादियों द्वारा चारों ओर हल्ला मचा दिया गया है कि त्रिपुरा में मुसलमान असुरक्षित हैं।

उदाहरण के लिए, NDTV ने घटना की एक रिपोर्ट में कहा, “त्रिपुरा में आज एक व्यक्ति को गाय चुराने के संदेह में पीट-पीट कर मार डाला गया। तीन संदिग्ध पशु तस्कर शुक्रवार देर रात बांग्लादेश से कथित तौर पर राज्य में दाखिल हुए थे। जब तीनों कथित तौर पर गाय चोरी करने के लिए एक लिटन पॉल के घर में घुसे, तो मालिक ने उन्हें पड़ोसी की मदद से पकड़ा।”

इसमें आगे कहा गया है, “तीनों संदिग्धों में से दो युवक भागने में सफल रहे, लेकिन एक नहीं बच सका। इसके बाद स्थानीय लोगों के गुस्साए समूह ने उन्हें पीट-पीट कर मार डाला।”

ये है सच!

अधिकांश मीडिया समूहों ने आपको यह नहीं बताया होगा कि उक्त बांग्लादेशी गाय तस्कर अवैध घुसपैठियों में से एक था। त्रिपुरा पुलिस ने उस व्यक्ति के कब्जे से बांग्लादेशी मुद्रा (टका) और एक मोबाइल फोन बरामद किया है, जिसकी हत्या की गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बांग्लादेशी मूल के तीन लोग मवेशियों को चुराने के इरादे से लिटन पॉल के घर में घुसे थी और जब पॉल ने इसका विरोध किया, तो उन्होंने उसका कान काट दिया। पॉल का फिलहाल अगरतला के जीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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घटना की अधिकांश मीडिया रिपोर्टों ने इस तथ्य को पूरी तरह से किनारे कर दिया है कि लिटन पॉल, जिस पर मॉब लिंचिंग का आरोप लगाया जा रहा है, वास्तव में वह बांग्लादेशी अपराधियों द्वारा एक अपंग हमलें का शिकार था और बांग्लादेशी उसके कान को काटने की कोशिश कर रहे थे। हम सब बस सोच सकते हैं की कैसे उस व्यक्ति की हत्या ये तीनों कर सकते थे।

त्रिपुरा पुलिस ने कहा, ‘यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक चोर बांग्लादेश के जामनगर का रहने वाला है। उसके साथ दो और साथी थे और सभी बांग्लादेश के कुमिला जिले के थे। हमने उसके पास से बांग्लादेश की मुद्रा (टका) और बांग्लादेश कनेक्शन वाला एक मोबाइल सेट बरामद किया है।’

त्रिपुरा के बारे में फेक न्यूज

मस्जिदों को जलाने की फर्जी खबर पर त्रिपुरा में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने उत्तरी त्रिपुरा जिले

के धर्मनगर उप-मंडल और त्रिपुरा के उनोकोटी जिले के कैलाशहर उप-मंडल में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की है। यह घटना धर्मनगर जिले के पानीसागर उपखंड के रोवा में शुरू हुई जहां विहिप हाल ही में दुर्गा पूजा हमलों के दौरान बांग्लादेश में सताए गए हिंदुओं के अधिकारों के लिए मार्च का नेतृत्व कर रही थी।

हिंदुओं द्वारा एक मस्जिद को जलाए जाने की फर्जी खबर के कारण इस्लामवादियों ने राज्य में दंगा भड़काने की कोशिश की और भारी तबाही की योजना थी जिसे राज्य के भाजपा प्रशासन ने कुशलता से टाल दिया।

फिर भी हजारों कट्टरपंथी जुटने में कामयाब रहे और कदमतला जैसे क्षेत्रों में, हिंदुओं के घरों, दुकानों और वाहनों पर हमला कर दिया। इस घटना के वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गए हैं। संक्षेप में बताएं तो मस्जिद को कभी छुआ नहीं गया था लेकिन उदारवादियों का मानना ​​​​है कि इसे जलाकर राख कर दिया गया है। फर्जी खबरों के आधार बनाकर हिंदुओं पर कट्टरपंथियों ने वैसे ही हमला किया जैसा बांग्लादेश में हुआ था।

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यह सब क्यों हो रहा है? इसके पीछे की मंशा को समझिए, उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव बहुत जल्द नजदीक आ रहे हैं। इसके साथ ही पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी चुनाव होने वाले हैं।

भारत के कुछ हिस्सों में मुस्लिम विरोधी हिंसा की कहानियों को गढ़ने के लिए विपक्ष और मीडिया में एकजुटता हो गई है। अभी लक्ष्य त्रिपुरा है क्योंकि उदारवादी चाहते हैं कि आप यह विश्वास करें कि एक शांतिपूर्ण उत्तर-पूर्वी राज्य, जो दशकों से कम्युनिस्टों द्वारा शासित था, अब भाजपा शासन के अधीन हिंसा की ओर मोड़ ले रहा है और यहां मुस्लिमों का अंत हो रहा है।

खैर, भारत में मोदी सरकार ने सबसे बड़ी योजना सफल कर दी है और वह योजना है सूचना क्रांति का युग! सरकार ने 4G के साथ सस्ते डाटा से लोगों को सत्य तक का मार्ग दिखाया है। अब लोग फेक न्यूज पर अलर्ट होकर उसकी पुष्टि करना शुरू कर दिए हैं जो कि सुरक्षा और जानकारी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। घुसपैठियों के इन कोशिशों पर लगाम लगाने के लिए बिप्लव देब का शुक्रिया!

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