आज तकनीक जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है, उससे मनुष्यों का काम आसान होता जा रहा है। हालांकि, इसका एक स्याह पक्ष भी होता है, जिसपर चर्चा कम ही की जाती है। अभी हाल ही में वर्चुअल रियलिटी की ओर कदम बढ़ाते हुए फेसबुक ने कई निर्णय लिए हैं। इसी क्रम में इस दिग्गज टेक कंपनी ने अपना नाम बदलते हुए Meta कर लिया है। अभी तक इस मेटावर्स के स्याह पक्ष पर किसी ने चर्चा नहीं की थी, लेकिन इसी कंपनी के एक अधिकारी के एक पत्र से कई खुलासे हुए हैं।
मेटावर्स के रियल्टी लैब्स के प्रमुख, एंड्रयू बॉसवर्थ ने कर्मचारियों को बताया है कि “इस वर्चुअल दुनिया में यूजर कैसे बोलते हैं और व्यवहार करते हैं, उनका नियंत्रण व्यावहारिक रूप से असंभव है।” बता दें कि एंड्रयू बॉसवर्थ फेसबुक के बड़े अधिकारी हैं, जो नई कंपनी मेटा भविष्य के सीटीओ हैं। उनके द्वारा ऐसी टिप्पणी करना कई संदेह पैदा करता है।
वर्चुअल रियलिटी के सभी घटनाओं को कैद करना असंभव
फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा एक्सेस किया गए आंतरिक ज्ञापन के अनुसार, उन्होंने चेतावनी दी कि “वर्चुअल रियलिटी महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए एक Toxic स्थान बन सकता है।” रियल्टी लैब्स के मुख्य अधिकारी का कहना है कि ऐसा माहौल फेसबुक की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए “existential threat” हो सकता है।
बता दें कि एंड्रयू बॉसवर्थ वर्तमान में मेटावर्स की रियल्टी लैब्स के प्रमुख हैं और अगले वर्ष में मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी के रूप में पदभार संभालेंगे। बॉसवर्थ की प्रमुख चिंता यह है कि धमकाने और बुरे व्यवहार VR जैसे इंटरैक्टिव, वातावरण का माहौल खराब कर सकते हैं, जो भविष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। उन्होंने स्पष्ट बताया कि वास्तविक समय में अरबों बातचीत की निगरानी असंभव है। यह विशेष रूप से मेटावर्स प्लेटफॉर्म फोटो, टेक्स्ट और वीडियो के लिए कहा गया था। उन्होंने अपने ब्लॉग पोस्ट में मेटावर्स के ऊपर अपनी चिंताओं को विस्तार से लिखा।
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Bosworth के अनुसार, अनिश्चित काल तक वर्चुअल रियलिटी में होने वाली सभी घटनाओं को रिकॉर्ड करना असंभव है। उन्होंने बताया कि यह लोगों की गोपनीयता का उल्लंघन होगा और किसी बिंदु तक पहुंच कर हेडसेट की memory समाप्त होनी ही है। रियल्टी लैब्स प्रमुख ने कहा कि इन चिंताओं को हल करने के लिए मेटा स्वामित्व वाले Oculus ने अपने Horizon Worlds के लिए एक समाधान विकसित किया।
इसमें जितनी बार भी प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट होती है, कैप्चर की गई जानकारी स्वचालित रूप से कथित घटना के सबूत के रूप में भेजी जाती है। यह जानकारी एक रोलिंग बफर के माध्यम से किया जाता है। बोसवर्थ ने बताया है कि “कंपनी संभावित रूप से अपने मौजूदा community rules को ही लागू कर सकती है।”
इन समस्याओं से निपटना सबसे बड़ी चुनौती
एक मेटा अकाउंट के साथ अपराधी को सभी मेटावर्स applications से हटाया जा सकता है, भले ही उनके पास कई आईडी क्यों न हो। इसके अलावा एक अलग ब्लॉग पोस्ट में बॉसवर्थ ने सुझाव दिया कि कंपनी अपने आप पर ऐसे सुरक्षा उपायों के साथ एक प्लेटफॉर्म बनाने में सक्षम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वर्चुअल रियलिटी अभी नया माध्यम है और इसके उपयोग और व्यवहार के बारे में मानदंड अभी भी विकसित हो रहे हैं।
बता दें कि फेसबुक ने 28 अक्टूबर को अपना नाम बदलकर ‘मेटा’ कर लिया था। कंपनी ने उल्लेख किया कि यह ‘मेटावर्स’ नामक ऑनलाइन दुनिया के विस्तार करने की दिशा में एक कदम है। बॉसवर्थ पहले भी चर्चा में रहे हैं, उनका इसी तरह का मेमो हेटस्पीच पर मेमो लीक हुआ था। अब यह देखना है कि Meta इन समस्याओं से कैसे निपटती है या फिर अपने फायदे के लिए ही काम करती है।