क्या हेमंत करकरे की मौत का कारण परमबीर सिंह द्वारा ‘नष्ट’ किया गया कसाब का फोन है?

शमशेर खान का कहना है कि परमबीर सिंह ने यह सुनिश्चित किया कि कसाब का फोन कभी भी जांच के दौरान सामने ना आए!

अजमल आमिर कसाब के फोन

मुंबई में घटित हुई 26 नवंबर 2008 की आतंकी घटना ने देश को हिलाकर रख दिया था। इस घटना को रोक पाने में कांग्रेस सरकार की असफल रही। इस घटना पर लंबे समय से जांच चल रही है। हाल ही में, महाराष्ट्र पुलिस के रिटायर्ड ACP शमशेर खान पठान ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि परमबीर सिंह ने अजमल कसाब के पास से मिले फोन को एक जूनियर ऑफिसर से लेकर, जांच अधिकारियों को देने के बजाए अपने पास रख लिया। शमशेर खान पठान का कहना है कि परमबीर सिंह ने “आतंकवादी अजमल आमिर कसाब के फोन को जब्त कर लिया और यह सुनिश्चित किया कि यह फोन कभी भी जांच या परीक्षण के दौरान प्रकट न हो।”

हिंदू आतंकवाद की कहानी गढ़ रहे थे परमबीर सिंह

यदि शमशेर खान के आरोपों में सच्चाई है, तो यह एक गंभीर मामला है क्योंकि यह भी हो सकता है कि अजमल कसाब के फोन में ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी रही हो, जिसके बल पर उन लोगों के बारे में सूचना मिल सकती थी, जिन्होंने भारत में रहकर भारत के साथ गद्दारी की थी। महत्वपूर्ण बात यह है कि अजमल कसाब ने ही मुंबई एटीएस के 3 सबसे वरिष्ठ अधिकारियों हेमंत करकरे, अशोक कामटे और विजय सालसकर को अपने साथी के साथ मारा था।

और पढ़ें :- शमशेर पठान ने किया खुलासा, ‘परमबीर ने नहीं किया था अधिकारियों से कसाब का फ़ोन शेयर!

जांच के दौरान कभी इस पक्ष पर ध्यान नहीं दिया गया कि एक ही समय पर मुंबई के तीन सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का सामना आतंकियों से अचानक कैसे हुआ? क्या यह मात्र संयोग था अथवा किसी बड़ी साजिश का हिस्सा था? संदेह इसलिए पैदा होता है क्योंकि एटीएस के तीनों अधिकारी साधारण पुलिसकर्मी नहीं थे बल्कि इन्हें मुठभेड़ का विस्तृत अनुभव था। मुंबई एटीएस ने मुंबई में अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में 18-20 साल के दो आतंकी बिना किसी संघर्ष के तीन सबसे वरिष्ठ अधिकारियों को आसानी से मार दे यह बात संदेहास्पद है।

https://twitter.com/itsshubhangi/status/1464185379993513984?s=21

गौरतलब है कि जब से परमबीर सिंह मुंबई पुलिस में कमिश्नर के पद पर नियुक्त हुए उसके बाद यह बात खुलकर सामने आई कि उनके वर्तमान महाराष्ट्र सरकार में काबिज राजनीतिक दल कांग्रेस और NCP से नजदीकी संबंध है। किंतु परमबीर सिंह आज से कांग्रेस के वफादार नहीं है। हिंदू आतंकवाद की कहानी गढ़ने में परमबीर सिंह एक मुख्य कथाकार थे। इन्होंने ही साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर अनगिनत अत्याचार किए और उनकी हिरासत के दौरान उन्हें टॉर्चर किया।

इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच की जानी चाहिए कि क्या कसाब के पास केवल उतनी ही जानकारी थी, जितनी उसके पकड़े जाने के बाद सामने आई या उसके मोबाइल फोन में अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी उपलब्ध थी जो मुंबई हमले की पूरी कहानी को नए सिरे से बदल सकती है।

और पढ़ें :- तुकाराम ओंबले- वो शूरवीर जिन्होंने 26/11 को कांग्रेस द्वारा हिन्दुत्व षड्यंत्र बनाने से रोका

आरोपों की नए सिरे से हो जांच

वैसे भी मुंबई हमला कोई साधारण इस्लामिक हमला नहीं था क्योंकि इन आतंकियों ने अपनी पहचान पूरी तरह से हिंदू बना रखी थी। हाथ में कलावा और जेब में हिंदू नाम की फर्जी आईडी, मुंबई हमले का पूरा प्लॉट हिंदू आतंकवाद की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त संसाधन लिए हुए था। हमले के तत्काल बाद ही कांग्रेस नेताओं द्वारा इस प्रोपेगेंडा को भी आगे बढ़ाना शुरू कर दिया गया था कि 26/11 का हमला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साजिश थी।

सत्य यह है कि अजमल कसाब यदि स्वर्गीय वीर तुकाराम ओंबले की बहादुरी के कारण जीवित ना पकड़ा गया होता तो 26/11 का हमला हिन्दुओं के माथे का कलंक बन सकता था। ऐसे में, इन परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए परमबीर सिंह पर लगे आरोपों की नए सिरे से जांच होनी चाहिए, जिससे सभी पक्षों के लिए एक संतोषजनक उत्तर खोजा जा सके और पूरा सच, अबतक पूरे रूप में सामने नहीं आया है, तो सामने आ सके।

Exit mobile version