प्रयागराज हत्याकांड : वामपंथियों ने जातिवाद का विष घोलने का प्रयास किया परंतु हत्यारे की जाति ने खेल बिगाड़ दिया

यूपी पुलिस ने एक और हाथरस होने से रोक दिया!

प्रशांत कनौजिया

देश में पत्रकारिता का स्तर हर दिन गिरता जा रहा है। गलत खबरों और टिपण्णियों को लेकर कई बार तथाकथित पत्रकार अपनी ओछी मानसिकता को उजागर करते हुए तथ्यहीन बातें प्रकाशित कर देते हैं, जिसके बाद समाज में रह रहे आम जनमानस को दुविधा और उन्माद का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही मामला फिर सामने आया है, जहां पर 27 नवंबर को तथाकथित पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दलित (पासी) समुदाय के चार लोगों की मौत की खबर फैलाई जो की फर्जी थी। उन्होंने दावा किया कि चार लोगों की हत्या उच्च जाति (ठाकुर) समुदाय के लोगों ने की थी।

हालांकि, इसी मामले में प्रयागराज पुलिस ने मामले में एक पवन कुमार सरोज को गिरफ्तार किया है, जो एक दलित है। इस घटना में मृतकों की पहचान 17 वर्षीय श्वेता (बदला हुआ नाम), 45 वर्षीय मीनू, 50 वर्षीय फूलचंद और 10 वर्षीय शिव के रूप में हुई है।

प्रशांत कनौजिया ने अपने चारों ओर परिवार के सदस्यों के साथ लिपटे चार शवों की एक तस्वीर साझा की और कहा, “उत्तर प्रदेश में पासी (दलित) समुदाय के चार लोगों की हत्या कर दी गई। हत्यारे कान्हा ठाकुर और अशोक ठाकुर हैं। कान्हा शहर (तड़ीपार) में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद भी प्रयागराज में खुलेआम घूम रहे थे। पीड़िता का परिवार 2018 से आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है। आरोपी ठाकुर होने के कारण पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।”

 

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पोक्सो एक्ट के तहत संदिग्ध आरोपी को मिलेगा दंड

आपको बता दें कि प्रयागराज पुलिस के आधिकारिक हैंडल पर प्रकाशित एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, घटना 25 नवंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज, फाफामऊ-गोरही पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले गांव मोहनगंज में हुई थी। पुलिस ने जांच के दौरान मृतक श्वेता (बदला हुआ नाम) के व्हाट्सएप चैट की जांच की। उन्हें पवन कुमार सरोज नामक व्यक्ति के बारे में पता चला। पूछताछ के दौरान पवन ने कहा कि “वह नाबालिग लड़की के साथ ‘एकतरफा प्यार’ में था और कई दिनों से श्वेता का पीछा कर रहा था।” हालांकि, उसने सरोज की तरफ ध्यान नहीं दिया। सरोज की भावनाओं का प्रतिकार करने से नाराज होकर, उसने लड़की और उसके परिवार के सदस्यों पर हमला किया और उन्हें मार डाला।

इस घटना के सामने आने के बाद स्थानीय पुलिस ने मृतक के मोबाइल की जांच की तो उसमें कुछ मैसेज मिले। जब संदेशों के आधार पर पवन को गिरफ्तार किया गया, तो उसने पहले किसी भी संलिप्तता से इनकार किया। उसने लड़की को कोई मैसेज भेजने से इनकार किया। हालांकि, जब पुलिस ने उसका मोबाइल फोन बरामद किया, तो पुलिस को उसके फोन पर भी संदेश मिले। मृतक का नंबर उसके मोबाइल में ‘गौरी मैम’ के नाम से सेव था। ऐसे में, आरोपी के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने पाया कि लड़की नाबालिग थी, इसलिए पोक्सो एक्ट के तहत धाराएं शामिल की गई हैं।

कुछ पत्रकार अपनी दिशा से भटक गए हैं

इससे पहले भी प्रशांत कनौजिया पर इस तरह के भड़काऊ और तथ्यहीन पोस्ट करने का आरोप लगा था और ऐसे हीं एक तथ्यहीन पोस्ट के मामले में यूपी पुलिस ने एक बार अयोध्या में राम मंदिर से संबंधित मॉर्फ्ड सामग्री ट्वीट करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था। प्रशांत कनौजिया को सोशल मीडिया पर आदतन हिन्दू धर्म को लेकर भी जहरीले पोस्ट करने का आरोप लगता आया है। एक पत्रकार का संकीर्ण होना यह साबित करता है कि समाज में कुछ पत्रकार अपनी दिशा से भटक गए हैं और देशविरोधी कृत्य में शामिल होने के लिए लालायित हो चुके हैं।

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