केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से विपक्ष पूरी तरह से बिखरता जा रहा है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी रसातल में पहुंच चुकी है। पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्षी पार्टियां काफी पहले से ही एकजुट हो रही हैं, लेकिन आपसी मतभेद के कारण आज तक उनकी स्थिति डांवाडोल ही है। वहीं, राजनीतिक मोर्चे पर भाजपा ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों पर अपना वर्चस्व कायम किया है। इसी बीच अब ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भी केंद्र की राजनीति में एंट्री करने को लेकर तत्पर है।
तृणमूल कांग्रेस में नेताओं की भर्तियों का दौर शरू हो गया है! कभी कांग्रेस के साथ गठबंधन रखने वाली ममता बनर्जी अब कांग्रेस के पीठ में ही छुरा घोंपते नजर आ रही हैं। कांग्रेस के तमाम नेता लगातार टीएमसी में शामिल होते जा रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता और पूर्व किकेटर कीर्ति आजाद के साथ कुछ अन्य नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। लेकिन ये ऐसे नेता हैं, जिनका राजनीति में रिकार्ड कुछ खास नहीं रहा है!
भाजपा, कांग्रेस के बाद अब TMC में ‘आजाद’
खबरों के मुताबिक ममता बनर्जी की मौजूदगी में दिल्ली में कीर्ति आजाद ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) का दामन थाम लिया। बता दें कि 1983 क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम के सदस्य कीर्ति आजाद का राजनीतिक सफ़र कुछ खास नहीं रहा है। उन्होंने दिसंबर 2015 में दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को खुले तौर पर निशाना बनाया था, जिसके बाद उन्हें भाजपा से निलंबित कर दिया गया था। साल 2018 में वो कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन ढ़ाई से तीन साल में ही उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर अब टीएमसी का दामन थाम लिया है। टीएमसी में शामिल होते ही कीर्ति आजाद ने भाजपा पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा, “भाजपा की राजनीति विभाजनकारी है और हम इससे लड़ेंगे।”
TMC के हुए पवन वर्मा और अशोक तंवर
वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और पूर्व सलाहकार रहे पवन वर्मा भी तृणमूल कांग्रसे में शामिल हो गए हैं। गौरतलब है कि साल 2020 में जदयू से पवन वर्मा को निष्कासित कर दिया गया था। वो जुलाई 2016 तक सांसद थे, साथ ही वो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता भी थे। इसके अलावा TMC में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट में अशोक तंवर का नाम भी शामिल है, जो कभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे। कांग्रेस की टिकट पर वो साल 2009-2014 तक सिरसा लोकसभा सीट से सांसद रहे और कांग्रेस के हरियाणा इकाई के अध्यक्ष भी रहें। लेकिन अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था। जिसके बाद फरवरी 2021 में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी ‘अपना भारत मोर्चा’ की स्थापना की, लेकिन अब वो टीएमसी में शामिल हो गए हैं।
पीएम मोदी को टक्कर देने के सपने देख रही हैं ममता
बताते चलें कि ममता बनर्जी दिल्ली पहुंची हैं, उनका यह दौरा कई मायनों में ख़ास माना जा रहा है, क्योंकि केंद्र की राजनीति में पिछड़ती कांग्रेस को देख टीएमसी की निगाह अब राष्ट्रव्यापी राजनीति पर टिकी हुई है और ममता बनर्जी का ध्यान अब दिल्ली की ओर केंद्रित होते जा रहा है। ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में लगातारी तीसरी बार सरकार बनाई। बंगाल में सरकार बनाने के साथ ही उन्होंने केंद्र की राजनीति में उतरने का ऐलान कर दिया था। बताया जा रहा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी खेमे की ओर से ममता बनर्जी भाजपा के विरुद्ध चुनावी मैदान में उतरेंगी।
बहरहाल, जिस तरह से ममता बनर्जी इन हारे हुए और कमज़ोर नेताओं को अपनी पार्टी का सदस्य बना रही हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि तृणमूल अपने राष्ट्रीय राजनीति के विषय पर गंभीर नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी पार्टियों को मुद्दा विहीन कर दिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में देश लगातार विकास के पथ पर अग्रसर होते जा रहा है। अर्थव्यवस्था से लेकर रक्षा क्षेत्र तक, हर क्षेत्र में स्थिति पहले से काफी बेहतर हो चुकी है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देना किसी भी राजनीतिक दल या नेता के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।