अभिनेत्री कंगना रनौत का विवादों से गहरा नाता रहा है, और इस बार भी मामला कोई अलग नहीं है । देश की स्वतंत्रता के विषय पर कंगना रनौत के अजीबो-गरीब बयान से उपजे विवाद के पश्चात उन्हें एक वयोवृद्ध अभिनेता से अप्रत्याशित समर्थन मिला है । समर्थन देने वाले और कोई नहीं, प्रसिद्द मराठी नाट्यकार एवं अभिनेता विक्रम गोखले हैं। विक्रम गोखले ने न केवल कंगना रनौत के ‘आज़ादी भीख में मिली’ बयान का समर्थन किया, अपितु इसके लिए उन्होंने ऐसे प्रमाण दिए, कि सब स्तब्ध रह गए।
एक निजी समारोह में हिस्सा लेते हुए, मीडिया से बातचीत के दौरान विक्रम गोखले ने अपेक्षाओं के ठीक विपरीत जाकर कंगना रनौत का समर्थन करते हुए कहा, “मैं कंगना रनौत की बात से पूर्णतया सहमत हूँ। उन्होंने बिलकुल सही कहा है। हमें भीख में स्वतंत्रता मिली है। कई स्वतन्त्रता सेनानियों को फाँसी पर लटका दिया था और उस समय के बड़े-बड़े नेता मौनव्रत साधे बैठे थे । उन्होंने कुछ भी नहीं किया उन्हें बचाने के लिए।”
I agree with what Kangana Ranaut has said. We got freedom in alms. It was given. Many freedom fighters were hanged and the big-wigs at that time didn't attempt to save them. They remained mere mute spectators: Actor Vikram Gokhale in Pune pic.twitter.com/4gBSYwFjqf
— ANI (@ANI) November 14, 2021
विक्रम गोखले का संकेत उन क्रांतिकारियों की ओर था, जिनके बलिदान पर तत्कालीन नेतृत्व, महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु इत्यादि ने कोई ध्यान नहीं दिया थ। चाहे भगत सिंह, सुखदेव या राजगुरु को समय से पहले दी गई फांसी हो, मास्टरदा सूर्य कुमार सेन को मृत्युदंड से पूर्व दी गई यातना हो, या फिर उधम सिंह एवं मदनलाल ढींगरा की मृत्यु के पश्चात उनके मृत शरीरों को वर्षों तक लन्दन की कब्रों में सड़ने देना हो, इनपर किसी ने कोई प्रश्न नहीं उठाया!
लेकिन कंगना ने इस बार ऐसा क्या कहा कि उनके पीछे देश की संप्रभुता पर निरंतर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले वामपंथी पड़ गए? असल में पद्मश्री प्राप्त करने के कुछ ही दिनों बाद कंगना रनौत ने एक मीडिया सम्मेलन में कहा था कि भारत को 1947 में ‘भीख में स्वतंत्रता’ मिली थी और वास्तव में स्वतंत्रता 2014 में मिली। जिसके बाद विक्रम गोखले उनके समर्थन में मैदान में आए।
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बता दें कि विक्रम गोखले मराठी और हिंदी फिल्म उद्योग, दोनों में ही बहुत सम्मानित नाम है। उनका नाम बड़े से बड़े स्टार भी सम्मान से लेते हैं। ‘अग्निपथ’ में इन्स्पेक्टर गायतोंडे हों, या फिर ‘हम दिल दे चुके सनम’ में पंडित दरबार हो, या फिर ‘नटसम्राट’ में रामभाऊ हों, विक्रम गोखले ने अपने अभिनय से एक प्रभावशाली कीर्तिमान स्थापित किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने ‘अल्पविराम’ जैसे कालजयी सीरियलों में भी काम किया है, जो अपने समय से बेहद आगे थे। विक्रम गोखले को 2013 में मराठी फिल्म ‘अनुमति’ के लिए इरफ़ान खान के साथ संयुक्त रूप से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसी वर्ष इरफ़ान ने ‘पान सिंह तोमर’ में अपनी अदाकारी से एक अमिट छाप छोड़ी थी। हाल ही में उरी के हमले पर आधारित प्रसिद्द वेब सीरीज़ ‘अवरोध’ में विक्रम गोखले ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका को भी आत्मसात किया था।
परन्तु विक्रम गोखले केवल वहीँ पर नहीं रुके। उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा को साझा करते हुए कहा, “जब पीएम मोदी और अमित शाह चुनाव अभियान पर जाते हैं, तो मैं हर समय उनसे सहमत नहीं रहता हूँ। परन्तु जब वे देशहित में कार्य करते हैं, जैसे जब उन्होंने चीन को बैकफुट पर धकेला, तब मैं सदैव उनका साथ देता हूँ।”
उन्होंने वर्तमान महाराष्ट्र सरकार को लेकर ये भी कहा कि अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है, और शिवसेना एवं भाजपा को अपने गिले-शिकवे दूर कर हाथ मिलाना चाहिए। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे एक प्रकार से देवेन्द्र फडनवीस ने स्वीकार किया कि “शिवसेना को ढाई वर्ष के लिए सीएम का पद न देना एक प्रकार की भूल थी।”
सत्य कहें तो विक्रम गोखले ने कंगना रनौत के समर्थन में न केवल देशवासियों की आँखें खोली, अपितु अपने तर्कों से एक नई राह भी दिखाई है!