टी20 विश्व कप 2021, भारत के लिए किसी बुरे सपने की से कम नहीं रहा। पाकिस्तान ने हार के सिलसिले को तोड़ दिया और न्यूजीलैंड ने अपनी जीत के सिलसिले को बरकरार रखा। अंततः न्यूजीलैंड से पराजय का मुंह देख, इस विश्व कप में भारत की यात्रा करीब-करीब समाप्त हो चुकी है। ऐसे में भारत की पराजय के कारण और उत्तर को अगर सूक्ष्मता से ढूंढे, तो उसका समाधान वहीं कमेंटेटर के रूप में बैठा हुआ था। भारत के प्रदर्शन पर वो भी निराश और हताश था। निराशा भारत के पराजय की थी और हताशा उसके द्वारा स्थापित कलात्मक बल्लेबाजी की विरासत के गुम हो जाने की। जी हां! हम बात कर रहे हैं, भारत के महानतम बल्लेबाजों में से एक वीवीएस लक्ष्मण की।
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वीवीएस लक्ष्मण का जन्मदिन
आज (1 नवंबर) को वीवीएस लक्ष्मण का जन्मदिन है। आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में (जो अब तेलंगाना का क्षेत्र है) डॉक्टर शांताराम और डॉक्टर सत्यभामा के यहां क्रिकेट के इस नायक का जन्म हुआ। उनके माता-पिता एक प्रतिष्ठित डॉक्टर और उनके परदादा देश के दूसरे राष्ट्रपति अर्थात सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे। भले ही ‘वेरी-वेरी स्पेशल’ का उपनाम उन्हें राष्ट्रीय टीम में आने के बाद मिला हो, परंतु लक्ष्मण तो बचपन से ही इस गुणों से परिपूर्ण थे। उन्होंने क्रिकेट को करियर चुना और प्रथम श्रेणी के मैचों में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए 51.64 की औसत से 19730 के करीब रन सिर्फ 267 मैचों में ही बना दिए।
प्रथम श्रेणी में बेहतरनी प्रदर्शन को देखते हुए बोर्ड ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह दे दी। 20 नवंबर 1996 को उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना टेस्ट पदार्पण किया। वीवीएस भारतीय टेस्ट कैप पाने वाले 209वें खिलाड़ी थे। किसी को क्या पता था कि 20 नवंबर 1996 को भारतीय कैप से सुसज्जित होने वाला यह खिलाड़ी एक दिन भारतीय ताज का सबसे अनमोल रत्न बन जाएगा। वीवीएस लक्ष्मण विश्व के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जो 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने के बावजूद अपनी टीम की ओर से एक भी विश्व कप नहीं खेल सकें। साल 2002 में विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर के पुरस्कार के लिए चुने गए 5 खिलाड़ियों में से वीवीएस लक्ष्मण भी एक थे।
भले ही 22 गज की पट्टी के बीच लक्ष्मण की दौड़ थोड़ी धीमी रही हो, लेकिन 75 मीटर के मैदान में उन्होंने जो महारत हासिल की, वह अद्वितीय है। वीवीएस लक्ष्मण ने 134 टेस्ट मैचों में 45.97 की सम्मानित औसत से 8781 रन बनाए, जिसमें 17 शतक और 56 अर्धशतक शामिल है। इसमें वह भी पारी शामिल है जो क्रिकेट इतिहास के सबसे बड़े प्रतिरोध की परिचायक है, जो भारत के दृढ़ता और साहस की प्रस्तुतीकरण है, जो आस्ट्रेलिया के वर्चस्व पर करारा प्रहार है, जिसे विजडन क्रिकेट ने विश्व के सबसे महानतम पारियों में छठे स्थान पर रखा है।
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वीवीएस लक्ष्मण की वो अविस्मरणीय पारी
आपको स्मरण होगा कि कोलकाता के ईडन गार्डन्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट में भारतीय टीम फॉलोऑन खेल रही थी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उस समय ऑस्ट्रेलिया का जो कद था, उस हिसाब से इस टेस्ट मैच का ड्रॉ हो जाना ही भारत के लिए जीत के समान थी। कहा जाता है कि “जब जीत सुनिश्चित हो तब तो कायर भी लड़ लेते हैं। परंतु, असली वीर तो जब हार सुनिश्चित हो तब भी मैदान नहीं छोड़ते। प्रलय के बीचो-बीच उतरते हैं। अभिमन्यु-सम चक्रव्यूह भेदन करते हैं।” लक्ष्मण ने भी आस्ट्रेलिया के खिलाफ कुछ ऐसा ही किया। वह दृढ़ता और साहस के साथ पीच पर टिके रहे और 284 रन की विराट पारी खेल कंगारूओं के जबड़े से जीत छीन ली।
वीवीएस लक्ष्मण सिर्फ “कलाई के जादूगर” नहीं थे और ना ही यह पारी उनके कलात्मक शैली का प्रतिबिंब, बल्कि यह तो उनके मानसिक शौर्य का सबसे बड़ा उदाहरण है। भारतीय टीम के खिलाड़ी उनकी इस पारी और उनकी बल्लेबाजी शैली को एक मानक पुस्तक और वीडियो ट्यूटोरियल के रूप में ले सकते हैं। भावी खिलाड़ियों को सीखना चाहिए कि रन कैसे बनाते हैं, पारी कैसे संवारते हैं और कठिन परिस्थितियों से अपने टीम को उबारते हुए विजयश्री कैसे दिलाते हैं? वीवीएस लक्ष्मण अपने आप में एक पूरी क्लास हैं। ज्योफ्री बायकाट के अनुसार नए बॉल को खेलने के मामले में लक्ष्मण से बेहतरीन भारतीय बल्लेबाज आज तक कोई नहीं हुआ।
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ईएसपीएन के क्रिकेट पंडित संभल पाल के अनुसार वीवीएस लक्ष्मण जब अपने चरमोत्कर्ष पर होते थे, तब उनकी उत्कृष्टता सचिन तेंदुलकर के भी पार चली जाती थी। विश्व के किसी भी गेंदबाज में उनको रोकने का साहस नहीं था। वह एक ही गेंद को मैदान के सभी दिशाओं में मारने का माद्दा रखते थे। वह अपनी कलाइयों के बल पर गेंदबाज की शक्ति को उसके खिलाफ ही हथियार बना देते थे। उनकी रचनात्मकता और शैली ऐसी थी कि मानो क्रिकेट को भी उन पर गर्व हो। उनके खेलने का अंदाज क्रिकेट के ईश्वर के समतुल्य था। शायद, इसीलिए वह वेरी वेरी स्पेशल थे। बल्लेबाजी में क्रम परिवर्तन को प्रदर्शन ह्रास का कारण बताने वाले आज के युवा खिलाड़ियों को लक्ष्मण से निसंदेह यह सीखना चाहिए। उन्हें चौथी पारी का भगवान कहा गया, वो साल 2001 और 2011 में क्रमश: पद्म श्री और अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किए गए।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ विशेष रिकार्ड
लक्ष्मण विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट और एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच दोनों में शानदार थे। उनके 17 टेस्ट शतकों में से छह, और उनके छह वनडे शतकों में से चार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आए। टेस्ट में उनके दो दोहरे शतक हैं और दोनों ही ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ। उन्होंने साल 2000-2001 में कोलकाता के ईडेन गार्डेन्स में 281 रनों की अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी खेली और साल 2008-09 में दिल्ली के फिरोज शाह कोटला में 200 रनों की पारी खेलते हुए, आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दी थी। आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने यह भी स्वीकार किया है कि जब लक्ष्मण बल्लेबाजी करते थे तो उन्हें समझ नहीं आता था कि गेंदबाजी करनी कहां है।
सौरव गांगुली, द्रविड़ और तेंदुलकर से सजी भारतीय टीम में एक अस्थाई क्रम पाने के लिए लक्ष्मण सर्वदा जद्दोजहद करते रहे। परंतु, उनके प्रदर्शन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा, इस अग्नि में वह कुंदन के समान तप के निखरे। तीसरे, चौथे, पांचवें यहां तक कि उन्होंने छठी नंबर पर भी बल्लेबाजी की। आपको स्मरण होगा कि साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टेस्ट में उन्होंने एक टेलेंडर के रूप में खेलते हुए कैसे भारतीय टीम को जीत दिलाई थी।
सितारों से सजी भारत के मध्यक्रम में स्थान बनाने के लिए जद्दोजहद करने वाले वीवीएस लक्ष्मण 1 दिन इसी मध्यक्रम की रीड की हड्डी बन गए। विनम्रता और अपनी सफलता का श्रेय देने के मामले में लक्ष्मण कभी-कभी द्रविड़ से भी आगे प्रतीत होते हैं। कलात्मक और रचनात्मक अंदाज के मामले में किंचित वह अजहरुद्दीन से आगे हैं। 86 अंतर्राष्ट्रीय एकदिवसीय मैचों में भी लक्ष्मण ने आशातीत प्रदर्शन करते हुए 6 शतक और 10 अर्धशतक की सहायता से टीम के लिए करीब 2500 रन बनाएं।
लक्ष्मण रेखा
लक्ष्मण नवंबर 2011 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए। भारत, ऑस्ट्रेलिया से 0-4 से पिछड़ गया, जिसमें लक्ष्मण ने आठ पारियों में केवल दो अर्धशतक बनाए। ऑस्ट्रेलिया के चार दौरों में पहली बार लक्ष्मण श्रृंखला में शतक दर्ज करने में विफल रहे और सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में खेले गए चार टेस्ट मैचों में भी पहली बार वह तीन अंकों के आंकड़े को छूने में नाकाम रहे। कलाई के इस जादूगर को लेशमात्र भी गलती पसंद नहीं थी। अगर वो गलती स्वयं से हो और टीम पर भारी पड़े, तब नैतिकता के मामले में वीवीएस लक्ष्मण एक लक्ष्मण रेखा खींच गए, जो आनेवाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगी। उन्होंने शिखर पर रहते हुए क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
आईपीएल के प्रथम संस्करण में वो कप्तान के तौर पर डेक्कन चार्जर्स से जुड़े, वह टीम के आइकन प्लेयर थे। शायद इसीलिए नैतिकता के मानदंडों को बनाए रखते हुए लक्ष्मण ने अपने टीम के पूर्ववर्ती हार का जिम्मा लेते हुए प्रतियोगिता के मध्य में ही गिलक्रिस्ट को कप्तानी सौंप दी। लक्ष्मण ने खेल और व्यक्तित्व के अंदाज को लेकर जो लक्ष्मण रेखा खींची है, उसी हद में रहते हुए भारतीय टीम सुरक्षित रह सकती है। बल्लेबाजी के हर आयाम में वीवीएस लक्ष्मण आदर्श रहे हैं। एक ऐसा आदर्श जो हमारा है, हमारी प्रेरणा है, हमारा पुरोधा है और हमारे क्रिकेट इतिहास का शायद सबसे बड़ा गौरव भी!