मजबूत मांग ने मार्च 2021 में भारत को दुनिया की सबसे तेज वृद्धि हासिल करने वाले देशों में अग्रणी रखा है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि देश के आर्थिक नुकसान अब तक सीमित हैं, और इसे बेहतर परिस्थितियों, स्थिर वित्तीय स्थितियों और मजबूत वैश्विक विकास में कमी जैसे कारकों से बढ़ावा मिलेगा। बीते सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में भारत का निर्यात 43 प्रतिशत बढ़कर 35.65 अरब डॉलर हो गया।
आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर के दौरान जिन निर्यात क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई, उनमें पेट्रोलियम, कॉफी, इंजीनियरिंग सामान, सूती धागे/फैब/मेड-अप, रत्न और आभूषण, रसायन प्लास्टिक और लिनोलियम और समुद्री उत्पाद शामिल हैं। अप्रैल-अक्टूबर 2021 के दौरान कुल निर्यात 233.54 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 55.13 फीसदी अधिक है। वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के बयानों से स्पष्ट हो गया है कि भारत बिजनेस के क्षेत्र में ट्रैक पर वापस लौट आया है।
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‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बीते रविवार को कहा कि “भारत इस साल वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचने की राह पर है। कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में आई गिरावट जल्द ही पटरी पर आ जाएगी। भारत पिछले सात वर्षों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में निरंतर वृद्धि देख रहा है।”
दिल्ली के प्रगति मैदान में एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा,“कोविड-19 महामारी से वैश्विक व्यापार उबर रहा है और भारत इसमे अग्रणी देश हैं।“ आपकों बता दें की पीयूष गोयल राष्ट्रीय राजधानी में 40वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के शुभारंभ को संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन 27 नवंबर तक चलेगा।
गोयल ने आगे कहा कि इस व्यापार मेले का शुभारंभ भारत के पांच ‘सूत्र’ -अर्थव्यवस्था, निर्यात, बुनियादी ढांचा, मांग और विविधता, भारतीय अर्थव्यवस्था और व्यवसाय के सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि इसका आश्वासन विचार और खुद पर भरोसे की अभिव्यक्ति है।
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण आवश्यक
वहीं, दूसरी ओर मांग की वापसी मुद्रास्फीति के मोर्चे पर कुछ दबाव डाल रही है। आरबीआई का कहना है कि,“बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी, घरेलू विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी का एक संयोजन और मांग सामान्य होने से मुख्य मुद्रास्फीति दबाव बढ़ रहा है, जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।” जुलाई में देश का निर्यात 35 बिलियन डॉलर और मार्च 2021 में 34 बिलियन डॉलर को पार कर गया। उल्लेखनीय है कि जुलाई में लगातार पांचवें महीने निर्यात 30 अरब डॉलर से ऊपर बना हुआ था और अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार निरंतर प्रगति पर है।
निर्यात में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी
FY22 की पहली तिमाही में, निर्यात ने $95 बिलियन का रिकॉर्ड शिपमेंट किया। निर्यात वृद्धि कुछ वस्तुओं की उच्च मांग का प्रत्यक्ष परिणाम थी। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को तेज गति से पलटने में मदद मिलने की संभावना है। वहीं, जुलाई 2021 के दौरान भी भारत द्वारा सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले शीर्ष पांच कमोडिटी समूह पेट्रोलियम उत्पाद (215 प्रतिशत), रत्न और आभूषण (130 प्रतिशत), अन्य अनाज (70.25 प्रतिशत), मानव निर्मित यार्न, कपड़े (58 प्रतिशत) और सूती धागे (48.02 प्रतिशत) थे।
मूल्य के आधार पर निर्यात में अधिकतम वृद्धि संयुक्त राज्य अमेरिका ($6.7 बिलियन), संयुक्त अरब अमीरात ($2.4 बिलियन) और बेल्जियम (826 मिलियन डॉलर) में हुई। हालांकि, मलेशिया, ईरान और तंजानिया को निर्यात में भारी गिरावट आई। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जुलाई में गैर-तेल निर्यात मजबूत रहा ।
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निष्कर्ष
बढ़ते निर्यात भारत के लिए एक अच्छा संकेत है क्योंकि देश कोविड के आर्थिक झटके से उबर रहा हैं। वास्तव में, सरकार ने भारत को एक निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने और दुनिया के लिए एक निर्यातक और विनिर्माण केंद्र बनने के लिए कई उपायों की एक सार्थक योजना बनाई है। हालांकि, सरकार को देश के निर्यात क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई और कदम उठाने की जरूरत है। इसके द्वारा किए जा सकने वाले कुछ उपायों में विशिष्ट निर्यातों पर कर-छूट, ब्याज कमी की योजनाएं और मुक्त व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर शामिल हैं।