भारत में उद्यमिता एक नए स्तर को पार कर चुकी है। आत्मनिर्भर भारत के तरह नए बिजनेस को इतना प्रोत्साहन मिला कि भारत अब स्टार्टअप हब बन चुका है। इसी क्रम में एक नए रिकॉर्ड को छूते हुए देश में स्टार्टअप्स ने लगभग 36 बिलियन डॉलर के निवेश को आकर्षित किया है। UK स्थित निवेश डेटा प्लेटफॉर्म Preqin ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि इस वर्ष कोरोना के कारण बढ़ते डिजिटलीकरण से उद्यमिता को एक नई ऊंचाई मिली है और भारत के स्टार्टअप्स ने लगभग 36 बिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त किया है।
वर्ष 2021 भारतीय स्टार्टअप्स के लिए शुभ रहा है
वहीं, Preqin का अनुमान है कि इस वर्ष के दौरान उद्यम और निजी इक्विटी निवेश में तीन गुना वृद्धि हुई है। 2020 में भारतीय स्टार्टअप द्वारा 11 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। ET की रिपोर्ट के अनुसार इस साल, आरंभिक स्टेज सौदों की मात्रा लगभग 396 सौदों के साथ $705.86 मिलियन रही, जबकि Series-A में लगभग 166 निवेशों की राशि लगभग 1.67 बिलियन डॉलर थी, जैसा कि 20 दिसंबर तक के आंकड़ों से पता चलता है।
हालांकि, निवेश का बड़ा हिस्सा Zomato, Ola, Policybazaar और Paytm जैसी कंपनियों में Pre-IPO फाइनेंसिंग राउंड में किया गया था, जिसमें कुल $ 5.58 बिलियन तक के शीर्ष 10 सौदे थे। सौदों की संख्या में वृद्धि के अलावा, भारतीय स्टार्टअप के पिछले वर्षों की तुलना में बड़े स्तर पर वित्तपोषण भी देखने को मिला क्योंकि बड़ा दांव लगाने के लिए Risk Capital Funds ने कदम बढ़ाते हुए उच्च विकास वाली कंपनियों पर जल्दी पैसे लगाए।
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40 कंपनियों अब यूनिकॉर्न क्लब में हुईं शामिल
नतीजतन, कंपनियां लगातार वित्तपोषण दौर में अपने मूल्य को दोगुना और तिगुना करते हुए अपने मूल्यांकन को बढ़ाने में सक्षम रहीं। Stellaris Venture Partners के संस्थापक और निवेश भागीदार आलोक गोयल ने बताया कि, “मूल्यांकन एक निवेशक की कंपनी से बाहर निकालने की अपेक्षाओं का प्रतिबिंब है। 2021 ने भारत के लिए पूर्ण उद्यम चक्र साबित कर दिया है। Zomato, Nykaa, PolicyBazaar जैसे अन्य निवेशकों के बाहर निकलने की अपेक्षाओं में वृद्धि की है, और इसके परिणामस्वरूप उनका मूल्यांकन भी बढ़ा।” टाइगर ग्लोबल, फाल्कन एज, सिकोइया कैपिटल, एक्सेल, ब्लूम वेंचर्स जैसे फंड इस साल सबसे सक्रिय निवेशकों में से थे। सॉफ्टबैंक, जो अपने बड़े दांव के लिए जाना जाता है, उसने $3 बिलियन से अधिक का निवेश किया, जिससे यह एक वर्ष में भारत में जापानी निवेश फर्म द्वारा भारतीय स्टार्टअप में सबसे बड़ा निवेश बन गया।
इस वर्ष देखा जाए तो लगभग 40 कंपनियों ने यूनिकॉर्न क्लब में खुद को शामिल किया। अप्रैल में एक सप्ताह के चार दिनों की अवधि में आधा दर्जन स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न क्लब में प्रवेश किया। लेकिन यह केवल यूनिकॉर्न ही नहीं था, पुरानी कंपनियों ने भी इस साल बढ़ोतरी की। फिनटेक स्टार्टअप क्रेड, ऑफबिजनेस, ग्रो, कार्स24, लिशियस, स्पिनी, इंफ्रा.मार्केट, गुड ग्लैम ग्रुप और प्रिस्टिन केयर उन फर्मों में शामिल हैं, जिनका मूल्यांकन पिछले एक साल में कई गुना बढ़ा है।
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IPO में भारतीय स्टार्टअप्स की दमदार एंट्री
इस पूंजी के साथ, स्टार्टअप अपनी रणनीतियों को तेजी से क्रियान्वित करने में सक्षम हो चुके हैं। अधिकांश निवेशकों ने कहा कि 2021 में वेब-3/क्रिप्टो, सास, डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर या D-2-C ब्रांड और फिनटेक, बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) कॉमर्स, एडटेक और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में अगले साल भी फंडिंग आकर्षित होती रहेगी। कुछ समय पहले तक स्टार्टअप्स के लिए IPO को दूर की कौड़ी माना जाता था, लेकिन 2021 ने इसे बदल दिया। इस वर्ष एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ कि कैसे प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाले व्यवसाय सार्वजनिक बाजारों का दोहन करने में सक्षम हैं और उनमें से अधिकांश को सार्वजनिक निवेशकों द्वारा भी पुरस्कृत किया जा रहा है।
गेमिंग फर्म नज़र टेक्नोलॉजीज जैसे छोटे स्टार्टअप इस साल सार्वजनिक हुए, लेकिन यह फूड डिलीवरी फर्म Zomato का 9,000 करोड़ रुपये का IPO था, जिसने वास्तव में भारत में IPO के लिए कम से कम आधा दर्जन टॉप-लीग स्टार्टअप्स के लिए मंच तैयार किया। कई कंपनियों के संस्थापकों ने ET को बताया कि इस साल Zomato की शानदार लिस्टिंग ने उन्हें अपने IPO की समयसीमा पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया और इसे 2022 और 2023 के लिए एक विकल्प के रूप में माना। वहीं, पॉलिसीबाजार, नायका और पेटीएम जैसे अन्य लोगों ने सार्वजनिक बाजार के निवेशकों से करीब 2.5 अरब डॉलर जुटाए हैं।
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भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब
इससे अगर यह कहा जाए कि अब स्टार्टअप और एंटरप्रेन्योरशिप से भारत में विकास की महागाथा लिखी जा रही है तो गलत नहीं होगा। आज भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है और इसकी नींव सरकार द्वारा 2015 में ही रख दी गई थी। मोदी सरकार ने देश की युवा आबादी में उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया (अगस्त 2015) और स्टैंडअप इंडिया (अप्रैल 2016) नाम से दो कार्यक्रम शुरू किए थे। TFI ने कुछ समय पहले ही अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि जून तिमाही में स्टार्टअप्स ने 6.7 बिलियन डॉलर का बाहरी निवेश जुटाया है।
आज भारत में 41 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स ने मिलकर 4 लाख 70 हजार रोजगार पैदा किया है। स्टार्टअप इंडिया ने 2017 में लोगों के बीच से एंटरप्रेन्योर को चुनने के लिए स्टार्टअप यात्रा की शुरुआत की थी, जिसमें 23 राज्यों के 207 जिलों में जाकर 78, 346 एंटरप्रेन्योर को लाभ मिला है। ऐसे में, ये आर्थिक महाशक्ति बनने की शुरूआत है और जितने ज्यादा स्टार्टअप होंगे उतना ही ज्यादा रोजगार होगा। वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बनने के लिए भारत को ऐसी योजनाओं में अधिक निवेश और मेहनत करने की आवशयकता है।