उत्तरप्रदेश में जाली राशन कार्ड का बोलबाला है। खैर, यह प्रथा तो पूरे देश में चलती है लेकिन उत्तर प्रदेश में बकायदा सहज जनसेवा केंद्र में यह काम होता है। जब देश में ऐसे भ्रष्टाचार हो रहा हो, तो सरकार के लिए यह चुनौती होती है कि वह इसे ठीक करने की दिशा में काम करे।
केंद्र की भाजपा सरकार ने ऐसे ही भ्रष्टाचार को दूर करने की दिशा में कार्य किया है और अब सरकार ने ऐसे मामलों का लेखाजोखा करना भी शुरू कर दिया है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने शुक्रवार को बताया कि सरकार ने 2014-21 के दौरान 4.28 करोड़ फर्जी राशन कार्ड रद्द किये हैं।
आधार और सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग ने फर्जी उपयोगकर्ताओं का पता लगाने में मदद की है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) के तहत, उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) पर इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (EPOS) उपकरण एफपीएस डीलरों द्वारा संचालित किए जाते हैं। इससे लोगों के फर्जी राशन कार्डों को पहचानने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, विकलांग और वृद्ध लाभार्थियों को, जिनके घर में कोई अन्य वयस्क सदस्य नहीं है और जो एफपीएस से राशन प्राप्त करने की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के सब्सिडी वाले खाद्यान्न की नियमित डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए या तो होम-डिलीवरी के माध्यम से या उनके नामित व्यक्तियों के माध्यम से खाद्यान्न के विशेष वितरण के लिए तंत्र को लागू करने की सलाह दी गई।
इसके बाद ज्योति ने यह भी बताया है कि राशन कार्डों को जोड़ना और हटाना एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें राज्य/संघ राज्य क्षेत्र नियमित रूप से अपने राशन कार्डों/लाभार्थियों की सूची की समीक्षा करते रहते हैं ताकि उचित सत्यापन के बाद संभावित अपात्र, डुप्लिकेट या फर्जी राशन कार्डों की पहचान की जा सके और उन्हें हटाया जा सके।
और पढ़े: CDS Gen बिपिन रावत का बेबाक अंदाज़, कश्मीर, सेना, पत्थरबाज़, चीन-पाकिस्तान सब पर खुलकर रखी राय
इस प्रकार के निरीक्षण में फील्ड/डोर भी शामिल हो सकते हैं। घर-घर जाकर सत्यापन करना और अन्य वास्तविक रूप से पात्र और छूटे हुए परिवारों/लाभार्थियों को शामिल करना भी सरकार की योजनाओं में है। NFSA कवरेज की अपनी-अपनी सीमा तक, लाभ पात्र आदिवासी और गरीब परिवार/व्यक्ति भी शामिल हो सकते हैं।
मंत्री ने बताया, “तदनुसार TDPS सुधारों के लिए सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग, राशन कार्ड डेटा के डिजिटलीकरण, डी-डुप्लीकेशन प्रक्रिया, स्थायी प्रवास, मृत्यु, अपात्र/डुप्लिकेट/फर्जी राशन कार्डों की पहचान आदि के कारण राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने तमाम लोगों को रद्द करने की सूचना दी है। 2014 से 2021 की अवधि के दौरान अब तक लगभग 4.28 करोड़ ऐसे फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए हैं।“
यानी मिलाजुलाकर यह कहा जा सकता है कि आधार कार्ड का डिजिटलीकरण करना अब अपना लाभ दिखा रहा है। यह आवश्यक है कि समाज के वो लोग जिन्हें सच में ऐसे योजनाओं की आवश्यकता है, उनतक यह लाभ पहुंचे। सरकार अब इसी मोर्चे पर प्रतिबद्ध दिख रही है।
राशन से जुड़ी दूसरी बड़ी खबर यह है कि उत्तर प्रदेश में रविवार (12 दिसंबर, 2021) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस सरकारी राशन वितरण महाअभियान के आगाज के साथ सूबे के15 करोड़ लोगों को अब से होली तक दोगुना राशन मिल सकेगा। लाभार्थियों को इसके तहत अनाज (गेहूं और चावल) के साथ चना/दाल, तेल और नमक भी मुफ्त दिया जाएगा।
और पढ़ें: अगर सऊदी तब्लीगी जमात को ‘आतंकवादी संगठन’ कह सकता है, तो भारत क्यों नहीं?
सूबे की राजधानी लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा, “यही प्रयास है कि डबल इंजन की सरकार का डबल खाद्यान्न का लाभ भी हर जरूरतमंद को मिले। आज इसी खाद्यान्न वितरण का शुभारंभ किया जा रहा है।” उन्होंने दावा किया- पिछली सरकारों में गरीबों के राशन पर खाद्यान्न माफियाओं का डाका पड़ जाता था। जो राशन गरीबों को मिलना चाहिए था वह उन्हें नहीं मिल पाता था। बकौल मुख्यमंत्री, “जब वो लोग सत्ता में थे तब गरीबों को राशन नहीं मिलता था, स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल थीं, अपराधियों पर दुलार आता था। जब सत्ता हाथ से चली गयी तो वैक्सीन को लेकर दुष्प्रचार शुरू कर दिया।”
लोकहितकारी सरकार का फर्ज केंद्र सरकार निभा रही है और यह काबिले तारीफ है। भारत सरकार लंबे समय से गरीबों के लिए योजनायें बना रही है। जमीन पर होने वाले ऐसे बदलावों की हम सबको तारीफ करनी चाहिए।