भारत की TVS मोटर कंपनी ने ऐलान किया है कि वह भारत में BMW के मोटरसाइकिल ब्रांड के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विकसित करेगी। इस कार्य में कई भारतीय वाहन निर्माता शामिल होंगे, जिन्होंने स्वच्छ पर्यावरण के लिए समावेशी वाहनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। इस घोषणा से एक दिन पूर्व, TVS के शेयरों में 7.4% तक की उछाल आई थी क्योंकि मीडिया में यह खबर फैल गई थी कि TVS कंपनी भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने और निर्यात करने के लिए किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त गठबंधन की घोषणा कर सकती है।
EV के निर्माण के लिए BMW और TVS में हुई दोस्ती
दरअसल, TVS मोटर कंपनी और BMW ग्रुप्स के मोटरसाइकिल ब्रांड ‘BMW Motorrad’ ने वैश्विक बाजार के लिए 500-CC मोटरसाइकिल विकसित करने के लिए 9 साल पहले हाथ मिलाया था। अब लगभग नौ साल बाद ये दोनों कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों के मुद्दे पर एक साथ आई हैं। इस सहयोग के परिणामस्वरूप 310-CC प्लेटफॉर्म पर तीन उत्पाद सामने आए हैं, जिसमें BMW G 310 RR, BMW 310 GS और TVS मोटर कंपनी की TVS अपाचे RR 310 शामिल है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब OLA इलेक्ट्रिक और Ather जैसे नए जमाने के स्टार्ट-अप इलेक्ट्रिक स्कूटरों से अपने निवेश को बढ़ा रहे हैं, जिससे TVS और Bajaj ऑटो जैसी पुरानी कंपनियां अपना स्तर ऊंचा करने के लिए बाध्य हो गई हैं।
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आपको बता दें कि Mahindra & Mahindra और Tata Motors जैसे शीर्ष वाहन निर्माता भी EV में भारी निवेश कर रहे हैं क्योंकि भारत प्रदूषण और ईंधन आयात को कम करने के लिए वाहन निर्माताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करता आ रहा है। अगर भारत अरब देशों पर अपनी तेल जनित ऊर्जा संबंधी निर्भरता कम कर ले तो ना सिर्फ वो प्रदूषण पर काबू पा सकेगा अपितु पेरिस समझौते का नायक भी बनेगा और अपने विदेशी मुद्रा भंडार की बचत कर उन्हें कल्याणकारी योजना और सैन्य क्षेत्र में उपयोग कर सकेगा। तेल का सबसे ज्यादा खर्च निजी वाहन और परिवहन में होता है। अतः इनका इलेक्ट्रिफिकेशन करना नितांत आवश्यक है।
EV के बाज़ार में आगे बढ़ रहा है भारत
वर्तमान में, देश में कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों का काफी कम योगदान है, जिसका मुख्य कारण उच्च बैटरी लागत और चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की कमी है। TVS और BMW Motorrad ने मोटरसाइकिल बनाने के लिए साल 2013 में एक लंबी अवधि के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और अब दोनों वैश्विक कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े विशेष उत्पादों को विकसित करने के सौदे पर विस्तार से चर्चा कर रही हैं, जो की विश्व स्तर पर बेचे जाएंगे। इस सन्दर्भ में TVS ने कहा है कि “इस साझेदारी का पहला उत्पाद अगले 24 महीनों में प्रदर्शित किया जाएगा।”
वहीं, साल 2021 में BMW Motorrad ने भारतीय बाजार में 5,000 वाहनों की बिक्री की है और पिछले साल की तुलना में अपनी बिक्री को दोगुना करने की उम्मीद कर रहा है। वैश्विक स्तर पर साल 2021 में अब तक 1,90,000 से अधिक वाहन बेचकर कंपनी ने इतिहास दर्ज किया है। ऐसे में, इस प्रदर्शन को वो एक नई ऊंचाइयों पर ले जाए इसके लिए उसे ना सिर्फ भारत जैसा वृहद बाज़ार चाहिए बल्कि भारत जैसी कर्मठ श्रमशक्ति और तकनीकी कार्यकुशलता की भी आवश्यकता पड़ेगी। TVS से अच्छा विकल्प BMW को नहीं मिल सकता था। BMW का साथ आना भारतीय कंपनियों का इलेक्ट्रिक वाहनों के बाज़ार में बढ़ते प्रभाव का सबूत है।
EV के बाज़ार में चीन को टक्कर देगा भारत
गौरतलब है कि सालाना करीब 30 लाख वाहनों के साथ भारत का बाजार चीन से काफी छोटा है। हालाँकि, चीन अभी आंतरिक-दहन वाली इंजन कारों की बिक्री पर अंतिम प्रतिबंध लागू करने की योजना बना रहा है, तो वहीं भारत के पास पहले से ही एक बेहतर विकल्प है। बीते मई महीने में एक सरकारी थिंक टैंक नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया द्वारा एक योजना को ‘इंडिया लीप्स अहेड: ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी सॉल्यूशंस फॉर ऑल’ शीर्षक नाम से जारी किया गया था, जिसमें दहन इंजन वाली नई कारों की बिक्री को समाप्त करने के लिए 2030 की लक्ष्य तिथि निर्धारित की गई है। इसके सुझावों में गैसोलीन और डीजल वाहनों के पंजीकरण की सीमा, सब्सिडी और इलेक्ट्रिक कारों की खरीद के लिए प्रोत्साहन भी शामिल हैं।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ये सभी साहसिक प्रयास भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन के बाज़ार को चीन से कई मील आगे कर देंगे। TVS और BMW का यह करार तो चीन के वर्चस्व के लिए आखिरी कील साबित हो सकता है।