स्टरलाइट कॉपर, वेदांता की एक यूनिट, जिसने 20 वर्षों तक तमिलनाडु के तूतूकुड़ी जिले में अपने संयंत्र को संचालित किया था लेकिन राजनीति के शिकार होने के कारण मई 2018 में इस प्लांट को बंद करना पड़ा। स्टरलाइट प्लांट की क्षमता ऐसी थी कि यह अकेले दम पर भारत को कॉपर का प्रमुख एक्स्पोर्टर बना सकता था। स्वराज्य के रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता के स्वामित्व वाले स्टरलाइट कॉपर प्लांट को बंद करने में तूतूकुड़ी के लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया था और स्टरलाइट प्लांट के बंद होने के बाद अब लोग पछ्ता रहे हैं। वहीं, लोग अब इस प्लांट को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं।
स्टरलाइट कॉपर प्लांट को दुबारा खोलने की मांग
दरअसल, रिपोर्ट में कहा गया है कि तूतूकुड़ी का दौरा करने वाली टीम ने विभिन्न लोगों के वक्तव्य रिकॉर्ड किए, जो 2018 में स्टरलाइट कॉपर के खिलाफ पर्यावरणीय मुद्दों का हवाला देते हुए विरोध में शामिल थे। आपको बता दें कि Shanmugalakshmi, जो की दक्षिण Veerapandiyapuram की एक महिला है, जिन्होंने स्टरलाइट कॉपर प्लांट को लेकर खुलासा किया कि बहुत सारे अजनबी लोग उसके गांव में आए और स्टरलाइट प्लांट के खिलाफ भ्रामक प्रचार किया और उसे बंद करने के लिए लोगों को भ्रमित किया था।
Shanmugalakshmi ने कहा कि “वह अनजान थी कि किसने शहर में स्टरलाइट कॉपर प्लांट के खिलाफ अभियान शुरू किया लेकिन वह जानती थी कि जंगल की आग की तरह फैलने वाले प्लांट के खिलाफ एक बहुत ही मजबूत अभियान शुरू हुआ था।” उन्होंने खुलासा किया कि “कुछ अज्ञात लोग गांव में आए थे और ऐसे कारखानों के ‘हानिकारक प्रभाव के बारे में बात करते हुए लोगों के मन में डर पैदा कर दिया था और यही नहीं उन्होंने कहा कि इन लोगों ने दावा किया कि वे उन्हें स्टरलाइट से छुटकारा दिलाने में मदद करेंगे।”
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लेकिन वामपंथी यहीं पर नहीं रुके, बल्कि उन्होंने पर्यावरण के नाम पर विकासशील परियोजनाओं पर ताला लगवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने 2019 में आरे क्षेत्र में मेट्रो कार शेड का निर्माण रुकवा दिया था। अब इसीलिए केंद्र सरकार ने स्पष्ट कदम उठाते हुए यह तय किया कि पर्यावरण के नाम पर डराने धमकाने वालों की और नहीं चलेगी।
ऑक्सीजन उत्पादन का केंद्र रहा है वेदांता का यह यूनिट
दरअसल, कॉपर निर्माता वेदांता लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक तत्काल आवेदन दिया था, जिसमें उसने तमिलनाडु में अपने संयंत्र को फिर से खोलने की अनुमति मांगी थी, जिसे पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के लिए बंद कर दिया गया था। अपने आवेदन में वेदांता ने कहा था कि “वह COVID की चपेट में आए देश को मेडिकल ऑक्सीजन का मुक्त उत्पादन में मदद करना चाहता है।”
वेदांता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे के समक्ष इस मामले को विस्तृत रूप से रखा था। साल्वे ने कहा था कि “अगर अनुमति मिल जाती है, तो वेदांता 5-6 दिनों के भीतर ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू करने में सक्षम हो जाएगा, जिससे कई लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिलेगी। साल्वे का कहना था कि वेदांता हर रोज 1000 टन ऑक्सीजन का निर्माण कर सकता है और सभी 1000 टन मुफ्त में आपूर्ति करने के लिए तैयार है।”
ऐसे में, स्टरलाइट कॉपर प्लांट के शटडाउन ने देश के कॉपर व्यापार के लिए भी एक बड़ा झटका था लेकिन अब कोविड महामारी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए वहां के विरोध करने वाले लोग स्टरलाइट कॉपर प्लांट को फिर से पुनः खोलने की मांग की है।