देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र मणिपुर में नशा और नशीली दवाओं का उपयोग बढ़ रहा है और ज्यादातर किशोर इसके शिकार हो रहे हैं। मणिपुर लंबे समय से शेष भारत और म्यांमार के बीच ड्रग्स के परिवहन के लिए बदनाम रहा है। दशकों से, लगभग सभी पूर्वोत्तर राज्यों में मादक पदार्थों की लत एक बड़ी समस्या रही है। आपको बता दें कि असम राइफल्स की एक टुकड़ी ने मंगलवार को मणिपुर के मोरेह शहर में 500 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स जब्त की।
सूत्रों के मुताबिक, जब्त की गई नशीली दवाओं में 54 किलो ब्राउन शुगर और 154 किलो आइस मेथ शामिल है। दरअसल जिस घर से नशीला पदार्थ बरामद हुआ है, वह म्यांमार के मांडले में रहने वाली एक महिला का है। सूत्रों के अनुसार, उसने एक चीनी नागरिक से शादी की है। इस महीने की शुरुआत में, असम राइफल्स ने मणिपुर के टेंग्नौपाल इलाके में 1.20 करोड़ रुपये की ब्राउन शुगर की सीमा पार तस्करी को रोका था। 25 नवंबर को भी असम राइफल्स ने मणिपुर के तदुबी गांव में 3 करोड़ रुपये की 95,000 ‘वर्ल्ड इज योर’ ड्रग की गोलियां जब्त कीं।
इस महीने की शुरुआत में, असम राइफल्स ने मणिपुर के टेंग्नौपाल इलाके में 1.20 करोड़ रुपये की ब्राउन शुगर की सीमा पार तस्करी को रोका था। असम राइफल्स ने एक ट्वीट में कहा, “असम राइफल्स ने मणिपुर में सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी को विफल किया। असम राइफल्स की टेंग्नौपाल बटालियन ने नवंबर में, मणिपुर के टेंग्नौपाल जिले में 1.20 करोड़ रुपये के ब्राउन शुगर की नशीले पदार्थों की तस्करी को नाकाम कर दिया।”
अंतरराज्यीय नशीले पदार्थों के गिरोह के सरगना होने के आरोपी मणिपुर पुलिस के निलंबित कांस्टेबल मोहम्मद काशीम अली को चुराचांदपुर जिले में दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने गिरफ्तार किया गया था। अली पर करोड़ों रुपये की हाई ग्रेड हेरोइन कालाबाजारी में बेचने का आरोप है।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, म्यांमार सीमा के पास चुराचांदपुर में आतंकवादियों ने असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी, बेटे और चार अन्य सैनिकों सहित सात लोगों की मौत हो गई थी। मणिपुर ड्रग्स काण्ड में पकड़ी गई महिला का पति चीन का होने बाद से और भी कई तरह की शंका पैदा हो रही है।
स्थानीय पुलिस शक के बाद से इनकी पुरानी फाइल भी खंगाल रही है। अगर मणिपुर राज्य की बात करें तो दशकों से नशा एक गंभीर मुद्दा रहा है, गौरतलब है कि रोजगार की कमी और खराब आर्थिक स्थिति लोगों को ड्रग पेडलर बनने के लिए प्रेरित हो जाते हैं। हाल के वर्षों में मणिपुर और देश के अन्य हिस्सों में, युवाओं और किशोरों के बीच नशीली दवाओं का दुरुपयोग या मादक पदार्थ का सेवन बच्चों और किशोरों पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों के साथ एक प्रमुख सामाजिक समस्या के रूप में उभरा है।
हालांकि, राज्य में नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं पर सर्वेक्षण और डेटा की कमी ने रोकथाम के हस्तक्षेप को मुश्किल बना दिया है। अन्य राज्यों द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि 14-15 वर्ष से कम आयु के बच्चों की एक बड़ी संख्या मादक पदार्थों का उपयोग कर रही है जो देश के युवाओं के उज्जवल भविष्य के लिए खतरा शाबित हो सकता है।