‘स्त्री’ एक ऐसा शब्द है, जिसमें खुद एक पवित्रता का भाव झलकता है। स्त्री माता है, अर्धांगिनी है और कलाई पर राखी बांधने वाली बहन भी है। भारत देश में स्त्रियों को देवी का दर्जा प्राप्त है किन्तु आज के परिदृश्य में स्त्रियों के साथ बढ़ते दुर्व्यवहार और जघन्य अपराध से भरे कलयुग का ऐसा भयावह रूप देखकर मन और आत्मा विचलित हो जाती है। भारत में स्त्रियों के सशक्तिकरण के मुद्दे को लेकर बहुत सारी योजनाओं की शुरुआत भी की गई किन्तु स्त्रियों पर बढ़ती क्रूरता और लचर क़ानूनी व्यवस्था आज भी कोमल हृदयी स्त्रियों का सामाजिक शोषण रोकने में असमर्थ रही है। हाल ही में, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) ने घरेलु हिंसा के मामले में स्त्रियों की सोच को लेकर एक सर्वेक्षण किया है।
कुछ स्त्रियों ने घरेलु हिंसा को ठहराया सही
खबर यह है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से “14 राज्यों में 30 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने कुछ परिस्थितियों में अपनी पत्नियों की पिटाई करने वाले पुरुषों को सही ठहराया” जिसके बाद हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि आज के समय में स्त्री हीं स्त्री की दुश्मन बन गई है।
आपको बता दें कि इस सर्वेक्षण के मुताबिक, तीन राज्यों जिनमें तेलंगाना (84 फीसदी), आंध्र प्रदेश (84 फीसदी) और कर्नाटक (77 फीसदी) में करीब 80 फीसदी स्त्रियों ने पुरुषों को अपनी पत्नियों की पिटाई करने को सही ठहराया। वहीं, दुसरे अन्य राज्यों जैसे मणिपुर (66 फीसदी), केरल (52 फीसदी), जम्मू और कश्मीर (49 फीसदी), महाराष्ट्र (44 फीसदी) और पश्चिम बंगाल (42 फीसदी) अन्य राज्य और केंद्र शासित प्रदेश थे, जहां बड़ी संख्या में स्त्रियां थीं उनका कहना था कि पुरुषों द्वारा अपनी पत्नियों की पिटाई (घरेलु हिंसा) करना न्यायसंगत है।
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दरअसल, NFHS के एक सवाल में जब कुछ स्त्रियों से पुछा गया कि “आपकी राय में, क्या एक पति को अपनी पत्नी को पीटना या मारना (घरेलु हिंसा) उचित है.?” तो 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 30 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने इस सवाल के जवाब में “हां” कहा। सर्वेक्षण ने उन संभावित परिस्थितियों को सामने रखा, जिनमें एक पति अपनी पत्नी की पिटाई करता है, उदाहरण के तौर पर यदि वह ससुराल वालों का अनादर करती है, अगर वह उससे बहस करती है, अगर वह उसके साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करती है, अगर वह उसे बताए बिना बाहर जाती है, अगर वह घर या बच्चों की उपेक्षा करती है, अगर वह अच्छा खाना नहीं बनाती इत्यादि इसमें शामिल है।
पुरुषों का बढ़ सकता है मनोबल
इसी मुद्दे को लेकर 18 राज्यों में से, 13 राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, गुजरात, नागालैंड, गोवा, बिहार, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र, तेलंगाना, नागालैंड और पश्चिम बंगाल में स्त्री उत्तरदाताओं ने पिटाई को सही ठहराने का मुख्य कारण “ससुराल वालों के प्रति अनादर” बताया। सर्वेक्षण के अनुसार, पतियों द्वारा पिटाई को सही ठहराने वाली महिलाओं की सबसे कम आबादी हिमाचल प्रदेश (14.8 फीसदी) में है।
स्त्रियों के हवाले से इस तरह के गंभीर मुद्दे पर ऐसा बयान देना आने वाले समय में स्त्रियों के लिए हीं काल का प्रकोप साबित हो सकता है। स्त्रियों द्वारा पुरुषों का, स्त्रियों पर हमला करने का समर्थन कही ना कहीं आज भी उनके सशक्तिकरण में बाधा उत्पन्न कर रहा है। लिहाजा, यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में कुछ दानव प्रविर्ती वाले पुरुषो द्वारा स्त्रियों पर क्रूरता (घरेलु हिंसा) करने का मनोबल बढ़ सकता है।