आलेख लेखन क्या है? इसके उदाहरण और एक अच्छे आलेख के गुण

आलेख लेखन का नमूना

आलेख लेखन क्या है?

लेख से पहले ”आ” उपसर्ग जोड़ने से आलेख शब्द बनता है. आलेख निबंध लेखन का ही एक लघु रूप है. समाचार पत्रों में कुछ लेख प्रकाशित होते है जो किसी समाचार या घटनाक्रम पर आधारित होते है. ये सम्पादकीय भिन्न होते है. इनको आलेख कहते है. आलेख साहित्य, खेलकूद, फिल्मजगत, व्यापार, विज्ञान, समाज तथा राजनीती इत्यादि विषयो से संबंधित होते है. लेख में सामान्यतः किसी एक विषय से संबंधित विचार होते हैं. इसमें कल्पना के लिए कोई स्थान नहीं होता. इनमे तथ्यों, समाचारो और सूचनाओं पर ज्यादा जोर दिया जाता है.

आलेख लेखन का उदाहरण

भारतीय क्रिकेट का सरताज : सचिन तेंदुलकर

सालों से भारत के लोग जिन-जिन हस्तियों के दीवाने हैं उनमें एक नाम है-सचिन तेंदलकर. जैसे अमिताभ का अभिनय में मुकाबला नहीं, वैसे सचिन का क्रिकेट में कोई मुकाबला नहीं. विश्व भर में एक यही खिलाड़ी है जिसने टेस्ट क्रिकेट के साथ-साथ वन-डे क्रिकेट में भी सर्वाधिक शतक बनाए हैं. इसीलिए कुछ क्रिकेट-प्रेमी सचिन को क्रिकेट का भगवान तक कहते हैं. उसके प्रशंसकों ने हनुमान चालीसा की तर्ज पर सचिन-चालीसा भी लिख दी है.

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मुंबई में बांद्रा-स्थित हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाला सचिन इतनी ऊँचाइयों पर पहँचने पर भी मासूम और विनयी है. अहंकार तो उसे छू तक नहीं गया है. अब भी उसे अपने बचपन के दोस्तों के साथ वैसा ही लगाव है जैसा पहले था. सचिन अपने परिवार के साथ बिताए हुए क्षणों को सर्वाधिक प्रिय क्षण मानता है. इतना व्यस्त होने पर भी उसे अपने पुत्र का टिफिन स्कूल पहुँचाना अच्छा लगता है.

सचिन ने केवल 15 वर्ष की आयु में पाकिस्तान की धरती पर अपने क्रिकेट-जीवन का पहला शतक जमाया था जो अपने-आप में एक रिकार्ड है. उसके बाद एक-पर-एक रिकार्ड बनते चले गए. अभी वह 21 वर्ष का भी नहीं हुआ था कि उसने टेस्ट क्रिकेट में 7 शतक ठोक दिए थे. उन्हें खेलता देखकर भारतीय लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर कहते थे-सचिन मेरा ही प्रतिरूप है.

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अच्छे आलेख लेखन के क्या गुण होने चाहिए?

आलेख लेखन ऐसी कला जिसको अभ्यास करके ही सीखा जा सकता है या उसे आदत में लाया जा सकता है. एक आदर्श और अच्छे आलेख को पढ़कर पाठक के अन्दर उस मुद्दे को लेकर उस भावना का आना अनिवार्य है.
आलेख लेखन में भूमिका, विषय प्रतिपादन और निष्कर्ष अहम होता है. नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:
• आलेख की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए.
• आलेख विचार कथात्मक न हो कर विवेचन विश्लेषण वाले होने चाहिए.
• आलेख को पढ़कर पाठक की जिज्ञासा उत्पन्न हो जाए ऐसा आलेख होना चाहिए.
• आलेख हमेशा ज्वलंत और प्रसिद्द मुद्दों या समारोह पर होना चाहिए.
• भावुकता के आधार पर भी आलेख संभव हो सकता है.
• आकार के विषय वस्तु पर आलेख निर्भर हो सकता है.
• आलेख लिखने से पहले उसका गहन अध्ययन करना जरुरी होता है.
• आलेख अनुमान पर आधारित नहीं बल्कि तथ्यों पर आलेख का अस्तित्व होता है.
• आलेख विचारात्मक होते है. लेखक उसमे किसी विषय को विचार-विश्लेषणात्मक शैली में प्रस्तुत करता है.
• आलेख का आरम्भ तथा समापन रोचक तथा जिज्ञासापूर्ण होता है.

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