टाटा के बाद अब सेमीकंडक्टर की दौड़ में हुई वेदांता समूह की एंट्री, 60,000 करोड़ रुपये निवेश का किया वादा

सेमीकंडक्टर का हब बनने वाला है भारत!

सेमीकंडक्टर वेदांता समूह

Source- TFIPOST

भारत सरकार वैश्विक सप्लाई चेन में भारत को केंद्रीय भूमिका में लाने के लिए प्रयास कर रही है। इसके लिए कई सेक्टर में PLI योजना के अंतर्गत सरकार निवेश कर रही है तथा निजी कंपनियों को विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित कर रही है। इसी क्रम में भारत सरकार ने पिछले सप्ताह सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए भी PLI योजना की घोषणा की थी। इसका असर तुरंत देखने को मिला है और भारत की दिग्गज कंपनी वेदांता समूह ने सेमीकंडक्टर के निर्माण हेतु निवेश का निर्णय लिया है।

पिछले सप्ताह 15 दिसंबर, बुधवार को भारत सरकार ने घोषणा करते हुए कहा था कि भारत में सेमीकंडक्टर के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना के अनुसार 76,000 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। यह निवेश अगले 5-6 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से होगा। सरकार की योजना सेमीकंडक्टर के उत्पादन के लिए आवश्यक फ्रेमवर्क के निर्माण की है। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि भारत अगले दो-तीन वर्षों में ही अपने यहां सेमीकंडक्टर का उत्पादन शुरू कर देगा। वेदांता समूह ने सरकार की इस घोषणा के बाद सेमीकंडक्टर के निर्माण हेतु 60,000 करोड़ रुपए निवेश करने की घोषणा की है।

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कई राज्य सरकारों से बातचीत कर रही है कंपनी

वेदांता समूह सेमीकंडक्टर की तकनीक के विकास हेतु तथा इक्विटी के माध्यम से और धन जुटाने हेतु ज्वाइंट वेंचर तैयार करने की योजना पर भी कार्य कर रहा है। इसके लिए सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री से जुड़ी विश्व की बड़ी कंपनियों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है। भारत में सेमीकंडक्टर के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए वेदांता समूह दूसरी बार प्रयासरत है। इससे पहले वर्ष 2017 में वेदांता समूह ने Carlyle समूह से AvanStrate नामक जापानी कंपनी को खरीद लिया था। यह कंपनी सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए आवश्यक ग्लास सब्सट्रेट बनाती है।

AvanStrate के प्रबंध निदेशक आकर्ष हेब्बार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, “हम एक कारखाना स्थापित करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के साथ बातचीत के अंतिम चरण में हैं, जिसके लिए 250 एकड़ से 400 एकड़ के बीच (भूमि) की आवश्यकता होगी। परियोजना में कुल निवेश दो चरण, पहले $6 बिलियन (45,000 करोड़ रुपये) और फिर $8 बिलियन (60,000 करोड़ रुपये) में होगा, जिसके बाद हम विस्तार के लिए बाजार का और मूल्यांकन करेंगे।”

आकर्ष ने बताया कि AvanStrate गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना की राज्य सरकारों से बातचीत कर रही है, जिससे केंद्र सरकार से मिलने वाली मदद के अतिरिक्त कुल निवेश का 10 से 15% PLI योजना के तहत राज्य सरकारों द्वारा प्राप्त किया जा सके। वेदांता समूह ताइवान की TSMC, फॉक्सकॉन, जापान की शार्प के अतिरिक्त सैमसंग, LG जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों से बातचीत कर रहा है।

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सेमीकंडक्टर का हब बन सकता है भारत

गौरतलब है कि वुहान वायरस के फैलाव के बाद पूरी दुनिया में ऑनलाइन माध्यम से कार्य करने का चलन बढ़ा है। डिजिटलीकरण जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, वैश्विक बाजार में सेमीकंडक्टर की मांग भी उतनी तेजी से बढ़ते जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप तक हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सेमीकंडक्टर के कारण ही कार्य करता है। मौजूदा समय में ताइवान के अतिरिक्त दूसरा कोई बड़ा सेमीकंडक्टर उत्पादक देश नहीं है, जबकि दुनिया में सेमीकंडक्टर की मांग और तेजी से बढ़ेगी यह तय है।

ऐसी परिस्थिति में दुनिया के पास भारत ही एकमात्र विकल्प है, जहां पर सेमीकंडक्टर का निर्माण सुरक्षात्मक दृष्टि से भी सही है और इसके लिए आवश्यक कुशल श्रमबल भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। भारत सेमीकंडक्टर का हब बन सकता है, किंतु यह तभी संभव है जब भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में आगे आए। टाटा के बाद वेदांता समूह का सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में उतरना भारत के लिए एक स्वर्णिम अध्याय का आरंभ है।

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