AIUDF विधायक ने दावा किया कि औरंगज़ेब ने कामाख्या देवी मंदिर के लिए भूमि दान की थी

किसी का स्तर इतना नीचे कैसे गिर सकता है!

अमीनुल इस्लाम कामाख्या मंदिर

Source- Google

एक होते हैं फेंकू, फिर आते हैं भारत के वामपंथी इतिहासकार और फिर आते हैं अमीनुल इस्लाम! इनका जलवा अलग ही स्तर का है, और ये अलग ही लोक में जीते हैं, जहां मुग़ल सर्वशक्तिशाली थे, भारत पर इस्लामिक संस्कृति का जलवा था इत्यादि. परन्तु यह तो कुछ भी नहीं है, अमीनुल का दावा है कि मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब ने प्राचीन कामाख्या देवी मंदिर के लिए भूमि दान की थी. जी हां! इससे पहले कि आप हंसते-हंसते ज़मीन पर लोटने लगे, हम आपको बता दें कि ये बयान शत प्रतिशत सत्य है. असम की क्षेत्रीय पार्टी AIUDF के विधायक मोहम्मद अमीनुल इस्लाम ने दावा किया है कि औरंगज़ेब बहुत ही न्यायप्रिय और धर्मनिरपेक्ष शासक था, जिसने कामाख्या देवी मंदिर सहित कई हिन्दू मंदिरों के लिए भूदान किया. सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी तेजी से वायरल रही है, जिसमें वो क्रूर मुगल औरंगजेब के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं.

और पढ़ें : TMC नेता ने अहोम समुदाय को चीनी हमलावर बताया तो असम सरकार ने उसकी खटिया खड़ी कर दी

हिमंता बिस्वा सरमा ने दिया करारा जवाब

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो में अमीनुल इस्लाम कहते हैं कि “कामाख्या मंदिर के लिए दी गई भूमि परमिट के दस्तावेज़ अभी तक विद्यमान हैं और ऐसे कई अन्य हिन्दू मंदिर हैं, जिनके लिए औरंगज़ेब ने असंख्य दान किया.” उनके इस बयान पर जमकर बवाल मचा है. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस मसले पर आक्रामकता से जवाब देते हुए कहा, “पहले से ही एक व्यक्ति [शर्मन अली] ऐसे ओछे बयानों के लिए जेल में है, और यदि ऐसे बयान देने से बंधु बाज़ नहीं आये, तो जल्द ही इनका नंबर भी आएगा. मेरे प्रशासन में मेरे बारे में चाहे जो कहे, पर हमारे संस्कृति और रीतियों के विरुद्ध एक शब्द नहीं स्वीकार्य होगा.”

अब बात करें वास्तविक इतिहास की, तो फेंकने की भी एक सीमा होती है, लेकिन अमीनुल इस्लाम को कौन समझाए. असम वो भूमि है जहां वीर अहोम योद्धाओं का शासन था, और जहां पर लाचित बोर्फुकान के नेतृत्व में मुग़ल सेना को पटक-पटक कर धोया गया था. अहोम समुदाय ने सनातन संस्कृति को न केवल गले लगाया, बल्कि उसे अपने जीवन में आत्मसात भी किया.

इसी अहोम वंश के वीर लाचित बोर्फुकान ने औरंगजेब की विशालकाय मुग़ल सेना को धूल चटाई थी. उनके हेंग्डांग नामक तलवार के आगे बड़े से बड़ा शत्रु पराजय मानने को विवश हो जाता था और उन्हीं के नेतृत्व में अहोम वंश ने अपनी नौसैनिक युद्धनीति के बल पर सराई घाट के युद्ध में मुगलों को बुरी तरह परास्त भी किया था. भारत के सबसे प्रखर सैन्य संस्थान, नेशनल डिफेन्स अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट का स्वर्ण पदक लाचित बोर्फुकान के नाम पर ही अंकित है.

दिसपुर में दर्ज हुआ FIR

ऐसे में अपनी संस्कृति का ऐसा अपमान कोई असम निवासी कैसे स्वीकार करता? वीडियो वायरल होते ही दिसपुर पुलिस थाने में अमीनुल इस्लाम पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और असम की संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कराई गई. इससे पूर्व भी कुछ लोगों ने असम की संस्कृति पर ऐसे ही ओछे बयानों से कीचड़ उछालने का प्रयास किया है. यदि आप सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, तो आपने गर्ग चटर्जी जैसे वामपंथी का नाम अवश्य सुना होगा! अक्सर हिन्दी विरोध और भारत विरोधी बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाली गर्ग चटर्जी ने 2020 में अहोम वंश के खिलाफ जमकर जहर उगला था.

और पढ़ें: हिमंता बिस्वा सरमा ने लम्बिंग जंगल को कराया बांग्लादेशी अतिक्रमणकारियों से मुक्त

उन्होंने अहोम वंश के संस्थापक सुकाफा के विरुद्ध बड़े अपमानजनक ट्वीट किए थे, जिसके जवाब में असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने गर्ग चटर्जी के विरुद्ध कार्रवाई की स्वीकृति देते हुए अरेस्ट वारंट जारी कराया था. तब सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा था कि असम जैसे समृद्ध और विविध राज्य के बारे में इस तरह के घटिया और ओछे बयान सोशल मीडिया पर पोस्ट करना असम में अशांति फैला सकता है. ऐसे बयानों [गर्गचटर्जी के ट्वीट्स] ने असम के स्थानीय समुदायों का अपमान किया है”.

अब असम के ढिंग जिले से AIUDF विधायक अमीनुल इस्लाम ने भी अपनी घटिया मानसिकता को प्रदर्शित करते हुए ऐसा कुत्सित बयान दिया है. जिस प्रकार से एक नीच आक्रान्ता का महिमामंडन करने की दिशा में अमीनूल ने कामाख्या मंदिर से जुड़े सफ़ेद झूठ का अम्बार लगा दिया, उनके लिए अपशब्द की भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अपशब्द का स्टैण्डर्ड भी उनसे कहीं ऊपर है!

Exit mobile version